Audi E-tron EV: क्या आपको एक ईवी खरीदनी चाहिए? यह एक बड़ा सवाल है और जिसका जवाब हमने कई बार देने की कोशिश की है लेकिन इस बार हमने खुद तय करने की कोशिश की कि यह फैसला सही है या नहीं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि ईवी की बाजार हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई है और लग्जरी सेगमेंट में लोग तकनीक को जल्दी अपनाने और अधिक प्रयोग करने में सक्षम होने के कारण ईवी को अधिक खरीद रहे हैं. हालांकि, क्या भारत भी बढ़ते EV कल्चर को अपनाने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ तैयार है? इसके लिए हमने दो शहरों- दिल्ली और मुंबई में इसे चलाने के लिए सबसे ज्यादा बिकने वाली लग्जरी ईवी में से एक का इस्तेमाल किया, ताकि यह देखा जा सके कि भारत में ईवी के साथ रहना कितना आसान है? 


ऑडी ई ट्रान


ऑडी ई-ट्रॉन एक 95 kwh की बड़ी बैटरी पैक के साथ आती है और इसमें दो मोटर्स मिलते हैं जो सबसे स्पोर्टी सेटिंग में 400bhp का पॉवर जेनरेट करते हैं. शहर में, इंस्टेंट टॉर्क के साथ इसका परफॉर्मेंस काफी तेजी से बूस्ट होता है और यह एक स्मूथ ड्राइविंग एक्सपीरियंस देता है. शहर में बहुत कम आवाज के साथ इसके तुरंत पॉवर जेनरेट करने की क्षमता हमें काफी पसंद आई. ई-ट्रॉन, कुछ ईवी के विपरीत, दिल्ली/मुंबई के गड्ढों या स्पीड ब्रेकरों को आसानी से पार करने में कामयाब रही और यही कहीं भी नीचे से नहीं लगी. दिल्ली और मुंबई में ट्रैफिक एक बड़ा मुद्दा है और यहां ई-ट्रॉन एक ईवी होने के कारण हमें इसकी रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के साथ मदद मिली, जिससे रेंज में गिरावट नहीं आई. दोनों शहरों में, ई-ट्रॉन आराम से 300-350 किमी की रेंज देने में सफल रही. जबकि हमने इसका अधिक स्पीड में उपयोग किया.



फास्ट चार्जर की है कमी


यदि आपकी कार कम चार्ज है, तो एक सेटिंग है जो कार को अधिक रेंज देने के लिए तैयार करती है. हालांकि हमें इसकी आवश्यकता नहीं थी, लेकिन जब ईट्रॉन का चार्ज 30 प्रतिशत बचा तब हमने चार्जिंग स्टेशनों की खोज शुरू की. दोनों शहरों में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में पिछले वर्षों की तुलना में तेजी से सुधार हुआ है. कई ऐसे ऐप हैं जो चार्जिंग स्टेशन का पता लगाने में आपकी मदद करते हैं जबकि ऑडी ऐप में भी यह फीचर है, जिसका हमने इस्तेमाल किया. पिछले कुछ वर्षों में बहुत सारे चार्जर लगाए गए हैं, जिन्हें ढूंढना आसान है. मुंबई में, बहुत सारे चार्जर हैं, लेकिन एक समस्या यह है कि यह पता लगाना मुश्किल है कि कौन सा चार्जर काम कर रहा है और कौन सा नहीं. कुछ समय बाद हमें एक डीसी चार्जर मिला जिससे पता चलता है कि फास्ट चार्जर के मामले में भारत अभी भी पीछे है लेकिन इनकी संख्या बढ़ रही है. दिल्ली में, हमने चार्जर ढूंढने के लिए एक ऐप का भी इस्तेमाल किया और इन समय रेस्तरां और मॉल के आस-पास के अधिक चार्जर मौजूद हैं.



मजबूत हो रहा है चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर


यह काफी सुविधाजनक है और जब तक हमने खाना खाया तब तक कार चार्ज हो रही थी. मॉल में कार पार्किंग अटेंडेंट ईवी पार्किंग को अलग रखते हैं जिससे काफी आसानी होती है. यहां काफी अधिक चार्जर मौजूद हैं, लेकिन इनकी संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है. एक रेगुलर एसी चार्जर से गाड़ी को चार्ज होने में लगभग 8 घंटे लगते हैं लेकिन हमें पूर्ण चार्ज की आवश्यकता नहीं थी इसलिए, थोड़े चार्ज के साथ हमें ई-ट्रॉन की रेंज बढ़ाने में मदद मिली.  यानि आप शहर में एक ईवी का उपयोग कर सकते हैं और यदि आपको तुरंत टॉप-अप की आवश्यकता है तो उसके लिए पर्याप्त चार्जर मौजूद हैं और ऐप्स के जरिए इन्हें ढूंढना आसान है. हालांकि इन्हें शहर से बाहर इस्तेमाल करने में चार्जिंग में कुछ परेशानी जरूर हो सकती है.


 


निष्कर्ष


सभी ईवी निर्माता आपके घर पर एक चार्जर स्थापित करते हैं और इससे समय की बचत होती है लेकिन हमारे मामले में हमने अनुभव किया कि भले ही आपके पास एक चार्जर नहीं है, लेकिन सड़क पर पार्किंग का उपयोग करते समय आप इसे चार्ज कर सकते हैं लेकिन आपको चार्जर का समय रिजर्व करते समय सावधानी से अपना टाइम मैनेजमेंट करना होगा. भारत में ईवी के बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है, जो भारत के लिए अच्छा संकेत है.


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