भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुज़ुकी की इतिहास में पहली बार महीने में शून्य ब्रिकी हुई और हर ऑटोमेकर का यही हाल रहा है. ऑटो निर्माता शून्य उत्पादन फीगर को जानते थे क्योंकि सभी प्लांट और निर्माण सुविधा अप्रैल के महीने में बंद रही. हालांकि सरकार ने मारुति को गुजरात में आंशिक रूप से संचालन जारी रखने की अनुमति दे रखी थी और मारुति सुज़ुकी ने मुंद्रा बंदरगाह से 632 वाहनों को निर्यात करने का प्रबंध किया था.
मारुति सुज़ुकी ने हरियाणा के मानेसर प्लांट आंशिक रूप से संचालित किया हुआ था, लेकिन इसके लिए उसने पहले जिला प्रशासन से सिंगल शिफ्ट में काम संचालन करने की अनुमति मांगी थी. इसने गृह मंत्रालय के नए दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा, जिसमें औद्योगिक प्रतिष्ठान और उद्योगों को ग्रामीण क्षेत्रों में 20 अप्रैल से संचालन की अनुमति मिली है. मानेसर प्लांट को 4696 लोगों के साथ 50 वाहन बनाने की अनुमति मिली है.
कंपनी ने 22 मार्च से ही बिक्री और उत्पादन पर रोक लगा दी थी. इसी दिन से देशव्यापी जनता कर्फ्यू लागू हुआ था. मारुति सुज़ुकी को मार्च 2020 में बिक्री का 47 प्रतिशत घाटा हुआ, जबकि 83,792 यूनीट की ब्रिकी हुई. मार्च 2019 में ये बिक्री 158076 थी. कंपनी को यह नुकसान कोरोना वायरस की वजह से प्रत्यक्ष तौर पर झेलना पड़ा है.
मार्च में भी रहा हाल बुरा
वैसे कंपनी के लिए मार्च का महीना भी सही नहीं रहा था. मार्च महीने में मारुति की बिक्री 47 प्रतिशत घटकर 83,792 इकाई रह गई थी.
बीते साल कितनी गाड़ियां बिकी?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में सबसे ज्यादा कार बेचने वाली कंपनी मारुति है. वित्त वर्ष 2019-20 में घरेलू बाजार में मारुति ने 14.1 लाख गाड़ियों की बिक्री की थी.
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