वैसे तो कार के सभी पार्ट्स जरूरी हैं लेकिन हम सभी सबसे ज्यादा देखभाल करते हैं इंजन की. इंजन के अलावा कार के टायर्स भी फिट होने चाहिये नहीं तो कोई बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है. कार के टायर अगर सही कंडीशन में हैं तो ड्राइविंग भी स्मूद रहती है और टायर की वजह से किसी तरह के रोड एक्सीडेंट से भी सुरक्षित रहते हैं. खासतौर पर स्पीड वाले हाईवे पर तो टायर फटने की वजह से कई बार बड़े हादसे भी हो जाते हैं.
कार में होते हैं दो टाइप के टायर
वैसे तो नई कारों में ट्यूबलेस टायर आते हैं यानी वो एक ही टायर होता है. ट्यूबलेस टायर में पंक्चर होने पर धीरे धीरे हवा निकलती है और ये फ्रिक्शन होने या हवा कम ज्यादा होने पर फटते भी कम हैं. आजकल लोग ट्यूबलेस टायर ही प्रिफर करते हैं और नई कारों में अब यही टायर आते हैं. दूसरे तरह के टायर वो होते हैं जो ट्यूब के साथ आते हैं. इनमें एक अंदर ट्यूब होती है और ऊपर टायर. पहले पुरानी कारों में ट्यूब वाले टायर होते थे लेकिन इन टायरों में पंक्चर ज्यादा होते हैं और पंक्चर होने पर एकदम ट्यूब में से हवा निकल जाती है. इनमें ज्यादा फ्रिक्शन होने या हवा का प्रेशर कम ज्यादा होने पर फटने का डर भी बना रहता है.
टायर्स की कैसे करें देखभाल
- हमेशा कार की टाइम पर सर्विस करायें ताकि बाकी पार्ट्स के साथ टायर्स भी मैकेनिक चेक कर ले और कोई कमी है तो उसे टाइम पर फिक्स कर दें
- हाइवे या लंबी ड्राइव पर जाने से पहले टायर में एयर प्रेशर जरूर चेक करें. आपकी कार के टायर की लिमिट के हिसाब से हवा का दबाव रखें
- आमतौर पर मैकेनिक या कार एक्सपर्ट 40 हजार किलोमीटर के बाद टायर बदल देने की सलाह देते हैं. अगर टायर की कंडीशन अच्छी है तो भी 50 हजार किमी के बाद टायर जरूर बदलें
- हर कार की अपनी स्पीड लिमिट होती है और कार उसी स्पीड लिमिट में चलानी चाहिये. स्पीड लिमिट से ऊपर जाने पर टायर खराब होते हैं और एक्सीडेंट भी हो सकता है
- हर कार की और उसके टायर्स की भी वेट सहने की लिमिट होती है ऐसे में टायर के लोड के हिसाब से ही काम में सामान रखें
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