EVs in China: अमेरिका से लेकर न्यूजीलैंड तक लगभग सभी देश कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए अपने यहां इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए, ग्राहकों को इंसेंटिव्स दे रहे हैं और यही नीति चीन ने सालों तक अपनाई. जिसके चलते चीन पृथ्वी पर सबसे बड़ा ईवी मार्केट बन चुका है.
जापान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, बीजिंग की सफलता की कहानी काफी लुभावनी है. पिछले साल चीन में बिकने वालीं गाड़ियों में से एक चौथाई हिस्सा इलेक्ट्रिक गाड़ियों का था. जोकि अमेरिका में लगभग 7 में से एक और यूरोप में 8 में से एक के मुकाबले काफी आगे है. जबकि इसमें अभी बढ़ोतरी जारी है.
प्लग-इन हाइब्रिड को मिलकर चीन की इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री 2022 में ही 5.67 मिलियन पर पहुंच चुकी है. जोकी दुनिया में बिकने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों में आधे से अधिक है. वहीं ब्लूमबर्गएनईएफ के अनुमान के मुताबिक, इस साल दुनिया में बिकने वालीं 14.1 मिलियन नई पैसेंजर ईवी की बिक्री में हीं की हिस्सेदारी लगभग 60% होगी.
चीन केवल खरीदार नहीं है, बल्कि एक निर्माता के तौर पर भी काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. HSBC रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे विश्व में बिक्री की जाने वालीं इलेक्ट्रिक गाड़ियों में लगभग आधी हिस्सेदारी चीनी ब्रांड्स की है.
पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अपनाने में मदद करता है. चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा चार्जिंग नेटवर्क है. 2022 में अकेले चीन ने 6,49,000 पब्लिक चार्जर लगाए थे. जो उस साल पूरी दुनिया में इंस्टॉलेशन किये गए चार्जर का 70% से ज्यादा था.
सरकार की तरफ से हर संभव मदद मिलने के बाद ईवी बनाने वाली कंपनियों ने चीन को नए मॉडलों से भर दिया. जिसके चलते इस साल आगे निकलने की होड़ में कंपनियों के बीच आप में गाड़ियों की कीमत को लेकर कॉम्पिटिशन बढ़ गया.
चीन में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बाजार तैयार करने के लिए कुछ बातों को अपनाया गया, जोकि ये हैं-
ग्राहकों के लिए सब्सिडी- चीन में लगभग दस साल तक ईवी खरीदारों को अच्छी खासी सब्सिडी दी गयी. हालाकि इसे 2022 में समाप्त कर दिया गया, लेकिन शंघाई जैसी जगहों पर स्थानीय सरकार की तरफ से 10,000 युआन तक की छूट जारी है.
टैक्स ब्रेक- 3,00,000 युआन से कम की इलेक्ट्रिक कार खरीदने पर 2025 तक 10% टैक्स माफ कर दिया गया है. 2014 से चल रही इस योजना पर 2027 तक 835 बिलियन युआन खर्च होने के अनुमान है.
कंपनियों को सब्सिडी- ईवी निर्माताओं को सीधे सरकार की तरफ से मिले सहयोग के चलते कई लोगों को आगे बढ़ने में मदद मिली. जिसके चलते 2019 में ही 500 से ज्यादा ईवी ब्रांड बाजार में आ चुके थे. जिससे कंपनियों को आगे बढ़ने में मदद मिली और BYD जैसी इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली कंपनी आगे बढ़ने में सफल हुई और चीन में फॉक्सवैगन के दशकों के राज को ख़त्म कर, चीन में नंबर सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रांड बन गई.
इंफ़्रास्ट्रक्चर- हर जगह उपलब्ध, सरकार की तरफ से सब्सिडी वाले चार्जिंग स्टेशन चार्जिंग की कीमत को कम करने के साथ.-साथ आसानी से उपलब्ध होते हैं. वहीं निर्माताओं के साथ हुए समझौते की वजह से चार्जिंग मानक एक जैसे हैं. इसलिए अलग-.अलग प्लग की जरुरत नहीं पड़ती. मई के आखिर में चीन में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को चार्ज करने के लिए के लिए 6.36 मिलियन ईवी चार्जर थे, जो किसी भी देश में मौजूद सबसे ज्यादा हैं.
पेट्रोल-डीजल गाड़ियों के लिए मारामारी- चीन में अब फ्यूल से चलने वालीं गाड़ियों को खरीदना और रखना अब घाटे का सौदा होता जा रहा है. क्योंकि अब बीजिंग में इन गाड़ियों के लिए लाइसेंस प्लेटों के लिए लॉटरी सिस्टम और शंघाई में नीलामी सिस्टम लागू हैं. जिनके चलते सडकों पर इन कारों की संख्या कम किया जा रहा है. पिछले साल शुरुआती पांच महीनों में शंघाई में पेट्रोल डीजल कारों की प्लेटें नीलामी में औसतन 92,780 युआन में बिकीं, जबकि इसके उलट ईवी के लिए आसानी से हरे रंग की लाइसेंस प्लेट प्राप्त की जा सकती है. शहर की सड़कों पर हरी प्लेटें की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं.
प्रोडक्शन पेनल्टी- चीन ने 2017 में ऑटो इंडस्ट्री के लिए एक दोहरी-क्रेडिट प्रणाली शुरू की, जिसके चलते स्वच्छ कार बनाने वाली कंपनी को अच्छा स्कोर और फ्यूल वाली गाड़ियों के लिए जुर्माना लागू किया गया. जिसके चलते निगेटिव स्कोर वाले निर्माताओं की कारों को बाजार से हटाया जा सकता है और सजा से बचने के लिए, निर्माता टेस्ला इंक या बीवाईडी जैसे पॉजिटिव स्कोर वाली कंपनियों क्रेडिट खरीद सकते हैं, जोकि काफी महंगा होता है.
सरकारी संस्थानों ने खरीदे ईवी- चीन में मौजूद कुछ स्थानीय सरकारों ने अपने पब्लिक ट्रांस्पोर्टक के लिए अपने संस्थानों की गाड़ियों को लगभग 100% इलेक्ट्रिक में बदल डाला और स्थानीय एजेंसियों को भी इलेक्ट्रिक या प्लग-इन हाइब्रिड खरीदने के लिए इनकरेज किया. जिसके चलते बीवाईडी जैसी कंपनियां सामने आयीं.
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