EV Manufacturing: इलेक्ट्रिक गाड़ियों का मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है यूपी का ये शहर, इस बिजनेस घराने ने मारी एंट्री
ऑटो इंडस्ट्री ही एक ऐसा सेक्टर है, जिसने कोरोना के बाद सबसे तेजी से वापसी कर अपनी रफ्तार पकड़ी है. जोकि जीडीपी का कुल योगदान करीब 21 फीसद का है.
Electric Vehicle Manufacturing in Lucknow: उत्तर प्रदेश सरकार और हिंदुजा ग्रुप के स्वामित्व वाली लेलैंड कंपनी से 1500 करोड़ रुपए का एक मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिन (MoU) हुआ है, जिसके चलते कंपनी की तरफ से दावा किया गया है कि, इस प्रोजेक्ट को 18 महीने में ही जमीन पर उतार दिया जायेगा.
जानकारों के मुताबिक, अगर ऐसा हुआ तो नवाबों का शहर लखनऊ ईवी मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है. साथ ही लखनऊ में हिंदुजा का यह प्लांट लगा तो, भविष्य में नवाबों का शहर कहे जाने वाली इस सिटी को भी डेट्रायट की तरह मोटर सिटी के रूप में जाना जाएगा.
गुजरात और दक्षिण भारत को छोड़ दें, तो हाल के वर्षों यूपी में किसी दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनी का यह पहला और बड़ा निवेश होगा. जबकि इसके पहले पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एम्बेस्डर और हरियाणा के मानेसर में मारुति सुजुकी इस सेक्टर में बड़ा निवेश करने वाली कंपनियां हैं. फिलहाल, कंपनी और सरकारी महकमा इसके लिए जमीन तलाशने में जुटा हुआ है. हालांकि, इस बात की संभावना जताई जा रही है कि, इसे लखनऊ में बंद पड़ी स्कूटर्स इंडिया की खाली जमीन पर लगाया जा सकता है. हालांकि प्रयागराज में भी जमीन तलाशी गई है.
एमओयू के तहत अशोक लेलैंड यूपी में ई-मोबिलिटी पर केंद्रित एक इंटेग्रेटेड कमर्शियल व्हीकल बस संयंत्र स्थापित करेगा, जो राज्य में कंपनी का पहला संयंत्र होगा. इस जॉइंट वेंचर के तहत अशोक लेलैंड मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक बसों की मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित करेगा. जिसमें मौजूदा समय में उपलब्ध फ्यूल के साथ-साथ उभरते वैकल्पिक ईंधन से चलने वाली गाड़ियों को असेंबल करने की सुविधा भी होगी.
अशोक लीलैंड के चेयरमैन, धीरज हिंदुजा ने कहा कि, उत्तर प्रदेश में लगने वाली यह नई यूनिट आने वाले 18 महीने में शुरू कर दी जाएगी. जिसमें स्टेप बाय स्टेप ई-मोबिलिटी के अलग अलग आयामों पर काम किया जाएगा. साथ ही आने वाले सालों में कंपनी डीजल बसों और कमर्शियल गाड़ियों के अपने पूरे बेड़े को इलेक्ट्रिक और अन्य ऑप्शन में बदलने की योजना पर काम कर रहे हैं.
एसआरएम टाटा मोटर्स के सेल्स हेड अमित श्रीवास्तव के मुताबिक, कोई भी इंडस्ट्री निवेशक के लिए तो फायदे का सौदा होता ही है, साथ ही इसमें बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिलता है. इस प्रस्तावित यूनिट में कमर्शियल इलेट्रिकल गाड़ियां ही बनेंगी. प्रदूषण की समस्या को देखते हुए सरकार का पूरा फोकस ईवी सेगमेंट पर है.
कुछ समय पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में, धीरज हिंदुजा समूह के मालिकाना हक वाली लेलैंड कंपनी से 1500 करोड़ रुपए का मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिन (एमो) हुआ है, जोकि प्रदेश सरकार का कमर्शियल इलेक्ट्रिकल व्हीकल के प्रोडक्शन के लिए पहली बार किसी बिजनेस घराने से ऐसा (एमओयू) है.
ऑटो इंडस्ट्री ही एक ऐसा सेक्टर है, जिसने कोरोना के बाद सबसे तेजी से वापसी कर अपनी रफ्तार पकड़ी है. आंकड़ों के अनुसार, जीडीपी की बढ़ोतरी में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का बहुत बड़ा योगदान होता है, जोकि जीडीपी का कुल योगदान करीब 21 फीसद का है. जिसके चलते करीब दो करोड़ लोगों का रोजगार इस सेक्टर से चल रहा है.