Traffic Challan: अब ट्रैफिक चालान के लिए नहीं लगाने पड़ेंगे के कोर्ट के चक्कर, घर बैठे ही वर्चुअल ट्रैफिक कोर्ट से निपटाएं मामले
वर्चुअल ट्रैफिक कोर्ट में मामलों से निपटने के लिए पांच सचिवीय कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, वर्तमान में प्रत्येक वर्चुअल कोर्ट में एक कर्मचारी के साथ केवल एक न्यायाधीश काम कर रहे हैं.
Virtual Traffic Court in Delhi: टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार एक सरकारी कर्मचारी, अभिमन्यु ने 2020 की शुरुआत में यातायात नियम के उल्लंघन के लिए मामला दर्ज किए जाने और जुर्माना भरने के बाद लंबी कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. बार-बार अदालत के चक्कर काटना उतना ही मुश्किल था, जितनी लंबी कतारें, कागजी कार्रवाई और खचाखच भरे अदालत कक्ष में अनिश्चित इंतजार करना. हालांकि, अंत में, उसे उल्लंघन पर अपनी स्थिति समझाने और अपने घर से आराम से ऑनलाइन एक छोटा सा जुर्माना भरने में केवल कुछ मिनट की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ही लगी. दिल्ली उच्च न्यायालय के बनाए गए एक डिजिटल इकोलॉजी के कारण उनके मामले की कार्यवाही का पालन करने में बहुत मदद मिली.
निपटाए जा रहे हैं ज्यादा मामले
यह एक कांसेप्ट है जिसका उद्देश्य अदालत में याचियों या वकीलों की उपस्थिति को खत्म करना और मामलों का ऑनलाइन निपटारा करना है. ये अदालतें उन लोगों के लिए हैं जो जुर्माना भरना चाहते हैं, ट्रैफिक पुलिस नोटिस का विरोध करना चाहते हैं या समझौता करना चाहते हैं, ये अदालतें कम संसाधनों लेकिन बेहतर समय के साथ मामलों को तेजी से निपटाने में मदद करती हैं. अप्रैल 2019 से इस साल मध्य नवंबर तक, वर्चुअल ट्रैफिक चालान से निपटने के लिए दिल्ली में स्थापित 11 अदालतों ने 2.1 करोड़ से ज्यादा याचिकाओं का निपटारा किया है.
क्या है प्रक्रिया
उच्च न्यायालय के अधिकारियों ने बताया कि ट्रैफिक बुकिंग को पेपरलेस तरीके से निपटाने और लगाए गए जुर्माने के ई-भुगतान को एनेबल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति ने वर्चुअल कोर्ट प्रणाली पर विचार किया गया था. अदालत प्रशासन ने दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर एक मॉड्यूल तैयार किया है जो अपराधी को ट्रैफिक अपराध के लिए चालान का एक एसएमएस नोटिस भेजता है, जिसके बाद उसके पास ऑनलाइन जुर्माना भरने या नोटिस का विरोध करने का विकल्प होता है. इसके बाद यदि उल्लंघनकर्ता अपराध स्वीकार करना चुनता है, तो व्यक्ति को ई-भुगतान गेटवे पर रीडायरेक्ट कर दिया जाता है और यदि चालान का विरोध किया जाता है, तो मामला ऑटोमेटिक ही निपटान के लिए संबंधित ट्रैफिक कोर्ट को भेज दिया जाता है. वर्चुअल ट्रैफिक कोर्ट में मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार पीठासीन अधिकारियों की ओर से जुर्माना लगाने या माफ किए जाने का निर्देश दिया जाता है. इसके बाद उल्लंघनकर्ता अदालत में आए बिना ऑनलाइन जुर्माना अदा कर सकते हैं.
हालांकि, यह सुविधा दिल्ली कानूनी सेवा प्राधिकरण के आयोजित ट्रैफिक लोक अदालत से बिल्कुल अलग है, जहां जुर्माना राशि को कम या माफ किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए उल्लंघनकर्ता को शारीरिक रूप से उपस्थित होना होगा. ऑनलाइन अदालतों का लक्ष्य उन लोगों के लिए कार्यवाही को आसान बनाना है जो बुकिंग का विरोध करना चाहते हैं या जुर्माना भरना चाहते हैं. वर्चुअल कोर्ट के लिए एक लिंक जिला अदालतों की वेबसाइट पर उपलब्ध है ताकि उल्लंघनकर्ता www.vcourts.gov.in पर ऑनलाइन उपस्थित हो सके. उल्लंघनकर्ता को डिजिटल ट्रैफ़िक कोर्ट की सुनवाई की तारीख और डिटेल्स के बारे में भी सूचित किया जाता है.
