कोरोना संकट के बीच सेकेंड हैंड कारों की बढ़ी डिमांड, बाजार में आया इतना फीसदी उछाल
लॉकडाउन के बाद सेकेंड हैंड कारों की बिक्री में इजाफा हुआ है. लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जगह अपना व्हीकल इस्तेमाल करना चाहते हैं और बजट कम होने की वजह से सेकेंड हैंड कारें ही खरीद रहे हैं.
नई दिल्ली: पिछले कुछ समय से ऑटो इंडस्ट्री की हालत खस्ता रही हो लेकिन कोरोना संकट के बीच सेकेंड हैंड कारों की बिक्री में इजाफा देखने को मिला है. एक रिपोर्ट में ये पाया गया है कि अप्रैल से जुलाई के बीच पुरानी कारों की बिक्री में तेजी आई है. इस साल फरवरी के मुकाबले ऐसी कारों की सेल में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
एक सर्वे के मुताबिक इन कारों में सबसे ज्यादा डिमांड सेडान की रही और सेडान के बाद एसयूवी फिर हैचबैक कारों को सबसे ज्यादा लोगों ने पसंद किया. एक सर्वे के अनुसार 55 प्रतिशत लोग पर्सनल गाड़ियों का यूज इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि अब खुद की गाड़ी खरीदने का बजट कम हो गया है.
सेकेंड हैंड कारों की बढ़ी डिमांड
एक रिपोर्ट के मुताबिक नई कारों की बिक्री की तुलना में सेकेंड हैंड कारों की बिक्री में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है. लोग कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अवॉइड कर रहे हैं. ऐसे में कम बजट होने की वजह से लोग सेकेंड हैंड कारें खरीदना पसंद कर रहे हैं.
कम हुआ कार का बजट
सर्वे के अनुसार कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लगे लॉकडाउन के बाद अब लोगों का कार खरीदने का बजट कम हो गया है. 72 फीसदी लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपनी कार का बजट घटाया है. 39 फीसदी लोग ऐसे हैं जो नई कार के लिए तीन लाख रुपये से कम खर्च करना चाहते हैं और 24 प्रतिशत लोग नई कार के लिए चार से सात लाख रुपये खर्च करना चाहते हैं. वहीं सेकेंड हैंड कारों के लिए 50 फीसदी लोगों का बजट तीन लाख रुपये से कम है. इसके अलावा जो लोग पुरानी कारों के लिए चार से सात लाख रुपये खर्च करना चाहते हैं उनका प्रतिशत 20 है.
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