New Emission Test: अब नए नियमों के साथ होगा गाड़ियों का पॉल्यूशन टेस्ट, जान लीजिये क्या हैं ये?
इन टेस्ट का मकसद गाड़ियों से होने वाले पॉल्यूशन पर लगाम लगाना और यह सुनिश्चित करना है, कि ऑटोमेकर ग्रीन फ्यूल टेक्नोलॉजी में अपग्रेड करते रहें.
New Emission Test in India: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने, BS-VI उत्सर्जन मानकों के तहत अप्रूवल चाहने वाले वाहनों के लिए नए एमिशन टेस्ट को नोटिफाइ किया है. सरकार द्वारा जारी नए मानकों के अनुसार, फ्लेक्स-फ्यूल ऑप्शन वाले सभी बाई-फ्यूल गाड़ियों को गैसीय प्रदूषक और पर्टिकुलेट मैटर प्रदूषक दोनों टेस्ट से गुजरना होगा. हालांकि, हाइड्रोजन पर चलने वाली गाड़ियों को केवल नाइट्रोजन ऑक्साइड टेस्ट से ही गुजरना होगा.
सरकार की तरफ से जारी 5 जनवरी के नोटिफिकेशन के मुताबिक, अगर बाई-फ्यूल में फ्लेक्स फ्यूल होता है, तो दोनों टेस्ट लागू होंगे. वहीं अगर वाहन हाइड्रोजन पर चल रहा हो, तो केवल NOx उत्सर्जन टेस्ट ही किया जाएगा.
इसके अलावा सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, 7 प्रतिशत तक बायोडीजल ब्लेंड वाले वाहनों का डीजल (B7) के लिए टेस्ट किया जाएगा और 7 प्रतिशत से ज्यादा बायोडीजल ब्लेंड वाले वाहनों का ब्लेंड के अनुसार टेस्ट किया जाएगा.
इसमें कहा गया है कि, CO2 उत्सर्जन और ईंधन की खपत को AIS 137 में पहले से तय और समय-समय पर संशोधित प्रक्रिया के मुताबिक मापा जाएगा. वहीं नोटिफिकेशन के मुताबिक, मैन्युफैक्चरर के पास प्रोडक्शन टेस्ट के रूप में फ्यूल के तौर पर गैसोलीन (E10) या गैसोलीन (E20) में से किसी एक को चुनने का ऑप्शन होगा.
प्रत्येक गाड़ी मॉडल (वेरिएंट सहित) के लिए प्रोडक्शन पीरियड की अनुरूपता साल मे एक बार होगी और हर साल किसी खास प्रोडक्शन प्लांट बनाने वाले कम से कम 50 प्रतिशत मॉडल को टेस्ट के लिए रेंडमली चुना जाएगा.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 9 मई, 2023 को M और N केटेगरी की गाड़ियों के लिए, जरुरी टेस्ट का एक मसौदा प्रकाशित किया था. जिसमें प्राइवेट और कमर्शियल दोनों तरह की गाड़ियां शामिल हैं. स्टेकहोल्डर्स से फीडबैक मिलने के बाद, टेस्ट को नोटिफाई किया गया था. इन टेस्ट का मकसद गाड़ियों से होने वाले पॉल्यूशन पर लगाम लगाना और यह सुनिश्चित करना है, कि ऑटोमेकर ग्रीन फ्यूल टेक्नोलॉजी में अपग्रेड करते रहें.