Road Safety Tips: अपनी कार की सेफ्टी और बेहतर परफॉरमेंस लेने के लिए आपको इस बात का पता होना जरुरी है कि, गाड़ी के टायर कब बदलने चाहिए. क्योंकि रेगुलर मेंटिनेंस और इस्पेक्शन ही टायर्स को अच्छी कंडीशन में रखने की गारंटी है और सड़क पर यही आपकी सेफ्टी करने का काम करते हैं. इसलिए हम आगे आपको कुछ टिप्स देने जा रहे हैं, ताकि आप ये समझ सकें कि टायर कब बदले जाने चाहिए.
टायर घिसने पर
ये सबसे कॉमन और आसान तरीका है. जब आप ये समझ जाते हैं कि, अब इन्हें बदलने का टाइम आ गया. क्योंकि घिसे हुए टायर सेफ्टी के लिहाज से सही नहीं माने जाते. खासकर भीगी सडकों पर. कुछ कंपनियां अपने टायर्स में इंडिकेटर भी बनाकर देती हैं, ताकि ग्राहक घिसे हुए टायर देखकर समझ जाये, कि अब इसके बदलने का समय आ गया.
कटा-फटा होना
टायर को समय समय पर चेक करते रहना चाहिए. कहीं इस पर क्रैक, कट जैसे निशान तो नहीं हैं. क्योंकि इनसे टायर की मजबूती कम हो जाती है. इसलिए ऐसा कुछ भी होने पर टायर बदलवा देने चाहिए.
कम ज्यादा घिसना
अगर आपकी कार के टायर बराबर न घिसकर कम ज्यादा घिस रहे हैं, तो समझ लीजिये कि पहियों में अलाइनमेंट, बैलेंसिंग और सस्पेंशन जैसी कोई परेशानी है. इसका ध्यान रखें और समय समय पर चेक करते रहें.
वाइब्रेशन और हैंडलिंग में परेशानी
अगर आपको ड्राइव करते समय स्टीयरिंग में वाइब्रेशन या इसे हैंडल करने में परेशानी महसूस हो रही है. तब आपको तो डैमेज टायर या घिसने की वजह से हो सकता है. जिसके लिए तुरंत बिना देरी के मैकेनिक को दिखा देना चाहिए.
ज्यादा पुराने होने पर
अगर आपके गाड़ी के टायर काफी पुराने हो चुके हैं यानि लगभग 6 साल से ज्यादा, तब आपको इन्हें बदलवा देना चाहिए. क्योंकि ज्यादा पुराना होने पर रबड़ खराब होने लगती है.
लो टायर प्रेशर
अगर आपकी कार के पहियों में हवा कम रहती है, तो इससे माइलेज खराब होने के चांस ज्यादा हो जाते हैं. इसलिए टायर प्रेशर रेगुलर चेक करवाते रहें और तय मानक के साथ हवा डलवाते रहें.
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