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एक हाथ से पहाड़ियों पर गाड़ी दौड़ाकर जांबाजी की मिसाल बन रहा कश्मीर का ये नौजवान
अनंतनाग जिले के रहने वाले सायर अब्दुल्ला का एक हाथ बचपन में हादसे का शिकार हो गया था. इसके बावजूद सायर कार रेसिंग क्लब में शामिल हुए हैं. यहीं नहीं वे पहाड़ियों पर एक हाथ से कार ड्राइव करते हैं.
कश्मीर: गाडी ड्राइव करना एक मेहनत वाला काम है और कार रेसिंग उस से भी ज्यादा मुश्किल लेकिन एक्सट्रीम ड्राइविंग इंसान के हौसले का पूरा इम्तिहान लेती है. सड़क से दूर ऊबड़-खाबड़ इलाकों में गाडी चलने को एक्सट्रीम ड्राइविंग कहते है और केवल एक्सपर्ट ड्राइवर ही यह काम करते हैं. लेकिन दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के एक 23 साल के युवक ने इन सभी धारणाओं को तोड़ दिया है और अपनी शारीरिक अक्षमता के बावजूद भी एक्सट्रीम मोटर स्पोर्ट में अपना नाम कमाया है. यह युवक है सायर अब्दुल्ला. आइए जानते हैं उनकी कहानी.
एक्सीडेंट का शिकार हो गए थे सायर सायर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के विसु में रहते हैं और आज कल वकालत की पढ़ाई कर रहे हैं. ऊर्जा से भरे सायर को गाड़ी चलाना अच्छा लगता है हालांकि ये काम उनके लिए इतना आसान नहीं हैं. 11 साल की उम्र में सायर एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे. स्कूल जाते हुए जब वह बस में चढ़ रहा था तो एक्सीडेंट में उसका दाहिना बाज़ू टूट गया. इलाज हुआ लेकिन जख्म ठीक नहीं हुए और आखिर मजबूर होकर कुछ दिनों बाद सायर की जान बचाने के लिए उसका हाथ काटना पड़ा. लेकिन यह एक्सीडेंट भी सायर की हिमत और हौसले को नहीं तोड़ पाया और कुछ सालों के बाद जब सायर ड्राइविंग लाइसेंस लेने की उम्र पार गए तो उन्होंने गाड़ी से अपना रिश्ता जोड़ लिया और एक हाथ से ही ड्राइविंग शुरू कर दी. एक्सीडेंट के बाद खुदको संभाला सायर के मुताबिक बचपन से ही उनको गाड़ियों से प्यार था और एक्सीडेंट के बाद कुछ दिनों तक वह सदमे में रहे, लेकिन फिर कुछ सालों बाद उस ने अपने आप को संभालते हुए ड्राइविंग सीखना शुरू किया. पहले छोटी दूरी तक गाड़ी चलाई और धीरे-धीरे लंबी दूरी तक गाड़ी चलाना शुरू किया और इसी बीच सायर की मुलाकात कश्मीर में ऑफरोडिंग क्लब चलाने वाले साजिद अली से हुई. इसके बाद सायर को जिंदगी का नया मकसद मिल गया. पहले सायर ने कश्मीर ऑफरोड क्लब के साथ नेविगेटर के तोर पर चलना शुरू किया और फिर खुद भी 4x4 car चलाना शुरू किया. आज सायर पहाड़ी इलाके में ऊबड़-खाबड़ जमीन पर एक हाथ से ऐसे गाडी दौड़ा रहे हैं. दुर्गम जगहों पर गाड़ी चलाना है चुनौती KASHMIR OFFROAD CLUB के मालिक साजिद अली के अनुसार सड़क से दूर दुर्गम जगहों में गाड़ी चलाना अपने आप में काफी मुश्किल काम है और ड्राइवर और गाड़ी दोनों के लिए यह बड़ी आजमाइश का काम होता है लेकिन सायर के उत्साह और हिमत के सामने यह सभी धारणाएं ध्वस्त हो जाती हैं. सायर के क्लब में आने से हम सब शारीरिक तौर पर सक्षम लोगों के सामने अब वह एक चलेंज है. दिव्यांग लोगों को करना चाहते हैं मोटिवेट सायर के अनुसार वह ऑफरोडिंग को एक पैशन के तौर पर ले रह हैं और वह ऐसे लोगों को मोटीवेट करना चाहते हैं जो अपने शरीर के एक अंग के खो जाने के बाद जीना ही छोड़ देते हैं. सायर इस के लिए किसी भी हद्द तक जाने को तैयार हैं. उन्होंने पिछले महीने अपनी पहली 4X4 जिप्सी गाड़ी खरीदी और इस का नाम सायर ने "Blizzard" रखा है. इसका मतलब होता है बर्फीला तूफ़ान. सायर एक तूफ़ान की तरह अब राष्ट्रीय स्तर के कम्पटीशन में हिस्सा लेना चाहते हैं और इस काम में उनका परिवार भी उनके साथ है.ये भी पढ़ें
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