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इस सीजन ने युवराज सिंह को कुछ दिया तो सिर्फ और सिर्फ नाकामी

वो दिन मैं कभी भूल नहीं सकता. 2011 विश्व कप का क्वार्टर फाइनल था. भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें अहमदाबाद में आमने-सामने थीं. वो युवराज सिंह ही थे जिन्होंने सुरेश रैना के साथ मिलकर उस मैच में भारत को जीत दिलाई थी. मैच के बाद युवी जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आए तो उनके लिए तालियां बजी. युवराज सिंह भावुक हो गए, उन्होंने कहाकि ऐसा पहली बार हो रहा है जब मीडिया के लोगों ने उनके लिए तालियां बजाई हों.

वो दिन मैं कभी भूल नहीं सकता. 2011 विश्व कप का क्वार्टर फाइनल था. भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें अहमदाबाद में आमने-सामने थीं. वो युवराज सिंह ही थे जिन्होंने सुरेश रैना के साथ मिलकर उस मैच में भारत को जीत दिलाई थी. मैच के बाद युवी जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आए तो उनके लिए तालियां बजी. युवराज सिंह भावुक हो गए, उन्होंने कहाकि ऐसा पहली बार हो रहा है जब मीडिया के लोगों ने उनके लिए तालियां बजाई हों.

हसंते हुए उन्होंने ये भी कहाकि निश्चित तौर पर उन्होंने कुछ बड़ा किया है जिसके लिए तालियां बजीं. इसके बाद भारत ने सेमीफाइनल में पाकिस्तान और फिर फाइनल में श्रीलंका को हराकर विश्व कप जीता. 28 साल बाद भारत वर्ल्ड चैंपियन बना. युवराज सिंह मैन ऑफ द सीरीज बने. इस शानदार उपलब्धि के कुछ ही दिनों बाद उन्हें कैंसर डिटेक्ट हुआ. देश सदमे में था. तमाम चाहने वालों ने युवी के लिए दुआएं कीं. युवी ठीक होकर लौटे. ना सिर्फ ठीक होकर लौटे बल्कि उन्होंने क्रिकेट के मैदान में वापसी भी की. जो उनके अंदर के फाइटर को दिखाती है. सच पूछिए तो युवराज सिंह के नाम के साथ ऐसी तमाम यादें जुड़ी हुई हैं. जो चेहरे पर खुशियां लाती हैं.

वो टी-20 वर्ल्ड कप में 6 गेंद पर 6 छक्कें हो या तमाम ऐसे मैच जहां उन्होंने अपने खेल से टीम को जीत दिलाई. ऐसे दर्जनों उदाहरण लोगों को याद हैं जब क्रिकेट फैंस ने युवराज सिंह को मैदान में दहाड़ते देखा है. अफसोस, आईपीएल के इस सीजन में युवराज सिंह का चेहरा देखा नहीं जाता. वो क्रीज पर उतरते हैं अपनी टीम को जिताने के लिए लेकिन मायूस लौट जाते हैं.

भारी पड़ा आईपीएल का ये सीजन

युवराज सिंह इस सीजन में किंग्स इलेवन पंजाब के साथ थे. वो इस टीम की कप्तानी भी पहले कर चुके हैं. इस बार कप्तानी भले ही उनके पास नहीं थी लेकिन टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक थे. उनसे टीम को बहुत उम्मीद थी. क्रिस गेल और केएल राहुल के तौर पर टीम के दो जबरदस्त सलामी बल्लेबाज थे. मध्यक्रम में फिनिशर का रोल युवराज सिंह का था. अफसोस पूरे करियर में युवराज सिंह ने जिस रोल को शानदार तरीके से निभाया था, इस सीजन में वो उसी रोल को निभाने में नाकाम साबित हुए.

पंजाब की टीम चूंकि मुकाबले जीत रही थी इसलिए युवराज सिंह के फॉर्म पर किसी ने नाक भौं नहीं सिकोड़ी. जैसे ही टीम का हारना शुरू हुआ युवराज सिंह के तौर पर कमजोर कड़ी सभी को दिखने लगी. बुधवार को मुंबई के खिलाफ मैच में भी पंजाब को जो तीन रनों से हार का सामना करना पड़ा उसके पीछे युवी का फ्लॉप होना ही रहा. आखिरी दो ओवर में 23 रन कोई बड़ी बात नहीं है, बशर्ते क्रीज पर मौजूद बल्लेबाज लंबे शॉट्स खेल सके. युवराज सिंह इस पूरे सीजन में लंबे शॉट्स खेलने में नाकाम रहे. इस सीजन के 8 मैचों में उनके बल्ले से सिर्फ 65 रन निकले हैं. युवराज सिंह जैसे धाकड़ बल्लेबाज के नाम इस सीजन में कुल 2 छक्के हैं. जाहिर है इस सीजन ने युवराज सिंह को कुछ दिया तो सिर्फ नाकामी.

क्या भविष्य का फैसला करेंगे युवराज?

गौतम गंभीर के बाद युवराज सिंह दूसरे ऐसे भारतीय स्टार हैं जिनकी मौजूदा फॉर्म उनके आईपीएल करियर पर सवाल खड़े कर रही है. युवराज सिंह 36 साल की उम्र पार कर चुके हैं. भारतीय टीम से वो लंबे समय से बाहर हैं. वनडे टीम से बाहर हुए उन्हें करीब 1 साल का वक्त बीत चुका है. अगले साल विश्व भी होना है.

ऐसे में बतौर कप्तान विराट कोहली ऐसे खिलाड़ियों पर भरोसा करेंगे जो अगले 3-4 साल तक मैदान में बने रहें. मध्यक्रम में युवराज सिंह के कई विकल्प तैयार हो चुके हैं. जिस फील्डिंग और गेंदबाजी के दम पर युवी कई बार बाजी मार लेते थे, उसमें भी वो अब बेरंग ही दिख रहे हैं. इस सीजन में अब तक उन्होंने सिर्फ 2 ओवर गेंदबाजी की है. ये सारी बातें इसी तरफ इशारा कर रही हैं कि अब युवराज सिंह को अपने भविष्य का फैसला कर लेना चाहिए. इसके बाद लिया गया फैसला देरी से लिया गया फैसला कहलाएगा.

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