(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Real Driving Emission: 'रियल ड्राइविंग एमिशन' क्या है? क्यों लागू होने वाला है? आसान भाषा में समझ लीजिये
सरकार पहले ही देश में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल गाड़ियों को व्हीकल क्रैश पॉलिसी के तहत रजिस्ट्रेशन रद्द कर, उन्हें सड़क से हटाने का काम शुरू कर चुकी है.
Real Driving Emission Updates in Vehicles: भारत में 1 अप्रैल से RDE यानि रियल ड्राइविंग एमिशन नियम लागू हो होने जा रहे हैं. जिसकी वजह से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में अफरा-तफरी मची हुई है. क्योंकि RDE के लागू होते ही वाहन निर्माता कंपनियां उन्हीं वाहनों को बेच पाएंगी जिनमें ये सुविधा उपलब्ध होगी. सरकार इसे क्यों लागू कर रही है? और इससे क्या फायदा होगा आगे हम इसकी जानकारी देने जा रहे हैं.
रियल ड्राइविंग एमिशन (RDE)
आरडीई फीचर के साथ आने वाली गाड़ियों के उत्सर्जन पर उसी समय नजर रखी जा सकेगी, जिस समय गाड़ी चल रही होगी. जबकि अभी इसके लिए किसी लैब का सहारा लेना पड़ता है.
क्यों किया जा रहा लागू?
भारत में वाहनों से होने वाले प्रदुषण में कमी लाने के लिए साल 2000 से बीएस मानक यानि भारत स्टेज मानक की शुरुआत कर चुकी है और 2020 तक इसके 6 चरण लागू कर चुकी है. अब 1 अप्रैल 2023 से पूरे देश में आरडीई फीचर वाले वाहनों की ही बिक्री की जा सकेगी. ताकि उससे होने वाले प्रदुषण पर नजर रखी जा सके.
आरडीई लागू होने से फायदा
1 अप्रैल 2023 के बाद देश में केवल RDE अपडेटेड इंजन वाली गाड़ियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी, दूसरी तरफ सरकार पहले ही देश में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल गाड़ियों को व्हीकल क्रैश पॉलिसी के तहत रजिस्ट्रेशन रद्द कर, उन्हें सड़क से हटाने का काम शुरू कर चुकी है. जिससे प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी.
महंगे होंगे वाहन
गाड़ियों में 'रियल ड्राइविंग एमिशन' अपडेट के चलते वाहन निर्माता कंपनियों को अपने वाहनों में अपडेट करना होगा, जिसका सीधा असर इनकी कीमत पर पड़ेगा. हालांकि ये अपडेट प्रकृति और पर्यावरण के लिए तो अच्छा है. लेकिन इस बदलाव की कीमत वाहन खरीदने वाले ग्राहकों को चुकानी होगी.