(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
BLOG: किस बड़े रिकॉर्ड पर है धोनी की निगाहें
चैन से बैठकर सोचिए तो ये चमत्कार ही लगता है. ये चमत्कार चेन्नई की टीम का प्रदर्शन है. अब तक खेले गए 10 सीजन में चेन्नई की टीम ने 6 बार फाइनल खेला है. जिसमें से 2 बार वो चैंपियन बनी है. 4 बार रनर्स-अप का खिताब उसने जीता है. इस बार 11वें सीजन में भी चेन्नई की टीम प्लेऑफ में पहुंच चुकी है. लीग मैचों में 14 में से 9 मैच जीतकर वो प्वाइंट टेबल में दूसरी पायदान पर है.
चैन से बैठकर सोचिए तो ये चमत्कार ही लगता है. ये चमत्कार चेन्नई की टीम का प्रदर्शन है. अब तक खेले गए 10 सीजन में चेन्नई की टीम ने 6 बार फाइनल खेला है. जिसमें से 2 बार वो चैंपियन बनी है. 4 बार रनर्स-अप का खिताब उसने जीता है. इस बार 11वें सीजन में भी चेन्नई की टीम प्लेऑफ में पहुंच चुकी है. लीग मैचों में 14 में से 9 मैच जीतकर वो प्वाइंट टेबल में दूसरी पायदान पर है.
पहले पायदान पर सनराइजर्स हैदराबाद है. मैच हैदराबाद की टीम ने भी 9 ही जीते हैं लेकिन रनरेट के मामूली से फर्क से वो पहले पायदान पर है, वरना पहले पायदान पर भी चेन्नई का ही कब्जा होता. व्यवहारिक बात करें तो पहले और दूसरे पायदान से कोई फर्क इसलिए नहीं पड़ता क्योंकि मुकाबला तब भी चेन्नई और हैदराबाद का ही होना था. इस सीजन में चेन्नई की टीम ने ‘बैन’ के बाद वापसी की थी इसलिए भी उसका ये शानदार प्रदर्शन चमत्कार सरीखा है.
आज हैदराबाद के खिलाफ अगर चेन्नई को जीत मिलती है तो उसे सीधे इस सीजन के फाइनल का टिकट मिल जाएगा. सात नंबर की जर्सी पहनने वाले चेन्नई के करिश्माई कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए ये अनोखी जीत होगी, जहां अपनी कप्तानी में वो सातवीं बार टीम को फाइनल तक का सफर तय कराएंगे.
क्या है धोनी की टीम की ताकत सीजन की शुरूआत में ऐसा लगा था कि धोनी की टीम उम्रदराज खिलाड़ियों की फौज है. चेन्नई की टीम में इक्का दुक्का खिलाड़ियों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर खिलाड़ी 35 साल से ऊपर के थे. इसमें कप्तान धोनी भी शामिल हैं. लेकिन जैसे जैसे सीजन आगे बढ़ने लगा ये समझ आया कि धोनी की टीम का ‘कोऑर्डिनेशन’ कमाल का है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है खिलाड़ियों का अनुभव. शेन वॉटसन, ड्वेन ब्रावो, हरभजन सिंह, अंबाति रायडू और खुद धोनी जैसे खिलाड़ियों ने अपने अनुभव के दम पर कई बाजियां पलट दीं.
बैन के बाद जिस तरह इस सीजन में धोनी की टीम एकजुट होकर खेली उससे भी ये साबित हुआ कि टी-20 भले ही कम उम्र के खिलाड़ियों के लिए बना फॉर्मेट है लेकिन यहां भी अनुभव का जलवा होता है. रिकॉर्ड बुक भी इस बात की तस्दीक करती है. सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले टॉप 10 बल्लेबाजों में 3 नाम चेन्नई के हैं. अंबाति रायडू ने 586, धोनी ने 446 और वॉटसन ने 438 रन बनाए हैं. इस सीजन में जो 4 शतक लगे हैं उसमें से दो शतक चेन्नई के खिलाड़ियों के नाम दर्ज हैं.
पहला शतक शेन वॉटसन ने लगाया था और दूसरा अंबाति रायडू ने. सबसे ज्यादा औसत वाले बल्लेबाजों की फेहरिस्त में धोनी खुद पहली पायदान पर हैं. इस सीजन में उन्होंने 89.2 की औसत से रन बटोरे हैं. सबसे कामयाब विकेटकीपर के तौर पर भी धोनी टॉप 3 खिलाड़ियों में शामिल हैं. गेंदबाजी में रिकॉर्ड बुक में चेन्नई के गेंदबाजों का नाम नहीं है लेकिन उन्होंने अब तक सीजन में बड़ी ही सूझबूझ से प्रदर्शन किया है.
क्या है धोनी के सातवें फाइनल के रास्ते की साढ़े साती?
धोनी के रास्ते की अगर कोई बड़ी अड़चन है तो सनराइजर्स हैदराबाद के गेंदबाज. हैदराबाद के गेंदबाजों ने इस सीजन में शानदार प्रदर्शन किया है. हैदराबाद का प्वाइंट टेबल में पहले पायदान पर कब्जा इसलिए ही है क्योंकि उसके गेंदबाजों ने इस सीजन में 118 रनों से लेकर 151 रनों के अपेक्षाकृत कम लक्ष्य को भी डिफेंड किया है. राशिद खान, शाकिब अल हसन और सिद्धार्थ कौल ने इस सीजन में अब तक बेहतरीन गेंदबाजी की है.
धोनी की तरह ही सनराइजर्स हैदराबाद के कप्तान केन विलियम्सन ने ‘लीड’ किया है. वो इस सीजन में अपनी टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बना चुके हैं. सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की फेहरिस्त में वो 661 रनों के साथ दूसरे पायदान पर भी हैं. शिखर धवन की फॉर्म भी अच्छी है. आज मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में मुकाबला जोरदार होगा. हारने वाली टीम को फाइनल का टिकट पाने के लिए एक मौका और मिलेगा, लेकिन उस मौके का इंतजार करने को ना तो चेन्नई तैयार है ना ही हैदराबाद. भूलिएगा नहीं इसी मैदान में शानदार छक्के के साथ धोनी ने 2011 विश्व कप में भारत को जीत दिलाई थी.