Diesel in Petrol Cars: डीजल की जगह केरोसिन से क्यों नहीं चलती कारें? गाड़ी में गलती से पड़ जाए गलत ईंधन तो क्या होगा?
अगर आपकी में गलती पेट्रोल की जगह डीजल और डीजल की जगह पेट्रोल पड़ जाये तो क्या होगा? पढ़िये पूरी खबर और जनियें आपके साथ भी ऐसी स्थिति आ जाये तो इससे कैसे निपटना है.
Petrol in Diesel Car: किसी भी डीजल गाड़ी में पेट्रोल या पेट्रोल कार में डीजल भरकर नहीं चलाया जा सकता है, लेकिन कभी कभार फ्यूल भराते समय आपका ध्यान भटकने या पेट्रोल पंप के कर्मचारी को कंफ्यूजन के कारण आपकी गाड़ी में गलत फ्यूल भर सकता है. एक छोटी गलती से डीजल की टंकी में पेट्रोल और पेट्रोल की टंकी में डीजल भरे जाने का खतरा होता है. ऐसे में अगर कभी आपके साथ भी ऐसा हो जाए, तो आपकी गाड़ी के इंजन को इससे क्या दिक्कत हो सकती है, इसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए और आपको यह भी जानना चाहिए कि यदि कभी ऐसी गलती हो जाए, तो आप क्या कर सकते हैं.
गो मैकेनिक ने क्या कहा?
एक स्टार्टअप कार सर्विसिंग कंपनी गो मैकेनिक ने एक ब्लॉग के जरिए इस बारे में दोनों स्थितियों के बारे में स्पष्ट किया है. एक स्थिति यह है कि आपकी कार पेट्रोल इंजन वाली है और उसकी टंकी में डीजल डाल दिया जाए और दूसरी स्थिति में डीजल इंजन वाली गाड़ी की टंकी में पेट्रोल भरा जाए. गो मैकेनिक के ब्लॉग में इन दोनों स्थितियों में सावधानियों के बारे में बताया गया है.
क्या होगा जब पेट्रोल कार में डीजल भरा जाए?
किसी पेट्रोल कार में डीजल भरा जाना बहुत नुकसानदायक नहीं है, ऐसी स्थिति में आपको गलती से भी इंजन स्टार्ट नहीं करना चाहिए. इससे गाड़ी को काई नुकसान नहीं होगा. वहीं यदि गाड़ी की टंकी में डीजल की मात्रा 5%से कम है, तब भी कुछ फर्क नहीं पड़ेगा, ऐसी में आप अपनी गाड़ी को चला सकते हैं. लेकिन अगर यह मात्रा ज्यादा है तो बड़ी दिक्कत हो सकती है. टंकी में पांच फीसदी से ज्यादा डीजल पड़ जाने पर सबसे बेहतर होगा कि आप इंजन स्टार्ट ही न करें और तुरंत नजदीकी मैकेनिक को बुलाकर पूरी टंकी खाली करानी चाहिए. लेकिन यदि आप गाड़ी को कुछ देर चला लेते हैं तो इस स्थिति में आपको टंकी को पूरा खाली करने के बाद पूरे इंजन को साफ कराना पड़ेगा.
क्या होगा जब डीजल कार में पेट्रोल भरा जाए?
अगर डीजल इंजन में पेट्रोल डाल दिया जाये तो, पेट्रोल डीजल के साथ मिक्स होने पर यह सोलवेंट के रूप में काम करने लगता है, इससे गाड़ी के इंजन पर उल्टा असर पड़ता है. क्योंकि डीजल कार को पॉवर तो देता ही है, साथ ही साथ एक लुब्रिकेशन ऑयल की तरह भी काम करता है.
डीजल कार में पेट्रोल पड़ जाने से मशीन के पार्ट्स के बीच में घर्षण बढ़ जाता है और इस वजह से फ्यूल लाइन के साथ पंप पर असर पड़ने लगता है. अगर आपकी ऐसी स्थिति में इंजन चालू रखते हैं या फिर पेट्रोल डलने के बाद भी गाड़ी ड्राइव करते हैं तो कार के इंजन के खराब या सीज होने के चांस बढ़ जाते हैं. इसलिए जब भी गलती से आपकी कार में डीजल की जगह पेट्रोल पड़ जाये तो तुरंत रोड साइड असिस्टेंस सर्विस लें और गाड़ी को मैकेनिक के पास लेकर जाएं, नहीं तो इंजन सीज होने पर मोटी रकम खर्च करनी पड़ेगी.
डीजल की जगह कैरोसिन से क्यों नहीं चलती हैं कारें?
प्राथमिक कारण यह है कि गैसोलीन ज्यादा तेजी से जलता है, और यह आसानी से वेपोराइज (वाष्पीकृत) हो जाता है और पूरी तरह से जल जाता है. इसके अलावा, यह मिट्टी के तेल की तुलना में ज्यादा स्वच्छ है.
मिट्टी का तेल, डीजल से कुछ कम है और यह कम एफिशिएंट है. वेपोराइज होने से पहले यह ज्यादा तापमान पर जलता है, इसका मतलब यह है कि इसे जलाना उतना आसान नहीं है जितना कि पेट्रोल और डीजल. इसलिए केरोसिन का उपयोग ऑटोमोबाइल के लिए फ्यूल के रूप में नहीं किया जाता है.
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