Tesla in India: भारत सरकार और टेस्ला इंक के बीच लंबे समय से चली आ रही वार्ता में कोई भी स्थायी समझौता नहीं हो पाया है, फिर भी, अब समाधान के संकेत उभरे हैं क्योंकि दोनों पक्ष अपने मतभेदों पर खुलकर बात कर रहे हैं और एक निर्णायक समझौते के करीब पहुंच रहे हैं. नए समझौते के अनुसार, टेस्ला 2024 से भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारों को आयात शुरू करने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा कंपनी ने अगले दो सालों के भीतर यहां एक मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट को स्थापित करने की अनुमति प्राप्त कर ली है.


गुजरात में होगा टेस्ला का प्लांट सेटअप?


टेस्ला के प्लांट के लिए स्थान पर विचार-विमर्श जारी है, जिसमें गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों पर विचार किया जा रहा है. ये राज्य इलेक्ट्रिक वाहनों और निर्यात के लिए अच्छी तरह से स्थापित इकोलॉजी सिस्टम होने का दावा करते हैं. इस संबंध में आधिकारिक घोषणा जनवरी 2024 में होने वाले वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में होने की उम्मीद है.


होगा स्थानीय निर्माण एवं निवेश


शुरुआती इन्वेस्टमेंट के आंकड़ों से पता चलता है कि टेस्ला इंक मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट की स्थापना में लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करने वाली है. इसके अलावा, कंपनी 15 अरब अमेरिकी डॉलर तक के अनुमानित खर्च के साथ ऑटो पार्ट्स और एलिमेंट्स की स्थानीय खरीद में बढ़ोतरी पर भी विचार कर रही है. रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि टेस्ला निर्माण लागत पर नियंत्रण रखने के लिए भारत में भी बैटरी निर्माण के विकल्प खोज सकती है. हालांकि अंतिम निर्णय होना अभी भी बाकी है. 


सरकार दे रही है प्रोत्साहन


सरकारी अधिकारियों ने हाल ही में पुष्टि की है कि स्थानीय ईवी मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और सुविधा प्रदान करने के लिए भारत सरकार से बढ़ाया गया कोई भी प्रोत्साहन विदेशी और घरेलू दोनों निवेशकों के लिए समान होगा. सरकार वर्तमान में घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए एक नीति तैयार कर रही है, जिसमें इस उद्योग के विकास पर बारीकी से नजर रखी जा रही है. 


अन्य ओईएम ने जताई चिंता


इंपोर्ट ड्यूटी में संभावित कटौती को लेकर कई ओईएम ने चिंताएं जताई हैं, जिससे टेस्ला को लाभ मिल सकता है. भारत में टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा, पहले से ही देश में ईवी निर्माण में लगे हुए हैं. वहीं भारत की अग्रणी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी और हुंडई-किआ ने भी बैटरी असेंबली प्लांट्स में पर्याप्त निवेश की तैयारी की है. जिस कारण वर्ष 2030 तक ये कंपनियां अपने कई वाहनों को सड़कों पर लाने वाली हैं.


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