नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने एक बयान में कहा है कि कंपनी ने पीछले छह साल में भारतीय रेलवे से 6.7 लाख कारें देश के अलग- अलग हिस्सों में सेल के लिए पहुंचाई हैं. कंपनी ने दावा किया है कि ऐसा करके उसने करीब दस करोड़ लीटर फ्यूल बचाया है. एमएसआई के मुताबिक उन्होंने कारों की पहली खेप 2014 में डबल डेकर फ्लेक्सी- डेक रैक के जरिए भेजी थी.


ट्रकों से भेजने पर होते इतने लाख चक्कर


कंपनी के मुताबिक अगर इन कारों को ट्रकों के माध्यम से भेजा जाता तो इसके लिए ट्रकों को एक लाख से ज्यादा चक्कर करने पड़ते. कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 1.78 लाख से अधिक कारों को रेलवे के जरिए भेजा, जो उससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत ज्यादा था. यह साल में कंपनी के कुल बिक्री का 12 प्रतिशत ज्यादा है.


मारुति सुजुकी इंडिया के एमडी और सीईओ केनिची आयुकावा के अनुसार कारों की बढ़ती बिक्री को देखते हुए कंपनी ने लार्ज स्केल लॉजिस्टिक्स की जरूरत महसूस की. कंपनी ने बिक्री का विस्तार करने के लिए कारों को सड़क के अलावा दूसरे माध्यम से भेजने पर विचार किया.


हर रैक में आती हैं 318 कारें


मारुति सुजकी ने सिंगल डेक वैगन से कारों को भेजने की शुरुआत की, जिसके तहत 125 कारों को लॉजिस्टिक किया जा सकता था. इसके बाद कंपनी ने डबल-डेकर रैक्स में शिफ्ट किया जिनमें 265 कारों को ले जाया जा सकता है. कंपनी के मुताबिक अब तक इनके जरिए 1.4 लाख से अधिक कारों की ढुलाई की जा चुकी है. मारुति सुजुकी 27 रैक्स का इस्तेमाल कर रही है जो करीब 95 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकते हैं. हर रैक में 318 कारों को ले जाया जा सकता है.


ऐसा करने वाली पहली कंपनी


मारुति सुजुकी ने दावा किया है कि वह देश की पहली ऑटो कंपनी है जिसने ऑटोमोबाइल फ्रेट ट्रेन ऑपरेटर का लाइसेंस मिला है. इससे प्राइवेट कंपनियां इंडियन रेलवे के नेटवर्क पर हाई स्पीड, हाई कैपेसिटी ऑटो वैगन रैक्स ऑपरेट कर सकते हैं. अभी कंपनी पांच लोडिंग टर्मिनल और 13 डेस्टिनेशन टर्मिनल का इस्तेमाल करती है.


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