Mild Hybrid Vs Strong Hybrid: भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में हाइब्रिड गाड़ियां उपलब्ध हैं जिन्हें मार्केट से अच्छा रिस्पांस मिलता है. लेकिन हाइब्रिड गाड़ियों में भी एक माइल्ड हाइब्रिड और दूसरी स्ट्रांग हाइब्रिड कारें होती हैं. इन दोनों गाड़ियों में कुछ-कुछ अंतर होते हैं जो ज्यादातर लोगों को नहीं पता होता है. इसीलिए आइए आज जानते हैं कि माइल्ड और स्ट्रांग हाइब्रिड कारों में क्या फर्क होता है.


क्या है फर्क


आपको बताते चलें कि Hybrid तकनीक वाली कारें भारतीय लोगों को काफी पसंद आती हैं. ये गाड़ियां इलेक्ट्रिक मोटर और पैट्रोल या डीजल इंजन दोनों के साथ आती हैं. लेकिन इसमें भी अब माइल्ड और स्ट्रांग हाइब्रिड गाड़ियां आ गई हैं.


दरअसल माइल्ड हाइब्रिड कारों में इलेक्ट्रिक मोटर के साथ फ्यूल बेस्ड इंजन उपलब्ध कराया जाता है. हालांकि इस माइल्ड हाइब्रिड कारों में ज्यादा शक्तिशाली इलेक्ट्रिक मोटर नहीं दिया जाता है जिसकी वजह से यह इलेक्ट्रिक कारों के जैसे काम नहीं कर सकती है. इन गाड़ियों में लगी बैटरी का कार्य इंजन को सपोर्ट करना ही होता है.


स्ट्रांग हाइब्रिड कारें


वहीं दूसरी तरफ स्ट्रांग हाइब्रिड कारों में ज्यादा शक्तिशाली इलेक्ट्रिक मोटर दिया जाता है. इन गाड़ियों में पैट्रोल और डीजल कारों के मुकाबले ज्यादा माइलेज मिल जाता है. स्ट्रांग हाइब्रिड कारें कम फ्यूल का इस्तेमाल करती हैं जिससे वातावरण भी प्रदूषित नहीं होता है और साथ ही ये ज्यादा माइलेज भी प्रदान करती हैं.


हालांकि स्ट्रांग हाइब्रिड गाड़ियों में दो बैटरी दी जाती हैं जिसके कारण गाड़ियों की कीमत बढ़ जाती है. इन गाड़ियों के उदाहरण समझें तो मारुति सुजुकी एक्लएल6 और अर्टिगा माइल्ड हाइब्रिड गाड़ियों की श्रेणी में आती हैं. वहीं मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा जैसी गाड़ियां स्ट्रांग हाइब्रिड गाड़ियों की श्रेणी में आती हैं.


इसके साथ ही टोयोटा हाइराइडर और होंडा सिटी गाड़ियां हाइब्रिड कारों की लिस्ट में आती हैं. इसीलिए स्ट्रांग हाइब्रिड गाड़ियों की मांग बाजार में काफी तेजी से बढ़ रही है क्योंकि ये कारें ग्राहकों को ज्यादा माइलेज प्रदान करती हैं. हालांकि इन गाड़ियों की कीमत बाकी कारों के मुकाबले थोड़ी ज्यादा होती है.


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