ABS को Anti-lock Braking System (एंटी लॉक ब्रेकिंग) के नाम से जाना जाता है.  यह एक ऐसा सेफ्टी फीचर है जोकि अचानक ब्रेक लगाने पर वाहन को फिसलने से बचाता है. साथ ही वाहन को कंट्रोल में रखता है. इसमें लगे वाल्व और स्पीड सेंसर की मदद से अचानक ब्रेक लगने पर वाहन के पहिये LOCK नहीं होते हैं और बिना स्किड किये कम दूरी में वाहन रुक जाता.


ABS को सबसे पहले एयरक्राफ्ट के डिजाइन किया था


ABS को सबसे पहले साल 1929 मे एयरक्राफ्ट के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन कारों में इसका इस्तेमाल साल 1966 मे हुआ था.  साल 1980 के बाद से ABS सिस्टम कारों में रेगुलर लगाया जाने लगा. सेफ्ट्री के लिए यह फीचर इतना बढ़िया है कि सरकार ने लोगों की सुरक्षा को देखते हुए, इसे अब हर कार/बाइक (125cc इंजन से ऊपर) इसे अनिवार्य कर दिया है.




  • ABS सिस्टम में होते हैं ये खास पुर्जे

  • व्हील स्पीड सेंसर

  • इलेक्ट्रोनिक कंट्रोल यूनिट

  • हाइड्रोलिक सिस्टम


कैसे काम करता है ABS ?


जिस वाहन में ABS (Anti-lock Braking System) लगा होता है, उस वाहन में जब अचानक ब्रेक लगते हैं तो उस वक्त ब्रेक ऑयल के प्रेशर से ब्रेक पैड पहिये के साथ जुड़ते हैं और उसकी स्पीड को धीमा कर देते हैं, स्पीड में  वाहन के आगे अगर कुछ रूकावट पैदा होती है जिसकी वजह से गाड़ी को एकदम से रोकना पड़े तो ब्रेक पेडल को जोर से दबाया जाता है ताकि वाहन  रुक जाये. लेकीन जब तेज स्पीड में एकदम से जोर से ब्रेक लगते हैं तो ब्रेक पैड व्हील के साथ चिपक जाते है और फिर शुरू होता है ABS का काम.


अब जैसे ही ब्रेक पैड पहिये को जाम करने लगेंगे उसी समय स्पीड सेंसर पहिये की रफ्तार का सिग्नल ECU (Electronic Control Unit) में भेजता है और ECU हर पहिये की रफ्तार का आंकलन करके हर पहिये की रफ्तार के अनुसार हाइड्रोलिक यूनिट को सिग्नल भेजता है. ECU से सिग्नल मिलने पर हाइड्रोलिक सिस्टम अपना काम शुरू करने लगता है, हाइड्रोलिक सिस्टम, ECU से मिले हुए सिग्नल के अनुसार हर पहिये में उसकी स्पीड के अनुसार प्रेशर को कम या ज्यादा करता रहता है. जिसकी वजह से वाहन के पहिये जाम होने लगते हैं. हाइड्रोलिक सिस्टम थोड़ा ब्रेक प्रेशर को कम कर देता है, जिससे पहिये फिर से घूमने लगते हैं और फिर ब्रेक प्रेशर बढ़ा कर पहिये को रोकता है. खास बात यह है कि ये परिक्रिया सेकंड में कई बार होती है जिसकी वजह से वाहन के पहिये जाम नहीं होते हैं. 


EBD क्या है ?


EBD को Electronic break force के नाम से जाना जाता है. यह एक ऐसा सिस्टम है जो वाहन गाड़ी की स्पीड और रोड़ की कंडीशन के हिसाब से ब्रेक अलग-अलग पहिये को अलग अलग ब्रेक फोर्स देता है. जब कभी एकदम से ब्रेक लगते हैं तो गाड़ी आगे की तरफ को दबती है और जब किसी मोड़ पर गाड़ी को मोड़ते हैं तो गाड़ी का वजन और उस पर बैठी सवारियों का भार एक तरह होता है. ऐसे में जब इस कंडीशन में एकदम से ब्रेक लगाने पड़ते हैं तो बिना EBD की गाड़ियों के स्किड होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि EBD सिस्टम, वजन और रोड़ कंडीशन के अनुसार अलग अलग पहिये को अलग अलग ब्रेक फोर्स देता है जिसकी वजह से वाहन ऐसी परिस्थिति में भी कंट्रोल में रहता है और स्लिप नहीं होता, इससे चालक के साथ कोई दुर्घटना नहीं होती।ABS और EBD दोनो ही अलग अलग सिस्टम है लेकिन वाहन में ये दोनों ही एक साथ काम करते हैं इसलिए इन दोनों का नाम भी हमेशा एक ही साथ लिया जाता है।


 ABS और EBD के फायदे




  • अचानक ब्रेक लगाने पर भी स्टेयरिंग कंट्रोल में रहता है.

  • हाई स्पीड में अचानक ब्रेक लगाने पर वाहन के व्हील जाम नहीं होते.

  • ABS और EBD सिस्टम तेज रफ्तार में या फिर किसी मोड़ पर अचानक ब्रेक लगाने पर वाहन स्लिप नहीं होता.

  • ABS और EBD सिस्टम ब्रेकिंग की दूरी को कम करते हैं, यानी कि वाहन का ब्रेकिंग सिस्टम पूरी तरह से कंट्रोल में रहता है.

  • जिन वाहनों में ABS और EBD सिस्टम लगा होता है उनकी कीमत भी थोड़ी ज्यादा होती है,

  • सेफ्टी के लिए लिहाज से ABS और EBD काफी असरदार फीचर्स हैं.


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