Volvo Safety Features: वोल्वो एक शानदार लग्जरी कार बनाने वाली कंपनी है. वोल्वो की गाड़ियां भारतीय बाजार में भी शामिल हैं. इस लग्जरी कार निर्माता कंपनी की गाड़ियों को सेफ्टी की गारंटी माना जाता है. चाइल्ड से लेकर एडल्ट सेफ्टी रेटिंग में वोल्वो की गाड़ियों ने सभी टेस्ट पास किए हैं. वोल्वो की ज्यादातर कारों को ग्लोबल NCAP की तरफ से 5 स्टार सेफ्टी रेटिंग हासिल है. चलिए जानते हैं कि वोल्वो की कारों में वो कौन से सेफ्टी फीचर्स हैं, जो लोगों को सुरक्षा की गारंटी देते हैं.


Volvo के सेफ्टी फीचर्स


वोल्वो की कारों में कई एडवांस सेफ्टी फीचर्स शामिल हैं. इनमें चाइल्ड सेफ्टी से लेकर एयरबैग्स, कनेक्टेड सेफ्टी, स्पीड कैप, कार-की, ऑटोनोमस ड्राइविंग समेत ड्राइवर की समझ के लिए एक सिस्टम भी दिया जाता है.



चाइल्ड सेफ्टी


वोल्वो ऐसी पहली कार निर्माता कंपनी है, जो रियर-फेसिंग चाइल्ड सीट्स को अपनी गाड़ियों में लेकर आई. इसके साथ ही इस सीट के साथ बूस्टर कुशन को भी लगाया गया. आज के समय में वोल्वो गाड़ियों में बच्चों के लिए अलग से सीट दी जाती है. इस सीट को छोटे बच्चों को बिठाने के हिसाब से ही डिजाइन किया गया है.


वोल्वो की गाड़ियों के बीच कनेक्शन


वोल्वो की कार अगर किसी फिसलनी जगह से गुजरती है, तो वो गाड़ी दूसरी वोल्वो कारों को उस जगह की कंडीशन से जुड़ी जानकारी भेज देती है. इस नोटिफिकेशन के साथ वोल्वो के मालिक को पहले से ही वार्निंग मिल जाती है.



स्पीड कैप


वोल्वो की गाड़ियों में टॉ-स्पीड को फिक्स रखा जाता है. आप किसी भी वोल्वो कार को ज्यादा से ज्यादा 112 mph की रफ्तार से दौड़ा सकते हैं, क्योंकि वोल्वो ने अपने सभी वाहनों की टॉप-स्पीड को इलेक्ट्रॉनिकली एक लिमिट के तहत सेट कर दिया गया है. वोल्वो ने यह कदम लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया है.


वोल्वो कारों में दिए हैं एयरबैग्स


वोल्वो ने अपनी कार में लेटेस्ट और बेहतर सुरक्षा देने वाले एयरबैग्स का इस्तेमाल किया है. इस बात से ही ऐसा कहा जा सकता है कि वोल्वो अपनी गाड़ियों में लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देती है.



Volvo रखती है ड्राइवर पर नजर


वोल्वो की गाड़ियों में 2-कैमरा सिस्टम दिया जाता है. इस सिस्टम से गाड़ी ड्राइवर की एक्टिविटी को मॉनिटर करती है. इन कैमरों की मदद से देखा जाता है कि ड्राइवर थका हुआ है या गाड़ी चलाते वक्त किसी और काम में भी व्यस्त है या ड्राइवर ने कोई नशा किया हुआ है. ड्राइवर के ऐसी किसी भी स्थिति में होने पर गाड़ी की स्पीड एक लिमिट में हो जाती है. वहीं अगर ऐसी कंडीशन नजर आती है कि ब्रेक लगाने की जरूरत है, तो ऑटोमेटिक ही इस कार में ब्रेक लग जाते हैं.



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