RDE Norms: क्या हैं नए RDE नॉर्म्स, जानिए किस तरह करते हैं काम
कुछ समय पहले तक हुंडई आई 20, हुंडई वरना, होंडा सिटी, महिंद्रा मराजो जैसी कारों में 1.5 L डीजल इंजन का इस्तेमाल किया जाता था, जिन्हें अब धीरे धीरे बंद किया जा चुका है.
BS 6 Stage 2: पूरी दुनिया में वाहनों के लिए उत्सर्जन कड़े हो रहे हैं, साथ ही साथ भारत में भी इस दिशा में गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं. भारत में पहले BS4 से सीधे BS6 मानकों को लागू किया गया है. अब देश में इसके दूसरे चरण को भी लागू कर दिया गया है. जिसके अनुसार लगभग सभी कम्पनियों ने अपने वाहनों को अपडेट कर दिया है. 1 अप्रैल से लागू होने वाले नए मानदंडों के साथ, कार कंपनियों को अपने कई मॉडल्स और इंजन को हमेशा के लिए बंद करना पड़ा है. .
क्या है आरडीई मानदंड?
आरडीई मानदंड या रीयल-टाइम ड्राइविंग उत्सर्जन मानदंड के लिए वाहन में वास्तविक समय में कार से निकलने वाले उत्सर्जन की निगरानी के लिए ऑनबोर्ड सेल्फ-डायग्नोस्टिक डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है. यह डिवाइस कैटलिस्ट कनवर्टर और O2 सेंसर के जरिए उत्सर्जन की निगरानी करता है. इसके बाद वाहनों के लिए लैब टेस्टिंग की आवश्यकता खत्म हो जाएगी. यह देश के लिए BS6 स्टेज 2 मानदंडों की दिशा में बहुत बड़ा कदम है.
बंद हो रहे हैं डीजल इंजन?
कुछ समय पहले तक हुंडई आई 20, हुंडई वरना, होंडा सिटी, महिंद्रा मराजो जैसी कारों में 1.5 L डीजल इंजन का इस्तेमाल किया जाता था, जिन्हें अब धीरे धीरे बंद किया जा चुका है. क्योंकि इन डीजल इंजनों को नए RDE मानदंडों के अनुसार अपडेट करना काफी महंगा है. इन इंजनों में फिलहाल लीन एनओएक्स ट्रैप तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. जिसकी लागत अब बढ़ चुकी है. साथ ही नए और कड़े उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने के लिए कार निर्माताओं को सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिडक्शन (SCR) तकनीक का उपयोग करना पड़ेगा, जो एक डीजल इंजन को और अधिक महंगा बनाता है. साथ ही पिछले कुछ समय से छोटे डीजल इंजन की लगातार कम होती डिमांड के कारण भी कई वाहन कंपनियों ने अपने डीजल इंजन वाले मॉडल्स की बिक्री बंद कर दी है.
जारी रहेंगे अधिक क्षमता वाले डीजल इंजन
जहां छोटे डीजल इंजनों को नए नियमों के अनुसार अपडेट करना महंगा है, वहीं 2.0-लीटर यह इससे अधिक क्षमता वाले बड़े इंजनों को पहले ही SCR के साथ अपडेट किया जा चुका है, जिससे वे BS6 स्टेज 2 के मानदंडों को पूरा करते हैं. इन इंजनों का इस्तेमाल महिंद्रा स्कॉर्पियो-एन, महिंद्रा थार, टाटा हैरियर, सफारी, जीप कंपास और हुंडई टकसन जैसी बड़ी एसयूवी कारों में इस्तेमाल किया जाता है.