Electric Vehicles: भारत में तेजी से बढ़ रही है इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की बिक्री, पिछले एक साल में बिके इतने वाहन
ईवी उद्योग निकाय ने बताया कि बैटरी और मोटर जैसे महत्वपूर्ण घटकों के लिए पर्याप्त स्थानीय विनिर्माण क्षमता का अभाव आपूर्ति श्रृंखला की प्रमुख समस्याओं में से एक है.
Electric Two Wheelers Sales: सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ने सोमवार को यह जानकारी दी है कि वित्त वर्ष 2022-23 में इसके पिछले वर्ष की तुलना में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री ढाई गुना बढ़कर 8,46,976 यूनिट्स हो गई है. जबकि 2021-22 में ई-टू-व्हीलर्स की कुल 3,27,900 यूनिट के बिक्री हुई थी. वाहन निर्माता कम्पनियों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) ने कहा कि वित वर्ष 2023 में 25 किमी/घंटा से कम स्पीड वाले 1.2 लाख ई-स्कूटर की बिक्री हुई है. जबकि इससे अधिक स्पीड वाले इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की 7,26,976 यूनिट की बिक्री हुई है. जबकि 2021-22 में, कम स्पीड वाले 75,457 ई-स्कूटर और हाई स्पीड वाले 2,52,443 ई-स्कूटर की बिक्री हुई थी.
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ने कहा कि वित्त वर्ष 23 में नीति आयोग और विभिन्न रिसर्च आर्गेनाइजेशन के निर्धारित न्यूनतम लक्ष्य से 25 प्रतिशत से अधिक की वार्षिक कमी के साथ इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स को अपनाने की प्रक्रिया समाप्त हो गई है.
सब्सिडी में रोक से कम हुई बिक्री
इंडस्ट्री निकाय ने कहा कि योजना के तहत चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (PMP) के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने के लिए FAME II के तहत सब्सिडी रोके जाने के कारण इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स की बिक्री पर प्रभाव पड़ा है. पिछले वित्त वर्ष में लोकलाइजेशन में देरी के बहाने ग्राहकों को मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के बहुमत से पहले ही 1,200 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी रोक दी गई थी.
एसएमईवी ने कहा कि प्रीमियम-एंड में काम कर रहे ओईएम के अन्य 400 करोड़ रुपये भी फेम के मानदंडों को न मानने के आरोप के कारण फंस गए हैं, जिससे वर्किंग फाइनेंस की कमी के कारण उनके इंडस्ट्री पर असर पड़ा है. इस समय देश में 16 कंपनियां ऐसी EV निर्माता कंपनियां हैं, जो 95 प्रतिशत से अधिक इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करती हैं. वित्त वर्ष 24 में अपने व्यवसायों के लिए योजना को सक्षम बनाने में लिए FAME PMP की योजना को मंजूरी दे दी गई है".
SMEV ने क्या कहा?
SMEV के महानिदेशक सोहिंदर गिल ने कहा, "FY23 में केवल 5 प्रतिशत एडाप्टेशन और 30 प्रतिशत के अल्पकालिक लक्ष्य और 2030 तक 80 प्रतिशत EV अपनाने का मिशन एक अपने जैसा लगता है. हालांकि, अभी भी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है, लेकिन उद्योग को वापस पटरी पर लाने के लिए पीएमपी पात्रता मानदंड को 2 साल के लिए बढ़ाना होगा. SMEV ने बताया कि FAME योजना को जारी रखने का सरकार का निर्णय एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो पूरे उद्योग के भविष्य का फैसला करेगा.
ईवी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को प्रोत्साहित करने और इसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए, कम से कम 3-4 वर्षों के लिए FAME योजना का विस्तार करना महत्वपूर्ण है.
कंपोनेंट्स की कमी भी बनी वजह
ईवी उद्योग निकाय ने बताया कि बैटरी और मोटर जैसे महत्वपूर्ण घटकों के लिए पर्याप्त स्थानीय विनिर्माण क्षमता का अभाव आपूर्ति श्रृंखला की प्रमुख समस्याओं में से एक है. इसमें कहा गया है, "कोविड के दौरान सप्लाई चेन में रुकावट के कारण, उद्योग को हाई क्वालिटी वाले कंपोनेंट्स की कमी का सामना करना पड़ा है."
SMEV ने सरकार से मौजूदा सब्सिडी तंत्र में सुधार करने का भी अनुरोध किया है, जिसके तहत निर्माता ग्राहक की सब्सिडी पास करते हैं और बिक्री के बाद वे सरकार से इसका दावा करते हैं. फिलहाल मौजूदा सिस्टम में पारदर्शिता का अभाव है, जिसके कारण ओईएम बिक्री में हेर-फेर कर सब्सिडी का दावा कर सकते हैं, इसलिए एक प्रत्यक्ष सब्सिडी सिस्टम की शुरुआत की सिफारिश की गई है जिससे सरकार ग्राहक को सीधे भुगतान करने की अनुमति देता है.