नई दिल्ली: कुछ साल पहले तक किसी कार में क्रूज़ कंट्रोल फीचर का होना बड़ी बात माना जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है.अब तो यह फीचर आम हो चला है. लेकिन क्या आप जानते हैं क्रूज़ कंट्रोल फीचर क्या होता है और इसे इस्तेमाल कैसे करना चाहिए ? क्रूज़ कंट्रोल का गलत इस्तेमाल आपको मुश्किल में भी डाल सकता है. क्रूज़ कंट्रोल फीचर्स को यूज़ करने से पहले इस बारे में जान लेना भी जरूरी है. क्रूज़ कंट्रोल क्या होता है ? क्या हैं इसके फायदे और नुकसान? आइये जानते हैं.


आखिर क्या है क्रूज़ कंट्रोल ?


क्रूज़ कंट्रोल महंगी लग्जरी कारों के टॉप वर्जन में देखने को मिलता है. जब इस फीचर को ऑन किया जाता है, तब एक्सीलेरेटर पैडल पर पैर रखने की जरूरत नहीं पड़ती. इस फीचर को ऑन करते समय गाड़ी की स्पीड सेट करनी होती है, इसके बाद आप अपना पैर एक्सीलेरेटर पैडल से हटा सकते हैं, और क्रूज़ कंट्रोल फीचर की मदद से गाड़ी सेट की गई स्पीड पर खुद चलने लगती है.


क्या फायदे हैं क्रूज़ कंट्रोल के ?


क्रूज़ कंट्रोल का सही इस्तेमाल 50 kmph की स्पीड पर होता है, और इसका मजा तब ज्यादा बढ़ जाता है जब गाड़ी को खुली सड़क मिल जाए और दूर-दूर तक कोई ट्रैफिक न हो. याद रखें सिटी ड्राइव में क्रूज़ कंट्रोल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.क्रूज़ कंट्रोल के इस्तेमाल से ड्राइवर की थकान कम होती है, क्योंकि बार-बार रेस देने से बच जाता है.


क्या नुकसान भी हैं क्रूज़ कंट्रोल के ?


क्रूज कंट्रोल में कार चलाते समय भी आपको अलर्ट रहना होता है, जितना नॉर्मल मोड में ड्राइविंग करते वक्त.जरा सी लापरवाही एक्सीडेंट को अंजाम से सकती है. क्रूज कंट्रोल कार के टॉप वर्जन में आता है इसलिए आपको इस फीचर के लिए ज्यादा दाम चुकाने पड़ते हैं जोकि आपकी जेब पर असर डालता है. क्रूज कंट्रोल का इस्तेमाल सिर्फ लंबी खुली सड़कों पर ही किया जा सकता है, भीड़ भाड़ वाली जगहों पर इसका इस्तेमाल मजेदार नहीं रहता है.


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