अभी पूरे देश में मानसून छाया हुआ है. देश के कुछ इलाकों में तो जबरदस्त बारिश हो रही है. दिल्ली-गुरुग्राम जैसे शहरों में सड़कें झील बन गई हैं, तो हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में इस बार की बारिश भारी तबाही लेकर आई है. कई जगहों से ऐसी तस्वीरें और वीडियो मिल रहे हैं, जिसमें बड़ी-बड़ी कारें कागज के खिलौनों की तरह पानी में बहती नजर आ रही हैं. ऐसी घटनाओं में लोगों की जान भले ही किसी तरह बचा ली जाती हो, लेकिन बड़ा आर्थिक नुकसान हो ही जाता है. इन अप्रत्याशित होने वाले नुकसानों से सुरक्षा संभव है, बस जरूरत है थोड़ी जागरूकता और जानकारी की.


सिर्फ चालान से नहीं बचाता बीमा


सड़क पर कार चलाने के लिए कुछ दस्तावेज जरूरी होते हैं. जैसे गाड़ी के कागज पूरे होने चाहिए, गाड़ी एक साल से पुरानी हो गई हो तो पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवा लेना चाहिए, ड्राइवर के पास लाइसेंस होना चाहिए. इनके अलावा एक और कागज जरूरी है और वह है इंश्योरेंस यानी बीमा. नई गाड़ी खरीदते समय ही ऑन-रोड प्राइस में बीमा की लागत जोड़ दी जाती है. बाद में बीमा को रीन्यू कराते रहना होता है. इस बीमा की जरूरत सिर्फ ट्रैफिक पुलिस और चालान से बचाव तक सीमित नहीं होती है. बीमा बड़े काम की चीज है और इसे खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी हो जाता है.


वाहनों के बीमा के 2 मुख्य प्रकार (What is OD/Third Party in Car Insurance)


वाहनों के बीमा दो प्रकार के होते हैं- ओडी यानी ओन डैमेज और थर्ड पार्टी. ओडी के तहत आपका अपना नुकसान कवर होता है. थर्ड पार्टी के नाम से ही स्पष्ट है कि दुर्घटना में दूसरों को होने वाला नुकसान इसमें कवर होता है. नई गाड़ी खरीदते समय जो बीमा मिलता है, वो कॉम्प्रहेंसिव होता है यानी उसमें ओडी और थर्ड पार्टी दोनों पार्ट शामिल होते हैं. इसमें ओडी को अच्छे से समझने की जरूरत है.


कार इंश्योरेंस में क्या है आईडीवी (What is IDV in Car Insurance)


कार इंश्योरेंस के कई कंपोनेंट होते हैं. कई कंपनियां इन्हें साथ में ही ऑफर करती हैं, जबकि कई कंपनियां ऐड-ऑन के रूप में इनकी पेशकश करती हैं. सबसे जरूरी कंपोनेंट है आईडीवी. यह किसी भी इंश्योरेंस की बुनियादी चीज है. आईडीवी मने इंश्योरेंस डिक्लेयर्ड वैल्यू. आपके कार की बीमा कंपनी क्या वैल्यू लगाती है, उसे आईडीवी कहते हैं. आपको बीमा के साथ जो बुनियादी कवरेज मिलता है, वह आईडीवी के बराबर होता है.


आईडीवी के कम-ज्यादा होने का फर्क


आईडीवी कभी भी ऑन-रोड प्राइस या शोरूम प्राइस के बराबर नहीं होती है. कंपनियां एक्चुअल कीमत से आईडीवी को कम ही रखती हैं. जैसे-जैसे कार पुरानी होती जाती है, आईडीवी भी कम होती जाती है. अब मान लीजिए कि आपको कार खरीदने में टोटल लगे 8 लाख रुपये और इंश्योरेंस की आईडीवी है 6 लाख रुपये. इस स्थिति के हिसाब से आगे का कैलकुलेशन देखते हैं. अब कल्पना करिए कि आपकी गाड़ी चोरी हो जाती है, या इस तरह दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है कि उसकी मरम्मत संभव नहीं है या बारिश-बाढ़ का शिकार होकर बह जाती है, अथवा किसी अन्य प्राकृतिक आपदा की भेंट चढ़ जाती है, तब क्या होगा?


क्या है रिटर्न टू इनवॉयस (What is Return to Invoice in Car Insurance)


इसका स्वाभाविक जवाब है कि आप कार का बीमा क्लेम करेंगे. बीमा क्लेम करने के बाद कंपनी आपको आईडीवी के बराकर रकम देगी. मतलब हुआ कि आपको बीमा कवर मिलने के बाद भी 2 लाख रुपये का नुकसान हो गया. इसी नुकसान से बचाने का उपाय है ‘रिटर्न टू इनवॉयस’ ऐड-ऑन. यह ऐड-ऑन कार की वास्तविक वैल्यू और डिक्लेयर्ड वैल्यू यानी आईडीवी के बीच के अंतर का कवरेज दिलाता है. मतलब अगर आपने इंश्योरेंस में रिटर्न टू इनवॉयस ऐड-ऑन को रखा है तो आपको 2 लाख रुपये का नुकसान नहीं होगा. अगर आप भी पानी में बहती कारों के वीडियो देखकर डरे हुए हैं तो आरटीआई को अपने इंश्योरेंस में ऐड करा लीजिए.


कार इंश्योरेंस के जरूरी ऐड-ऑन (Must have Add-Ons in Car Insurance)


कार बीमा खरीदते समय कुछ अन्य जरूरी ऐड-ऑन पर भी गौर करना जरूरी होता है. एक अन्य जरूरी और काम का ऐड-ऑन है इंजन प्रोटेक्शन. कई मामलों में इंजन को होने वाले नुकसान बीमा के बुनियादी कवरेज के दायरे में नहीं होते हैं. ऐसे में अगर आपने इस ऐड-ऑन को रखा है तो आपको टेंशन नहीं होगी. कंज्यूमेबल्स भी कार इंश्योरेंस का एक जरूरी ऐड-ऑन है. कार में कई ऐसे कल-पुर्जे होते हैं, जो खुलने के बाद दोबारा काम लायक नहीं रहते हैं. इसके अलावा इंजन ऑयल से लेकर कूलेंट जैसी कई चीजें भी होती हैं. सामान्य कवरेज की स्थिति में आपको इन सब का खर्च पॉकेट से देना पड़ जाएगा, जबकि कंज्यूमेबल्स ऐड-ऑन रहने से आपको कोई खर्च नहीं पड़ेगा.


ऐसे उठा सकते हैं लाभ


इनके अलावा रोड साइड असिस्टेंस, टायर कवरेज जैसे अन्य ऐड-ऑन भी होते हैं. आप अपनी जरूरत के हिसाब से इन्हें चुन सकते हैं. कई कंपनियां होटल तक के खर्च का कवरेज देती हैं. मान लीजिए कि आपकी कार कहीं खराब हो जाती है और ऐसे में आपको होटल में रुकना पड़ जाता है, तो इसका ऐड-ऑन होने से ठहरने का खर्च भी बीमा कंपनी देती है. आप इंश्योरेंस रीन्यू कराते समय इन ऐड-ऑन को अपने कवरेज में शामिल कर सकते हैं. कई कंपनियां बीच में भी ऐड-ऑन खरीदने की सुविधा देती हैं. इसके लिए आप अपनी बीमा कंपनी से बात कर सकते हैं.


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