Value of Golden Hour: जिस स्पीड से वाहनों कि संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. उसी तरह साल दर साल दुर्घटना के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं. हालांकि सरकारें इसको लेकर चिंतित हैं और इसे कम करने के प्रयास भी कर रहीं है. लेकिन उससे भी जरूरी होता है, एक्सीडेंट के समय तुरंत घायल हुए व्यक्ति को गोल्डन ऑवर में मदद मिलने पर किसी भी बड़े नुकसान को होने से रोका जा सकता है. इसीलिए हम आपको गोल्डन ऑवर का मतलब बताने जा रहे हैं, कैसे इसमें घायल व्यक्ति की जान बचायी जा सकती है.
इसलिए कहते हैं गोल्डन ऑवर
जब भी कोई दुर्घटना होती है और उसमें किसी को गंभीर चोट आती है, तो उसे दुर्घटना के एक घंटे के अंदर, अगर सही इलाज मिल जाता है. तो उसकी जान को कम से कम खतरा होने कि संभावना होती है. इसीलिए इसे गोल्डन ऑवर कहते हैं.
इस बात का होता है ज्यादा खतरा
जब भी कोई दुर्घटना होती है, तो गंभीर चोट आने पर मरीजों के शरीर से काफी ज्यादा खून निकल जाता है. जितना ज्यादा खून निकलेगा, उतना ही खतरा बढ़ता चला जायेगा. कुछ लोग दुर्घटना से शॉक में चले जाते हैं, जिसे हार्ट अटैक होने के चांस ज्यादा हो जाते हैं. इसलिए जितना जल्दी हो सके, घायल व्यक्ति को तुरंत इलाज मिल जाना चाहिए.
मदद करने पर पुलिस नहीं करेगी परेशान
जब भी कोई दुर्घटना होती है तो ज्यादातर लोग मदद के लिए आगे नहीं आते. जिसकी वजह है पुलिस के झमेले में पड़ने से बचना. लेकिन जानकारी के मुताबिक, अब मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019, धारा-134ए के तहत, अब कोई भी व्यक्ति जो घायल को हॉस्पिटल पहुंचाने का काम करेगा. उसके ऊपर पुलिस किसी भी तरह की कानूनी करवाई नहीं करेगी. अगर हॉस्पिटल जाते समय घायल व्यक्ति की जान भी चली जाती है, तब भी पुलिस मदद करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कोई मामला नहीं चला सकती.
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