SUV Cars Sales Report April 2024: महंगी एसयूवी कारें केवल बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी खूब पसंद की जा रही हैं. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी अब जमकर महंगी गाड़ियों की खरीद कर रहे हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में पैसेंजर व्हीकल की बिक्री के कुछ आंकड़े जारी किए गए हैं. जिसमें कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में लोगों की बाइंग पॉवर में बढ़ोतरी हुई है. जिस कारण मारुति सुजुकी, हुंडई, टाटा मोटर्स और होंडा की एसयूवी की सेल्स में भी इजाफा देखने को मिला है.


इन चार ब्रांड्स की है सबसे ज्यादा डिमांड


ग्रामीण इलाकों में बहुत की कंपनियों के एसयूवी की बिक्री में इजाफा हुआ है. इस साल के पहले चार महीनों में एक्सटर, वेन्यू और क्रेटा जैसी एसयूवी की कुल बिक्री में 67 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी थी. जबकि पिछले एक वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में फर्स्ट टाइम कार बायर्स की संख्या में 44 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.


मारुति ब्रेजा है बेहद पॉपुलर


पिछले फिस्कल ईयर 2023-24 में, ग्रामीण इलाकों में हुई कार बिक्री में टाटा मोटर्स की एसयूवी की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत थी. वहीं ग्रामीण इलाकों में मारुति सुजुकी ब्रेजा की बिक्री की हिस्सेदारी 43 प्रतिशत थी. इसके अलावा होंडा कार्स इंडिया ने भी यह जानकारी दी है कि बताया कि टियर-III और आस-पास के बाजारों में उसकी नई एसयूवी एलिवेट की एक-चौथाई सेल हुई है.


क्यों बढ़ी बिक्री?


ग्रामीण इलाकों में महंगी एसयूवी गाड़ियों की बढ़ी हुई मांग का कारण इनकम में बढ़ोतरी और सड़कों की बेहतर स्थिति को माना जा रहा है. रूरल सर्विस एरिया में एम्प्लॉयमेंट में वृद्धि, बेहतर रोड कनेक्टिविटी और ज्यादा आय कारों की बिक्री को बढ़ा रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में एसयूवी की डिमांड बढ़ गई है. 


बढ़ी हुई आय है कारण


भारतीय रिजर्व बैंक की परिभाषा के अनुसार 49,000 (टियर III-VI) से कम आबादी वाले क्षेत्रों को ग्रामीण क्षेत्र माना जाता है. जबकि भारतीय स्टेट बैंक की एक स्टडी बताती है कि वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 23 के बीच रूरल पावर्टी में 440 आधार अंकों की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि शहरी गरीबी में 170 आधार अंकों की कमी आई है, इससे गांव और शहर के बीच आय का डिफरेंस घटा है. वहीं, ग्रामीण गरीबी वित्त वर्ष 2013 में घटकर 7.2 प्रतिशत रह गई, जो वित्त वर्ष 2012 में 25.7 परसेंट थी, जबकि शहरी गरीबी इस समय में 13.7 परसेंट से घटकर 4.6 परसेंट रह गई.


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