आज यानि 1 फरवरी से गुवाहाटी, असम में कैब सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ओला और उबर की सर्विस स्थगित हो गई है. दरअसल, ऑल असम कैब मजदूर संघ और ऑल गुवाहाटी बाइक और टैक्सी यूनियन की तरफ से ओला और उबर जैसी कैब प्रोवाइडर कंपनियों का वॉयकॉट किया जा रहा है. इन संगठनों का कहना है कि इन कंपनी द्वारा कैब ड्राइवर्स के लगातार हो रहे उत्पीड़न की वजह से ऐसा किया जा रहा है. इस पूरे विवाद पर ओला और उबर का कहना है कि उन्होंने गुवाहाटी में अपनी सर्विस को बंद नहीं किया है, बल्कि इस बॉयकॉट को देखते हुए बस कुछ दिनों के लिए अपनी सर्विस को स्थगित कर दिया है.
2015 में शुरू हुई थी सर्विस
बॉयकॉट कर रहे संगठनों का कहना है कि ओला-उबर ने असम में 2015 से अपनी सेवाएं देना शुरू किया था. तब कैब ड्राइवर्स को कंपनी द्वारा अच्छा प्रोत्साहन देना शुरू किया गया था. लेकिन बाद में कंपनी ने कैब ड्राइवर का उत्पीड़न शुरू का दिया. कंपनी ने कैब मालिकों से प्रत्येक राइड पर 40-60 % तक का कमीशन लेना शुरू कर दिया जोकि सही नहीं है.
18,000 कैब और 16,000 बाइक का हो रहा संचालन
जानकारी के मुताबिक, इस समय असम में ओला-उबर कैब सर्विस के रूप में लगभग 18,000 कैब का संचालन हो रहा है. वहीं टू-व्हीलर राइड सर्विस प्रोवाइडर कंपनी रैपिडो भी 16,000 से ज्यादा बाइक टैक्सी का संचालन कर रही है. दोनों ही कंपनियों के यूनियन ने मिलकर अपनी तरफ से सेवाओं को बंद कर दिया है.
सरकार से मांगी मदद
इन बाइक और कार टैक्सी ड्राइवर्स ने सरकार से नया एप लॉन्च करने का आग्रह किया है, ताकि इन सेवाओं को फिर से शुरू किया जा सके. वहीं स्थानीय कैब सर्विस प्रोवाइडर अपनी सेवाओं को जारी रखेंगे.
पेमेंट मिलने में देरी
कैब संचालनकर्ताओं की तरफ से शिकायत की गयी कि बेशक ये कंपनियां हमें रोजगार दे रही हैं. लेकिन इनकी नियम और शर्तें ड्राइवर्स को परेशान करने वाली हैं. खासकर अगर वे कंपनी के वॉलेट से पेमेंट लेते हैं, तो कंपनी काफी समय में उनका कमीशन वापस करती है. इसीलिए कैब ड्राइवर सवारी से कैश देने का आग्रह करते हैं.
18-20 घंटे काम
कैब संचालन करने ड्राइवर्स का कहना है कि इतने कमीशन देने के बाद हमें घर चलाने से लेकर बैंक का लोन, अन्य इंस्टॉलमेंट्स आदि भी देने होते हैं. जोकि नहीं दे पाते.
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