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एक बड़ी कंपनी की सीईओ सूचना सेठ के जीवन का खालीपन था सफलताओं पर भारी, बेटे का कत्ल दिखाता है गुस्से का चरम

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का स्टार्टअप, उसकी सीईओ, अच्छी खासी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा, लेकिन पारिवारिक जीवन में तनाव झेल रही सूचना सेठ के ऊपर अपने बेटे के कत्ल का इल्जाम लगा है. गोआ में अपने बच्चे का कत्ल करने के बाद उसे बडे़ से सूटकेस में रखा और फिर उसे ठिकाने लगाने जा रही थी, लेकिन होटल के कर्मचारियों को शक हुआ और उन्होंने पुलिस को बुला दिया. सूचना सेठ को अपने चार साल के बेटे की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. सूचना का अपने पति से तालाक हो चूका था और उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी. अपने बेटे की हत्या करने के साथ ही सूचना ने खुदकुशी का प्रयास किया. पुलिस लगातार उनसे पूछताछ  कर रहीं है लेकिन वो लगातार अपने बयानों को बदल रही है.

सूचना का कदम हिला देनेवाला 

पुलिस ने जब घटनास्थल पर सीन रीक्रिएट किया तब सूचना ने बताया कि कैसे बच्चे की लाश को सूटकेस में रखा लेकिन वो इस बात से लगातार इंकार कर रही हैं कि उन्होंने अपने बेटे को मारा है. पुलिस का कहना है कि सूचना जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं. यह अफसोसनाक है कि हमारी सभ्यता कहां जा रही है, क्या सफलता के यहीं मापदंड रह गए है? सारी भौतिक-आर्थिक सफलता में हम सभी चीजों को पीछे छोड़ते जा रहे है. जिसमें खासकर हमारी मानसिक शांति, हमारा रिश्तों के लिए प्यार और बहुत सारी चीजें पीछे छूटती जा रही है. इस सफलता के क्रम में जो चीज मिलनी चाहिए थी वो है, मेंटल पीस, खुशी, समझदारी, लेकिन ये सारी चीजें कहीं न कहीं छूटती जा रही है. कहना बहुत आसान होता है कि एक मां ने अपने बच्चे को मार दिया. लेकिन ये इतना आसान होता नहीं है. ये नहीं कहा जा सकता कि एक मां ने बड़ी आसानी से प्लान करके अपने बच्चे की हत्या कर दी. जब सारी चीजें सामने आती है तो लगता है कि ये बड़े आसानी से कर दिया गया होगा. लेकिन ये बहुत ही मुश्किल है. उसकी मानसिक अवस्था का अंदाजा भी लगाना बेहद मुश्किल होता है. 

गुस्से की पराकाष्ठा है यह कत्ल

अगर कोई आदतन अपराधी नहीं है और उसने पहले से प्लान नहीं किया है तो वो ऐसी घटनाएं 'हीट ऑफ द मूवमेंट' में ही होती हैं. सूचना का अपने पति से पहले से ही प्रॉब्लम चल रहा था. सूचना किस मानसिक स्थिति से गुजर रही थीं कि इस घटना को अंजाम दिया ये समझना बेहद मुश्किल है. सूचना अपने बच्चे को अपने पति को नहीं देना चाहती थी. साथ ही उन्होंने आत्महत्या करने की भी कोशिश की थी. हत्या करने की कोशिश इंसान तब करता है जब उसका मकसद सिर्फ इतना होता है कि उसे मार कर निकल जाना है. लेकिन सूचना ने पहले अपने बच्चे को मारा फिर खूद को मारने की कोशिश की. वो इस पूरे प्रक्रिया को ही खत्म करना चाहती थी. यानी, वह नहीं चाहती थी कि वह भी बचे और कोई भी सिरा छूटा रहे. कोई मां जब अपने बच्चे को खुद आत्महत्या करने के पहले मारना चाहती है तो उसके दिमाग में ये जरूर ये रहता है कि मेरे बाद बच्चे का क्या होगा. बच्चे को कोई कष्ट न हो उससे अच्छा है कि वो भी खत्म हो जाए. वो इन सारी प्रक्रिया से गुजरती है. सूचना के मकसद के बारे में किसी को नहीं पता कि वो ऐसा क्यों करना चाहती थी. लेकिन अगर सूचना ने बच्चे को मारने के बाद छोड़ दिया होता तो पहले तो ये लगता कि उसका मोटिव कुछ और है, वो किसी और को भी खत्म करना चाहती है. दूसरा ये लगता कि मेरा बच्चा मेरा है, मेरे बाद उसका कुछ खराब न हो उसके लिए उसे पहले ही खत्म कर देना चाहिए ताकि चीजें पहले ही खत्म हो जाए और दुख के लिए कुछ भी न बचे. सूचना के सुसाइड करने की कोशिश यही बताती है कि वो सारी चीजें खत्म करना चाहती थी. जिस भी प्रॉब्लम से वो गुजर रही थी वो उन सारी चीजों को खत्म करना चाहती थी. 

सब कुछ लुटा तो होश में आना बेकार

कई बार आपने सुना होगा कि सुसाइड करने वाले कोशिश तो कर लेते है लेकिन उसके बाद वो उससे निकलने की कोशिश करते है. वो एकदम से होश में आने वाली बात होती है. आपने देखा होगा कि कोई अपने आप को आग लगाता है तो शरीर जलने लगता है फिर उसे ये लगता है कि ये गलत है और मुझे इससे निकलना है. डूबकर खूद को मारने की कोशिश करने वाला व्यक्ति भी इससे निकलने की कोशिश करता है. सूचना के दिमाग में उस समय क्या चल रहा था ये कोई नहीं जानता. वो सिर्फ बार बार अपने बयान को बदल रही है.  हम आर्थिक रूप से संपन्न होते जा रहे है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के मन के अंदर बहुत शोर है. ये सारी चीजें हमारे दिमाग में एकदम से नहीं आती, पहले से चल रही होती है. हम अपनी सोच पर काबू नहीं कर सकते. ये विस्फोटक स्थिति तब आती है जब हमें वो सारी चीजें साफ दिखाई देती है. हमारे मन के अंदर क्या चल रहा है हम उसपे कहीं न कहीं ध्यान नहीं देते है. हमारी शिक्षा पद्धति में भी इन सब पर ध्यान नहीं दिया गया है. ये चीजें बहुत ही पीड़ादायक हैं और एक समाज के तौर पर हमारे बिखराव और उलझन को दिखाती है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

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