Republic Day: 26 जनवरी, 2022 को भारत अपना 73वां गणतंत्र दिवस (Republic Day) मना रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत (India) का गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है. आखिर भारतीय इतिहास (Indian History) में 26 जनवरी इतनी खास क्यों है कि उसी दिन को भारत का गणतंत्र दिवस चुना गया था और आखिर क्या हुआ था 26 जनवरी को कि आजादी (Freedom) के बाद जब भारत को गणतंत्र घोषित करने की बात आई तो 26 जनवरी की ही तारीख मुकर्रर की गई? इस कहानी को समझने से पहले भारतीय संविधान (Indian Constitution) की प्रस्तावना को देखिए.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना ही भारतीय संविधान की आत्मा है, जिसकी पहली लाइन ही है हम भारत के लोग. इसी प्रस्तावना में लिखा गया है कि अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ईस्वी (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत्. 2006 विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं. यानी कि साफ है कि संविधान 26 नवंबर, 1949 को पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया था.
2 साल, 11 महीने और 18 दिन के दौरान कुल 12 अधिवेशन, 166 दिन की बैठक और कुल 114 दिन की बहस के बाद 26 नवंबर, 1949 को हमारा संविधान पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया था. फिर भी इसे लागू करने में दो महीने की देरी हुई. और इस देरी के पीछे है 26 जनवरी, 1929 की वो कहानी, जिसने संविधान सभा के लोगों को प्रेरित किया कि संविधान को 26 जनवरी को ही लागू किया जाए.
बात करीब 92 साल पुरानी है. तब भारत पर अंग्रेजों का शासन था और देश के लोग आजादी के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे थे. इसी कोशिश के तहत 31 दिसंबर, 1929 को कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया गया. अधिवेशन की जगह अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हो रहा था. पंडित जवाहर लाल नेहरू इसके अध्यक्ष थे.
अधिवेशन में तय हुआ कि अब भारत को पूर्ण स्वराज चाहिए और इसके लिए कांग्रेस की ओर से कहा गया कि अगर अंग्रेज 26 जनवरी, 1930 तक भारत को आजाद नहीं करते हैं तो फिर भारत खुद को आजाद घोषित कर देगा. अंग्रेजों को कांग्रेस की बात नहीं ही माननी थी, तो वो नहीं माने.
विरोध में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अंग्रेजों के रहने के बावजूद तय तारीख यानी कि 26 जनवरी, 1930 को रावी नदी के किनारे तिरंगा झंडा फहराकर भारत की आजादी की घोषणा कर दी. पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में 26 जनवरी की तारीख इतिहास बन गई, क्योंकि लाखों लोगों ने तिरंगा फहराकर भारत की आजादी की मुनादी की. तब से हर साल कांग्रेस ने 26 जनवरी की तारीख को पूर्ण स्वराज दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया.
1947 में आजादी के बाद भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त हो गया, लेकिन 26 जनवरी भी एक अहम तारीख थी, जिसे याद रखा जाना जरूरी था. ऐसे में जब 26 नवंबर, 1949 को भारत ने अपना संविधान तैयार कर भी लिया तो फिर दो महीने का इंतजार और किया गया. और फिर पूर्ण स्वराज की 22वीं वर्षगांठ पर संविधान को लागू करके पूर्ण स्वराज दिवस को गणतंत्र दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.