दुनियाभर में एक्सीडेंट से होने वाली मौतों की 11 फीसदी मौतें भारत में होती हैं. यहां हर चार मिनट में सड़क दुर्घटना में कोई न कोई अपनी जान गंवाता है. इस साल जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सालाना करीब साढ़े चार लाख एक्सीडेंट होते हैं, इनमें से करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है. वहीं देश में बढ़ते एक्सीडेंट के मामलों को देखते हुए अब कार कंपनियां गाड़ियों में एडवांस सेफ्टी फीचर्स दे रही हैं. गाड़ियों में ABS (Anti-lock Braking System)और EBD (Electronic brake force distribution) जैसे सेफ्टी फीचर्स आ रहे हैं. अगर आप भी इन फीचर्स के बारे में नहीं जानते हैं कि ये क्या हैं और कैसे काम करते हैं तो आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे. 


क्या होता है ABS?
ABS को Anti-lock Braking System (एंटी लॉक ब्रेकिंग) के नाम से जाना जाता है. यह एक ऐसा सेफ्टी फीचर है जो कि अचानक ब्रेक लगाने पर वाहन को फिसलने से बचाता है. साथ ही वाहन को कंट्रोल में रखता है. इसमें लगे वाल्व और स्पीड सेंसर की मदद से अचानक ब्रेक लगने पर वाहन के पहिए लॉक नहीं होते हैं और बिना स्किड किए कम दूरी में वाहन रुक जाता.


ABS गाड़ियों में कैसे काम करता है?
जिस वाहन में ABS (Anti-lock Braking System) लगा होता है, उस वाहन में जब अचानक ब्रेक लगते है तो उस वक्त ब्रेक आयल के प्रेशर से ब्रेक पैड पहिए के साथ जुड़ते हैं और उसकी स्पीड को धीमा कर देते हैं. स्पीड में वाहन के आगे अगर कुछ रूकावट पैदा होती है जिसकी वजह से गाड़ी को एकदम से रोकना पड़े तो ब्रेक पेडल को जोर से दबाया जाता है ताकि वाहन रुक जाए. लेकिन जब तेज स्पीड में एकदम से जोर से ब्रेक लगते हैं तो ब्रेक पैड व्हील के साथ चिपक जाते है और फिर शुरू होता है ABS का काम.


टायर्स नहीं होते जाम
अब जैसे ही ब्रेक पैड पहिए को जाम करने लगेंगे उसी समय स्पीड सेंसर पहिए की रफ्तार का सिग्नल ECU (Electronic Control Unit) में भेजता है और ECU हर पहिए की रफ्तार का आंकलन करके हर पहिए की रफ्तार के अनुसार हाइड्रोलिक यूनिट को सिग्नल भेजता है. ECU से सिग्नल मिलने पर हाइड्रोलिक सिस्टम अपना काम शुरू करने लगता है, हाइड्रोलिक सिस्टम, ECU से मिले हुए सिग्नल के अनुसार हर पहिए में उसकी स्पीड के अनुसार प्रेशर को कम या ज्यादा करता रहता है. जिसकी वजह से वाहन के पहिए जाम होने लगते हैं. हाइड्रोलिक सिस्टम थोड़ा ब्रेक प्रेशर को कम कर देता है, जिससे पहिए फिर से घूमने लगते हैं और फिर ब्रेक प्रेशर बढ़ा कर पहिए को रोकता है. खास बात यह है कि ये प्रक्रिया सेकंड में कई बार होती है जिसकी वजह से वाहन के पहिए जाम नहीं होते हैं.


क्या है EBD?
EBD को Electronic break force के नाम से जाना जाता है. यह एक ऐसा सिस्टम है जो वाहन गाड़ी की स्पीड और रोड़ की कंडीशन के हिसाब से ब्रेक अलग-अलग पहिए को अलग अलग ब्रेक फोर्स देता है. जब कभी एकदम से ब्रेक लगते हैं तो गाड़ी आगे की तरफ को दबती है और जब किसी मोड़ पर गाड़ी को मोड़ते हैं तो गाड़ी का वजन और उस पर बैठी सवारियों का भार एक तरह होता है.


गाड़ी नहीं होती स्लिप
जब कभी एकदम से ब्रेक लगाने पड़ते हैं तो ऐसी स्तिथि में बिना EBD की गाड़ियों के स्किड होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि EBD सिस्टम, वजन और रोड़ कंडीशन के अनुसार अलग अलग पहिए को अलग अलग ब्रेक फोर्स देता है जिसकी वजह से वाहन ऐसी परिस्थिति में भी कंट्रोल में रहता है और स्लिप नहीं होता. इससे ड्राइवर के साथ कोई एक्सीडेंट नहीं होता. ABS और EBD दोनों ही अलग-अलग सिस्टम हैं, लेकिन वाहन में ये दोनों ही एक साथ काम करते हैं. इसलिए इन दोनों का नाम भी हमेशा एक ही साथ लिया जाता है.


ABS और EBD के फायदे
अचानक बेक लगाने पर भी स्टेयरिंग कंट्रोल में रहता है.
हाई स्पीड में अचानक ब्रेक लगाने पर वाहन के व्हील जाम नही होते.
ABS औरEBD सिस्टम तेज रफ्तार में या फिर किसी मोड़ पर अचानक ब्रेक लगाने पर गाड़ी स्लिप नहीं होती
ABS औरEBD सिस्टम ब्रेकिंग की दूरी को कम करते हैं, यानी कि वाहन का ब्रेकिंग सिस्टम पूरी तरह से कंट्रोल में रहता है.
जिन वाहनों में ABS औरEBD सिस्टम होता है वो नॉर्मल वाहनों की तुलना में अधिक सेफ होते हैं.


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