Waiting period of some vehicles reached 2 years- इस समय देखने को मिल रहा है कि अधितर कारों का वेटिंग पीरियड बढ़ा हुआ है. वहीं कुछ कारों का वेटिंग पीरियड दो से तक पहुंच गया है. अगर आप मारुति एर्टिगा लेना चाहते हैं तो 9 महीनें का इंतज़ार करना पड़ सकता है. वहीं महिंद्रा XUV700 के लिए दो साल का भी इंतज़ार करना पड़ सकता है. आपको पता है कि ये देरी क्यों हो रही है? चलिये हम बताते हैं कि इसके देरी होने की वजह क्या है. दरअसल सेमीकंडक्टर चिप्स की भारी किल्लत और ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित होने के चलते भारतीय ग्राहकों को इस दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी के लिए बात दें कि COVID-19 महामारी की वजह से ग्लोबल सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई है. इसके अलावा फिर यूक्रेन-रूस संघर्ष और चीन में कोरोनावायरस के मामलों में फिर से बढ़ोतरी जैसी समस्याओं की वजह से इन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. 


सेमीकंडक्टर की कमी बड़ी समस्या- सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स या सियाम के महानिदेशक राजेश मेनन ने कहा कि इन सब देरी की समस्याओं का मुख्य कारण सेमीकंडक्टर है. इसकी कमी के कारण सप्लाई चेन कमजोर है. ये चुनौतियां आगे कुछ समय तक जारी रह सकती हैं. आमतौर पर देखा गया है कि बेस्टसेलर में कम से कम छह महीने का वेटिंग पीरियड सामान्य सी बात है. वहीं ज्यादातर प्रीमियम वाहनों और कॉम्पैक्ट एसयूवी सेगमेंट में ही यह देरी देखने को मिलती है. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के मुताबिक, XUV700 के अलावा, Hyundai Creta या Venue (अपकमिंग संस्करण), Maruti Suzuki Ertiga, Mahindra Thar और Venue जैसे बेस्टसेलर में कम से कम छह महीने की देरी चल रही है. 


जल्द नहीं है राहत- कुछ गाड़ियां जैसे Hyundai Grand i10 Nios या Santro, Maruti Suzuki Celerio या WagonR, Tata Tigor एक या दो महीने की देरी से उपलब्ध है. जानकारों का मानना है चिप की कमी 2023 तक बनी रहने की उम्मीद है. तत्काल कोई राहत मिलते दिखती नजर नही आ रही है.


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