टायर्स में कम हवा के होने से इंजन की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, इन बातों का रखें ध्यान
अक्सर देखने में आता है कि लोग महीनों-महीनों टायर्स में हवा चेक नहीं कराते जिसकी वजह से नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है.
नई दिल्ली: हर वाहन में टायर्स का सबसे बड़ा रोल होता है, गाड़ी की परफॉरमेंस भी काफी हद तक इन टायर्स पर ही टिकी रहती है. इसलिए अक्सर कहा जाता है कि वाहन चलाते समय टायर्स की भी केयर करना बहुत जरूरी है.अक्सर देखने में आता है कि लोग महीनों-महीनों टायर्स में हवा चेक नहीं कराते, हवा लगातार कम होती रहती है जिसकी वजह से काफी नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है.
किसी टायर में यदि सही हवा न हो तो इसका सीधा असर गाड़ी की परफॉरमेंस पर पड़ता है, हवा कम होने पर टायर भारी हो जाता है जिसकी वजह से गाड़ी को ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है और यह ताकत सीधे इंजन से आती है, यानी ज्यादा ताकत लगाने का अर्थ है अधिक फ्यूल की खपत का होना.
इसलिए कहा जाता है कि अगर आप रोजाना 40 किलोमीटर से ज्यादा वाहन चलाते हैं तो हफ्ते में 3 बार टायर्स में हवा जरूर चैक करा लेनी चाहिये, यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको बेहतर राइड का अनुभव तो मिलेगा ही साथ ही इंजन की परफॉरमेंस बेहतर होगी और माइलेज में भी इजाफा होगा.
नाइट्रोजन हवा के फायदे
नाइट्रोजन हवा का नाम आपने सुना होगा. पेट्रोल पंप पर यह अब आसानी से उपलब्ध है, कुछ जगह पैसे में मिल रही है जबकि ज्यादातर जगहों पर फ्री में उपलब्ध कराई जा रही है. खास बात यह है नाइट्रोजन हवा के इस्तेमाल से टायर्स के साथ गाड़ी के इंजन को भी फायदा मिलता है.
टायर्स में डलने वाली नॉर्मल हवा के साथ आर्द्रता (Humidity) जैसी समस्या हमेशा बनी रहती है, जिससे गाड़ी के टायर्स को भी नुकसान होने की संभावना बनी रहती है. इसके अलावा टायर्स के प्रेशर पर भी असर पड़ता है. खास बात यह ही कि सफर के दौरान गाड़ी की परफॉरमेंस पर भी असर पड़ता है.
नाइट्रोजन हवा के फायदे
टायर्स में नाइट्रोजन हवा डलवाने से टायर में मौजूद ऑक्सीजन डाल्यूट हो जाती है साथ ही साथ आक्सीजन में मौजूद पानी की मात्रा को भी खत्म कर देती है. इसका फायदा यह भी होता है कि टायर के रिम को नुकसान नहीं पहुंचता. नाइट्रोजन हवा नार्मल हवा की तुलना में अधिक ठंडी रहती है जिसकी वजह से टायर्स हर मौसम में बेहतर परफॉर्म करते हैं. साथ ही ड्राइव करने में सुविधा रहती है.
नाइट्रोजन हवा डलवाने से टायर्स की लाइफ बढ़ जाती है, साथ ही माइलेज में भी इजाफा है. टायर्स की सेफ्टी, हैंडलिंग के लिहाज से भी नाइट्रोजन बेहतर मानी जाती है और यह लम्बे समय तक टिकती है. साथ ही बार-बार फिलिंग करने की जरूरत नहीं होती. नाइट्रोजन गैस के इस्तेमाल से टायर के फटने की संभावना करीब 90 फीसदी तक कम हो जाती है.
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