साल 2020 निर्धारित करेगा बायोपिक फिल्मों का भविष्य
पिछले कुछ बरसों से बायोपिक फिल्में काफी सफल हो रही थीं. लेकिन सन 2019 बायोपिक फिल्मों के लिए अच्छा नहीं रहा. बायोपिक फिल्मों का जादू न चलना कई फ़िल्मकारों के लिए खतरे की घंटी है. अब बायोपिक फिल्मों का यह सिलसिला आगे चलेगा या नहीं ! इस बात का फैसला सन 2020 करेगा. पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना का ब्लॉग-
पिछले कुछ बरसों से बॉलीवुड में लगातार बायोपिक फिल्मों की धूम चल रही थी. लेकिन इस साल प्रदर्शित अधिकतर बायोपिक फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो सकीं. बायोपिक फिल्मों का दर्शकों पर जादू न चलना उन फ़िल्मकारों के लिए खतरे की घंटी है, जो इन दिनों बायोपिक फिल्में बनाने में जुटे हैं.
साल 2019 में कुल 10 बायोपिक फिल्में रिलीज हुईं. लेकिन इन फिल्मों में सिर्फ एक फिल्म हिट हुई और एक औसत रही. बाकी 8 फिल्में सफल नहीं हो सकीं. जब कि जो बायोपिक फिल्में फ्लॉप हुईं उनमें कुछ फिल्में तो बड़े दिग्गजों पर थीं. फ़िल्मकारों में इस साल बायोपिक फिल्मों को लेकर कितना उत्साह था, इस बात का पता इससे भी लगता है कि साल के पहले महीने जनवरी में ही 5 बायोपिक फिल्में प्रदर्शित हो गईं. लेकिन इनमें कोई फिल्म भी सुपर हिट तो क्या हिट भी नहीं हो सकी.
जनवरी में आई ऐसी पहली फिल्म थी- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर बनी ‘द एक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर’. इस फिल्म में अनुपम खेर ने मनमोहन सिंह की दिलकश भूमिका की थी. लेकिन दर्शकों ने इस फिल्म को नकार दिया.
जनवरी में ही जो 4 और बायोपिक फिल्में प्रदर्शित हुईं, उनके नाम हैं- ‘मणिकर्णिका –द क्वीन ऑफ झांसी’, ‘ठाकरे’, ‘वो जो था एक मसीहा मौलाना आज़ाद’ और ’72 आवर्स’. इन फिल्मों में सिर्फ ‘मणिकर्णिका’ एक अच्छी फिल्म होने के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर औसत फिल्म बनकर थोड़ी बहुत कमाई ही कर सकी. साथ ही महाराष्ट्र के दिग्गज नेता बाल ठाकरे के जीवन पर बनी ‘ठाकरे’ भी खास नहीं चल पायी. ऐसे ही महावीर चक्र विजेता राइफलमेन जसवंत सिंह चौधरी के जीवन पर आधारित ’72 आवर्स’ भी बुरी तरह फ्लॉप हो गयी. इन सबसे बुरा हाल तो सुप्रसिद्द स्वतन्त्रता सेनानी और आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आज़ाद की जिंदगी पर बनी फिल्म ’वो जो था एक मसीहा मौलाना आज़ाद’ का हुआ. यह फिल्म तो ढंग से रिलीज भी नहीं हो सकी और जहां लगी वहाँ भी थिएटर खाली रहे. फरवरी में प्रदर्शित एक और बायोपिक फिल्म ‘एस पी चौहान’ भी बॉक्स ऑफिस पर धराशायी हो गयी.
उधर मई के अंत में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जिंदगी पर आई फिल्म ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ भी कोई धमाल नहीं कर सकी. जबकि पी एम मोदी की मई 2019 के लोकसभा चुनाव में, दूसरी बार भारी जीत के बाद आई, इस फिल्म से उम्मीद थी कि यह फिल्म सुपर हिट साबित होगी. लेकिन ऐसा हो नहीं सका. यह फिल्म मात्र लगभग 23 करोड़ रुपए का कारोबार ही कर सकी.
