धोखा देने वाले उपकरण के इस्तेमाल मामले में स्कोडा फॉक्सवैगन को नहीं मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने यह फैसला सुनाया और ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर की याचिका को खारिज कर दिया. कंपनियां पॉल्युशन एमिशन टेस्ट में हेरफेर करने के लिए सॉफ्टवेयर आधारित धोखा देने वाले उपकरण का इस्तेमाल करती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जर्मन कार मैन्युफैक्चरर स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एक कस्टमर द्वारा उसकी डीजल कार में कथित रूप से 'धोखा देने वाले उपकरण' के इस्तेमाल पर उत्तर प्रदेश में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी.
कंपनी पर ये है आरोप चीफ जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने यह फैसला सुनाया और ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर की याचिका को खारिज कर दिया. कंपनियां पॉल्युशन एमिशन टेस्ट में हेरफेर करने के लिए सॉफ्टवेयर आधारित धोखा देने वाले उपकरण का इस्तेमाल करती हैं. फॉक्सवैगन पर कुछ साल पहले ग्लोबल लेवल पर इस तरह के काम करने का आरोप लगा था.
NGT में की गई थी शिकायत इससे पहले चार नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था कि मामले की जांच क्यों नहीं होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर ने दलील दी कि इस बारे में दिसंबर 2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में शिकायत की गई थी और मार्च 2019 में उस पर जुर्माना लगाया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया था.
सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत इस संबंध में उत्तर प्रदेश में भी एक याचिका दर्ज की गई, जिसे रद्द कराने के लिए कंपनी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाई कोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने से इनकार करते हुए स्कोडा की याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां उसे कोई राहत नहीं मिल सकी.
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