Petrol-Diesel Vehicle: देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार खराब होता जा रहा है. वहीं भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई की हवा भी खराब होती जा रही है. इस बढ़ते प्रदूषण का कारण पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहन हैं. इन वाहनों से निकलने वाले धुएं से हवा में जहर घुलता जा रहा है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबित, बढ़ते प्रदूषण के चलते महाराष्ट्र सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है, जिसके तहत इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि राज्य में किस तरह पेट्रोल-डीजल वाहनों पर बैन लगाया जाए और ज्यादा-से-ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर दिया जाए.


मुंबई की हवा हुई जहरीली


ओपन-सोर्स एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग प्लेटफॉर्म के मुताबिक पिछले कुछ सालों में मुंबई की हवा काफी खराब हुई है. साल 2020 से अब तक AQI करीब 12 फीसदी तक बढ़ा है. मुंबई की हवा के खराब होने में वाहनों से निकलने वाला धुंआ, बड़े-बड़े कंस्ट्रक्शन के प्रोजेक्ट्स जैसे कई कारण हैं. इन सभी चीजों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार राज्य में पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है.


बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश


बॉम्बे हाईकोर्ट ने देवेंद्र फडनवीस की महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि राज्य में चलने वाले पेट्रोल-डीजल वाहनों पर चरणबद्ध तरीक से बैन लगाया जाए. हाईकोर्ट के आदेश को मानते हुए सरकार ने 22 जनवरी को सात लोगों की कमेटी बनाई है. इसके साथ ही कमेटी से तीन महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा है.


महाराष्ट्र सरकार के आगे ये हैं चुनौतियां


महाराष्ट्र में हवा की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए पेट्रोल-डीजल वाहनों पर बैन की डिमांड तो है, लेकिन इसके साथ ही ये सवाल उठता है कि क्या राज्य में इसे लागू कर पाना मुमकिन है. मुंबई में मौजूदा समय में इलेक्ट्रिक व्हीकल इंफ्रास्ट्रक्टर की कमी है. वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशन भी कम हैं. साथ ही मेट्रो रेल नेटवर्क बढ़ाने पर भी अभी काम जारी है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों पर बैन लगने से उन लोगों के काम-काज पर असर पड़ सकता है, जो रोजाना में अपने निजी वाहनों का प्रयोग करते हैं.


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