सिर्फ ‘सुपर-30’ को मिली अच्छी सफलता
इस साल जो एक बायोपिक फिल्म अच्छी सफल हो सकी वह है ‘सुपर-30’. प्रसिद्द गणितज्ञ आनंद कुमार के जीवन और कर्म को दर्शाने वाली इस फिल्म में ऋतिक रोशन मुख्य भूमिका में हैं. ‘सुपर-30’ ने सफल होकर करीब 146 करोड़ रुपए एकत्र कर लिए. लेकिन इसके बाद आई प्रियंका चोपड़ा की फिल्म ‘द स्काई इज पिंक’ फ्लॉप हो गयी. यह फिल्म 18 बरस की चर्चित लेखिका आयशा चौधरी के कम उम्र में किए गए अद्धभुत कार्यों और उनकी जिंदगी पर थी. यहाँ तक उत्तर प्रदेश की चर्चित दो ‘शूटर दादी’ की जीवन गाथा पर बनी फिल्म ‘सांड की आँख’ भी ज्यादा आँखों को नहीं भा सकी. इस कारण यह फिल्म भी कोई कमाल नहीं कर सकी.
असल में बायोपिक फिल्मों में फ़िल्मकारों ने ज्यादा दिलचस्पी तब दिखानी शुरू की जब 2013 में सुप्रसिद्द धावक मिल्खा सिंह की जिंदगी पर बनी ’भाग मिल्खा भाग’ ने 100 करोड़ रुपए कमाकर बॉक्स ऑफिस पर डंका बजा दिया. उसके बाद बायोपिक फिल्मों की बाढ़ सी आ गयी.
देखते देखते मेरी कॉम, एम एस धोनी, नीरजा, मांझी, सरबजीत, तलवार और दंगल जैसी कई बायोपिक फिल्में सफल होती चली गईं. यहाँ तक पिछले बरस भी ‘पद्मावत’ और ‘संजू’ जैसी बायोपिक फिल्मों ने 300 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का नेट बिजनेस करके जबरदस्त कमाई की. लेकिन इस बरस बायोपिक फिल्मों का जो बुरा हाल हुआ है, उससे यह सवाल उठता है कि क्या अब बायोपिक फिल्मों में दर्शकों की दिलचस्पी कुछ कम होने लगी है!
हालांकि इस बात का सही जवाब सन 2020 से मिलेगा. क्योंकि नव वर्ष में भी बहुत सी बायोपिक फिल्में आने को हैं. साल की शुरुआत में ही 10 जनवरी को रिलीज होने वाली दीपिका पादुकौण की ‘छपाक’ एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की लाइफ पर आधारित है. मेघना गुलजार ने इस फिल्म को बनाया है.
वहीं मार्च में प्रदर्शित होने वाली ‘गुंजन सक्सेना’ कारगिल युद्द के दौरान सुर्खियों में आई भारतीय वायु सेना की महिला पायलट गुंजन सक्सेना की जिंदगी पर है. जिसमें जाहन्वी कपूर ने गुंजन की भूमिका की है.
फिर अप्रैल में आने वाली फिल्म ‘83’ भी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव की जिंदगी और सन 1983 में उनकी कप्तानी में जीते वर्ल्ड कप को लेकर है. अभिनेता रणवीर सिंह इसमें कपिल देव बने हैं और उनकी रियल लाइफ पत्नी दीपिका पादुकौण कपिल देव की पत्नी रोमी देव की भूमिका में हैं.
इसके बाद अक्तूबर में भी ‘सरदार उधम सिंह’ फिल्म आ रही है. यह क्रांतिकारी स्वतन्त्रता सेनानी शहीद उधम सिंह पर है. विकी कौशल ने इसमें शीर्षक भूमिका की है. इसी के साथ नवम्बर में यशराज बैनर की आने वाली फिल्म ‘पृथ्वीराज’ भी राजा पृथ्वीराज चौहान की शौर्य गाथा है. जिसमें पृथ्वीराज चौहान बने हैं अक्षय कुमार और उनके साथ मानुषी छिल्लर हैं.
फिर अजय देवगन की प्रमुख भूमिका वाली फिल्म ‘मैदान’ भी फुटबाल कोच सैयद अब्दुल रहीम की जिंदगी पर है. फिल्म के निर्माता बोनी कपूर हैं. इन फिल्मों के अलावा बेडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल की बायोपिक ‘सायना’ और फिल्म झुंड’ भी सन 2020 में रिलीज होगी. निर्माता भूषण कुमार और निर्देशक अमोल गुप्ते की इस फिल्म में सायना का रोल परिणीति चोपड़ा निभा रही है. जबकि खेल शिक्षक और स्लम सॉकर के संस्थापक विजय बरसे के जीवन पर केन्द्रित ‘झुंड’ में अमिताभ बच्चन प्रमुख भूमिका में हैं. ये बायोपिक फिल्में बॉक्स ऑफिस पर क्या गुल खिलाती हैं. यह देखने के बाद ही सही सही पता लग सकेगा कि बायोपिक फिल्मों का युग अब समाप्त होने को है या यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा !
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(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)