राजस्थान के 7 शहरों में दौड़ेंगी, दिल्ली से जयपुर 2 घंटे में ले जाएंगी, इन खूबियों से लैस हैं इलेक्ट्रिक बसें
Rajasthan Electric Buses: राजस्थान के सात शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संंचालन को लेकर मंजूरी मिल गई है. इन बसों के संचालन से न केवल के प्रदूषण से राहत मिलेगी बल्कि पेट्रोल और डीजल की खपत भी घटेगी.
Electric Buses: देश की राजधानी दिल्ली के बाद अब राजस्थान में भी इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को तवज्जो दी जा रही है. दरअसल, राजस्थान की राजधानी जयपुर समेत सात बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक बसें चलाने को लेकर मंजूरी दे दी गई है. इन सात शहरों में जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर, भरतपुर और उदयपुर शहर शामिल हैं. राजस्थान में 500 इलेक्ट्रिक बसें उपलब्ध करवाई जाएगी, जिससे आम लोगों को प्रदूषण रहित आवागमन की सुविधा उपलब्ध होगी.
पिछले महीने ही केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बताया था कि दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस राष्ट्रीय राजमार्ग पर इलेक्ट्रिक केबल डालकर इलेक्ट्रिक बस चलाई जाएगी, जिससे दिल्ली से जयपुर की दूरी दो घंटे में पूरी की जाएगी. साथ ही इसका किराया डीजल बस की तुलना में 30 फीसदी कम होगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि यह काम नवंबर 2024 तक पूरा हो जाएगा और उसके बाद दिल्ली से जयपुर का सफर दो घंटे में पूरा हो जाएगा, यह मैं आपको भरोसा दिलाता हूं.
राजस्थान में कितनी इलेक्ट्रिक बसों का होगा संचालन
इन बसों का संचालन और संधारण स्वायत्त शासन विभाग की ओर से कंवर्जेन्स एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) के माध्यम से किया जाएगा. 500 इलेक्ट्रिक बसों में से जयपुर में 300, जोधपुर में 70, कोटा में 50, उदयपुर में 35, अजमेर में 30 और बीकानेर-भरतपुर में 15 ई-बसों का संचालन किया जाएगा. इन इलेक्ट्रिक बसों के चलने से न केवल पर्यावरण प्रदूषण का लेवल घटेगा बल्कि पेट्रोल और डीजल की खपत भी घटेगी.
दिल्ली में भी इलेक्ट्रिक बसों पर जोर
दिल्ली बजट मे इस बार नई EV बसों के लिए 510 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. 1650 इलेक्ट्रिक बसों के साथ दिल्ली दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक गाड़ियों वाला शहर है. साल 2025 तक दिल्ली में दस हजार इलेक्ट्रिक बसों की फ्लीट हो जाएगी.
क्या हैं इलेक्ट्रिक बसों की खूबियां
इलेक्ट्रिक बसों का चलन धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है. इसके पीछे का कारण इन बसों की खूबियां हैं. इलेक्ट्रिक बसों के चलने से न केवल प्रदूषण से राहत मिलती है बल्कि पेट्रोल और डीजल की खपत भी घटती है. डीजल वाहनों से हानिकारक स्मोक और पेट्रोल वाहनों से कार्बन मोनो ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन निकलती है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है. यही वजह है कि धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है.
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