एमजी मोटर इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजीव छाबा ने कहा कि इस वर्ष कच्चे माल और सेमीकंडक्टर की कीमतों में वृद्धि के साथ यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखला संबंधी व्यवधान भारत के वाहन उद्योग की दिशा तय करेंगे और वृद्धि को प्रभावित करेंगे. उन्होंने कहा कि घरेलू वाहन उद्योग को 2022 में 10 फीसदी से अधिक वृद्धि की आशा थी लेकिन अगर अभी जैसे हालात जारी रहते हैं तो समय के साथ मांग पर इसका असर पड़ सकता है.


राजीव छाबा ने कहा, ‘‘जनवरी, फरवरी से पहले भारतीय वाहन उद्योग को उम्मीद थी कि साल 2022 सर्वश्रेष्ठ साल साबित होगा और हम 2018 में हासिल की गई वृद्धि को भी पार कर जाएंगे. उम्मीद थी कि इस साल (2022) बाजार 10 फीसदी से ज्यादा की दर से वृद्धि करेगा. अगर अप्रैल की बात करें, तो हालात ठीक लग रहे हैं लेकिन मैं मांग के लिए प्रतिकूल माहौल महसूस कर रहा हूं.’’


गौरतलब है कि वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 में विभिन्न श्रेणी के वाहनों की कुल थोक बिक्री 2,67,58,787 यूनिट थी जबकि 2021 में डीलरों को भेजे गए कुल वाहनों की संख्या 1,84,92,506 थी. यह 2020 के मुकाबले छह प्रतिशत अधिक है. साल 2020 में 1,74,70,854 वाहनों डीलरों को भेजे गए थे.


छाबा ने अपने अनुमान के पीछे का कारण भी बताया. उन्होंने कहा, ‘‘धातुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण लागत बहुत तेजी से बढ़ रही है. चिप के दाम भी बढ़ गए हैं. यूक्रेन संकट और अन्य भू-राजनीतिक कारणों से आपूर्ति श्रृंखला में बहुत ज्यादा व्यवधान है. इसका वाहन उद्योग पर असर पड़ेगा, आगे जाकर मांग घट सकती है.’’


राजीव छाबा ने कहा, "अभी बाजार में इसका प्रभाव नहीं दिख रहा है लेकिन इस तरह के दबाव, जो मूल रूप से वैश्विक मुद्दे हों, अगर जारी रहते हैं तो उनका असर निश्चित तौर पर पड़ेगा.’’


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