पिछले 10 महीनों से भारतीय ऑटो सेक्टर मंदी की चपेट में है, बीते फेस्टिव सीजन से कुछ राहत जरूर मिली लेकिन अभी भी समस्या पहले जैसी ही है. लेकीन एक तरफ जहां ऑटो सेक्टर मंदी की चपेट में है तो वहीं दूसरी तरह चीनी स्वामित्व वाली एमजी मोटर्स ने बिक्री के कई रिकॉर्ड भी बनाये हैं, जबकि किआ मोटर्स की सेल्टोस को खरीदने के लिए लोगों की लम्बी लाइनें लगी हुई है.


एमजी हेक्टर पर लंबी वेटिंग: मंदी के दौर में जहां महिंद्रा एक्सयूवी 500, टाटा हैरियर और हुंडई टूसों जैसी गाड़ियां आसानी से बाजार में मिल रही हैं तो वहीं एमजी हेक्टर पर तीन से चार महीने की वेटिंग है (दिल्ली में) जबकि अन्य शहरों में इसकी वेटिंग छह से आठ महीने की है.


एमजी मोटर्स ने इस साल की शुरुआत में ही भारतीय कार बाजार में एंट्री की थी और आते ही देश के ऑटो सेक्टर पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली. गौर करने वाली यह है कि सिर्फएक एसयूवी के दम पर कंपनी ने मौजूदा दिग्गज ऑटो कंपनियों को मात दे दी.


इंटरनेट कनेक्टिविटी से लैस हेक्टर की बुकिंग खुलने के बाद ही कंपनी को इसके ऑर्डर लेना बंद करना पड़ा, अक्टूबर में, एमजी मोटर्स ने जर्मनी की कार कंपनी स्कोडा और जापान की निसान को पीछे छोड़ते हुए भारत की टॉप 10 कार कंपनियों में अपना नाम दर्ज कराया. अभी हाल ही में कंपनी ने अपनी नई इलेक्ट्रिक कार 'ZS' को पेश किया.


किआ सेल्टॉस ने पछाड़ा क्रेटा को: मंदी के दौर में जहां एमजी मोटर्स की बिक्री में इजाफा हुआ वहीं साउथ कोरिया की दिग्गज कार निर्माता कंपनी किआ मोटर्स ने अपनी पहली एसयूवी 'सेल्टॉस' को लॉन्च करके भारत में अपना दबदबा बना लिया. मिड साइड एसयूवी में नई सेल्टॉस को को काफी पसंद किया जा रहा है. बिक्री के मामले में इसने हुंडई की क्रेटा को भी पछाड़ दिया है जोकि एक लम्बे समय से अपने सेगमेंट में मजबूत खिलाड़ी थी.


जिस तरह विदेशी कंपनियां अपनी नई और मजबूत रणनीतियों के दम पर भारतीय ऑटो सेक्टर में अपनी मजबूत जगह ऐसे समय में बना रही जब देश का ऑटो सेक्टर मंदी की मार झेल रहा है. ऐसे मौजूदा कंपनियों को अब इस बारे में विचार करने की जरूरत है.


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