लोगों को मिल रहा है सुविधाजनक सिस्टम
सेटअप से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि उल्लंघनकर्ता वर्चुअल कोर्ट में डॉक्यूमेंट्स पेश कर सकता है, सबमिशन कर सकता है या सबूत दे सकता है. यदि अदालत जुर्माना लगाती है, तो इसका भुगतान फिजिकल कोर्ट में जाए बिना ऑनलाइन किया जा सकता है. मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कई अपराधों के लिए ड्राइवर और मालिक दोनों पर एक साथ मामला दर्ज किया गया है. वर्चुअल अदालत में उपस्थिति से समय बचाने में मदद मिलती है क्योंकि न तो ड्राइवर और न ही मालिक को अदालत में फिजिकल तौर पर उपस्थिति के लिए अलग से समय रखना पड़ता है. उच्च न्यायालय ने पहले कहा था, "यह अनावश्यक परेशानियों और उत्पीड़न के बिना चालान का निपटान करने का सबसे सुविधाजनक तरीका है. यह छोटे ट्रैफिक चालान के संबंध में कोर्ट के कीमती समय को भी बचाता है." वकील रजत कात्याल ने कहा कि, "अदालतों में हर दिन बड़ी संख्या में लोग आते हैं और मुकदमेबाज, अदालत में पेश होने से तनावग्रस्त होते हैं. वर्चुअल अदालतों के कारण कम से कम परेशान लोगों की इतनी भीड़ को एक निश्चित दिन पर यात्रा करके अदालत में नहीं आना पड़ता है, यह उनके लिए बड़ी सुविधा है और अदालतों पर दबाव भी कम होता है.”
लगातार हो रहा है सिस्टम में सुधार
वर्चुअल ट्रैफिक कोर्ट में मामलों से निपटने के लिए पांच सचिवीय कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, वर्तमान में प्रत्येक वर्चुअल कोर्ट में एक कर्मचारी के साथ केवल एक न्यायाधीश काम कर रहे हैं. हालांकि यह मानव संसाधन और व्यय के मामले में किफायती है, लेकिन सूत्रों के अनुसार डिजिटल अदालतें अक्सर चार न्यायिक अधिकारियों के बीच शेयर की जा रही हैं, इसलिए, कुछ चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं. जैसे, ऑब्जेक्शन वाले वाहन की तस्वीरें अक्सर वर्चुअल अदालतों में जज के सिस्टम में दिखाई नहीं देती हैं, ऐसी गड़बड़ियों को अब ठीक किया जा रहा है. चालान के विरुद्ध ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से उल्लंघनकर्ता के भुगतान की गई जुर्माना राशि को रियल टाइम में दिखाने के लिए सिस्टम को भी अपग्रेड किया गया है, जिससे अदालत निपटान से पहले पेंडिंग कुल जुर्माने का ट्रैक रख सकेगी.
बड़े शहरों में इस व्यवस्था की है ज्यादा आवश्यकता
दिल्ली जैसे ज्यादा वाहन वाले शहर में बड़ी संख्या में ट्रैफिक बुकिंग के कारण, वर्चुअल सुनवाई के लिए डेडीकेटेड सर्वरों को समय-समय पर अपग्रेड किया गया है. सूत्रों का कहना है कि न्यायमूर्ति राजीव शकधर की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की सूचना प्रौद्योगिकी समिति, दिल्ली की प्रत्येक जिला अदालत में इस तरह की डिजिटल ट्रैफिक कोर्ट बनाना चाहती है. समिति ने अपील और रिव्यू के लिए डिजिटल अदालतों की भी सिफारिश की है. अप्रैल में, डिजिटल ट्रैफिक अदालतों का उद्घाटन करते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस प्रयास की सराहना की थी और दिल्ली की अदालतों में वर्चुअल सुनवाई सुविधा को एक स्थायी सुविधा बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया था.