नई दिल्ली: कारों में SRS एयरबैग्स एक ऐसा सेफ्टी फीचर है जो दुर्घटना के समय सिर पर लगने वाली गंभीर चोटों से बचाता है, और इसलिए सरकार ने सेफ्टी को देखते हुए इस साल अप्रैल से हर कार में SRS एयरबैग्स स्टैण्डर्ड फीचर के रूप में लगाना अनिवार्य कर दिया है. अब आप किसी भी कंपनी की कार लेंगे तो आपको उसके बेसिक मॉडल में भी एयरबैग मिलेगा. दुर्घटना के समय एयरबैग आपकी जान बचाने के लिए काफी बेहतर फीचर है. आइये जनते हैं आखिर कैसे SRS एयरबैग्स काम करते हैं कार में.
एयरबैग्स हैं जरूरी
कारों में एयरबैग्स दुर्घटना में ड्राईवर और बगल में बैठे पैसेंजर की जान बचाने का कम करते हैं. जैसे ही गाड़ी की टक्कर लगती है, ये गुब्बारे की तरह खुल जाते हैं और जिससे कार में बैठे लोग कार के डैशबोर्ड या स्टेयरिंग से टकरा नहीं पाते और जान बाच जाती है.
कारों में जो एयरबैग्स आते हैं उन्हें SRS एयरबैग्स के नाम से जाना जाता है, यहां SRS का मतलब (Supplemental Restraint System) होता है, जोकि इस बात को बताता है कि जैसे ही आप अपनी कार स्टार्ट करते हैं, कार के मीटर में लगे SRS इंडिकेटर कुछ सेकेंड के लिए जल जाते हैं. अगर SRS इंडिकेटर कुछ सेकेंड्स के बाद ऑफ नहीं होते या फिर जलते रह जाते हैं तो समझ जाइए कि एयरबैग में कोई गड़बड़ है.
एयरबैग्स ऐसे करते हैं काम
कार के बंपर पर एक इंपैक्ट सेंसर लगा होता है जैसे ही गाड़ी किसी चीज से टकराती है तो इंपैक्ट सेंसर की मदद से एक हल्का सा करंट एयरबैग के सिस्टम में पहुंच जाता है, और एयरबैग्स के अंदर sodium azide गैस भरी होती है उस गैस को वह गैस फॉर्म में प्ले आता है पहले यह किसी और फॉर्म भरी होती है जैसे इंपैक्ट सेंसर करंट भेजता है वह चीज गैस के रूप में परिवर्तित हो जाती है.
आपको बात दें कि एयरबैग्स कॉटन से बने होते हैं, लेकिन इन पर सिलिकॉन की कोटिंग की जाती है. एयरबैग्स को खुलने के लिए एक सेकंड से भी कम समय (लगभग 1/20 सेकंड) लगता है और इसके खुलने की रफ़्तार करीब 300 km/h होती है.
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि कार की सीट बेल्ट का भी एयरबैग्स के फंक्शन से लिंक किया हुआ होता है. इसलिए जब भी कार में बैठे तो सीट बेल्ट हमेशा पहनें, सिर्फ बैग्स के ही भरोसे न रहे.
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