PM Modi Security Cars: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा काफी कड़ी होती है. पीएम मोदी एक ऐसी कार से सफर करते हैं जिस पर AK-47 के वार का भी कोई असर नहीं होता. पीएम मोदी को अक्सर की लैंड रोवर रेंज रोवर में सफर करते देखा गया है. ये कार बुलेटप्रूफ होने के साथ ही बॉम्ब प्रूफ भी है. रेंज रोवर की इस कार को खासतौर पर भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा को देखते हुए ही तैयार किया गया है.


पीएम मोदी की गाड़ी के साथ कई और गाड़ियां भी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चलती हैं, जिनमें साथ में SPG कमांडो भी बैठे होते हैं. पीएम के काफिले में ऐसी तीन धाकड़ कारें भी हैं जो काफी पावरफुल हैं. इन कारों को फ्रेंच ऑटोमेकर्स रेनॉ (Renault) से तैयार कराया गया है. इन गाड़ियों को पीएम की सिक्योरिटी में सर्विस देते हुए 10 साल का वक्त हो गया है और इन गाड़ियों को अगले पांच साल और चलाया जा सके, इसके लिए इन्हें सर्विसिंग के लिए भेज दिया गया.


PM मोदी के काफिले की धाकड़ कारें


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले में रेनॉ MD-5 की तीन गाड़ियां शामिल हैं. इन गाड़ियों को साल 2013 में बनाकर तैयार किया था और दिल्ली में इन कारों का रजिस्ट्रेशन 24 दिसंबर, साल 2014 में हुआ. रेनॉ की तैयार की गई इन आर्म्ड कारों में 4.76-लीटर, 4-सिलेंडर टर्बोचार्ज्ड डीजल इंजन लगा है. रेनॉ की कार में लगे इस इंजन से 215 bhp की पावर मिलती है और 800 Nm का टॉर्क जनरेट होता है. इस गाड़ी का कुल वजन 11 टन है, फिर भी इस वाहन को 110 kmph की टॉप-स्पीड तक चलाया जा सकता है.


दिल्ली में बैन हैं ये डीजल कारें


पीएम मोदी की इन गाड़ियों को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. दरअसल, नियमों के मुताबिक, दिल्ली में 10 साल या इससे ज्यादा पुरानी डीजल कारों के चलाने पर पाबंदी है. वहीं पीएम के काफिले में इन गाड़ियों को साल 2014 में शामिल किया गया था. अब इन कारों को सर्विस देते हुए 10 साल पूरे हो गए हैं. इस वजह से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इन कारों को बैन करने का आदेश दिया था.


स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) ने एनजीटी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसका फैसला सोमवार, 16 दिसंबर 2024 को आया है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने NGT के आदेश को बदल दिया है. दरअसल एसपीजी की तरफ से अपनी याचिका में कहा गया कि इन गाड़ियों को अभी भी बिना किसी दिक्कत के इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही बताया गया कि पिछले 10 सालों में इन गाड़ियों को 15 हजार किलोमीटर भी नहीं चलाया गया है. इस वजह से इन्हें सर्विसिंग के बाद फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है.


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