Election 2022: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS Chief) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कुछ दिनों पहले ही चेताया था कि यू ट्यूब (You Tube) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कड़ी निगरानी रखने की जरुरत है, क्योंकि इनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा रहा है. उनकी चेतावनी को मोदी सरकार ने गंभीरता से लिया और पिछले करीब महीने भर से खुफिया एजेंसियों की एक पूरी विंग ही ये खंगालने में जुटी हुई थी कि देश के भीतर या बाहर से ऐसे कौन से चैनल ऑपरेट हो रहे हैं, जो भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं.


आखिरकार पता लगा कि अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की ये करतूत पाकिस्तान की सरजमीं से ही हो रही है. दरअसल हमारे रक्षाबलों की कड़ी चौकसी और जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान काफी हद तक अब कश्मीर में आतंक फैलाने में नाकाम हो चुका है. लिहाजा उसने भारत के मुसलमानों और किसान आंदोलन के दौरान सिखों को भी मोदी सरकार के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए आधुनिक सूचना तकनीक का सहारा लिया और अलग-अलग जरिये से दर्जनों यू ट्यूब चैनल शुरु करके भारत के खिलाफ बेहद आक्रामक तरीके से दुष्प्रचार शुरु कर दिया.


दरअसल, भारत सरकार ने जिन 20 यू ट्यूब चैनलों और दो वेब पोर्टल पर बैन लगाया है. उन सबकी फंडिंग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI कर रही थी. खुफिया सूत्रों की मानें तो भारत के खिलाफ ये प्रोपेगैंडा करने में ISIS को कुछ हद तक चीन से भी आर्थिक मदद मिल रही थी. इसका एकमात्र मकसद यही था कि झूठी खबरें-वीडियो दिखाकर भारत के अल्पसंख्यकों को सरकार के खिलाफ भड़काकर देश में अस्थिरता का माहौल बना दिया जाए. हैरानी की बात ये भी है कि इनमें से कुछ का संचालन पाकिस्तान के न्यूज़ चैनलों के एंकर कर रहे थे, जिन्हें उसके बदले में मोटा पैसा मिल रहा था.


भारत विरोधी दुष्प्रचार की कैंपेन चलाने के लिए एक रणनीति के तहत ही नया पाकिस्तान ग्रुप (NPG) बनाया गया. इसके कई यूट्यूब चैनल्स हैं, जिनमें से 15 चैनलों पर सिर्फ भारत के खिलाफ ही जहर उगला जा रहा था. पांच अन्य ऐसे यूट्यूब चैनल हैं, जो एनपीजी से संबंधित नहीं हैं और उनका संचालन अलग हाथों में है, लेकिन उनका मकसद भी भारत विरोधी दुष्प्रचार करना ही है. व्हिसपर कंपैन कितना ताकतवर होता है, उसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इन चैनलों के अब तक 35 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर बन चुके हैं और इनके वीडियोज़ पर अब तक 55 करोड़ से ज्यादा व्यूज़ आ चुके हैं. बताया गया है इन्हें देखने वालों में पाकिस्तान से ज्यादा भारत के मुसलमानों की तादाद है और इनमें भी उतर प्रदेश व पश्चिम बंगाल की मुस्लिम आबादी अव्वल है.


संघ से जुड़े सूत्रों की मानें तो इसी तरह के कुछ वीडियोज देखने के बाद ही संघ प्रमुख मोहन भागवत को सार्वजनिक रुप से ये चेतावनी देनी पड़ी थी कि सरकार को ये दुष्प्रचार रोकने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे. लिहाज़ा उसके बाद ही PMO के निर्देश पर खुफिया एजेंसिया और सूचना-प्रसारण मंत्रालय हरकत में आया. बता दें कि आईटी एक्ट 2021 के तहत यह पहली बड़ी कार्रवाई हुई है.


नए आईटी कानून के नियम 16 के तहत पहली बार आपातकालीन स्थिति में स्पेशल पावर का इस्तेमाल किया गया और इन चैनलों और वेबसाइटों को सरकार ने ब्लॉक करने का आदेश दिया है. जिन यूट्यूब चैनलों को ब्लॉक किया गया है उनके नाम हैं. पंच लाइन, इंटरनेशनल वेब न्यूज, खालसा टीवी, द नेकेड ट्रुथ, 48 न्यूज, फिक्शनल, हिस्टोरिकल फैक्ट्स, कवर स्टोरी, गो ग्लोबल, ई-कॉमर्स, जुनैत हलीम ऑफिशियल, तैयब हनीफ, जैन अली ऑफिशियल, मोहसिन राजपूत, ऑफिशियल, कनीज फातिमा, सदफ दुर्रानी, मियां इमरान, अहमद, नजम उल हसन, बाजवा और न्यूज 24.


इनके जरिये सरकार के खिलाफ अल्पसंख्यकों को भड़काने की जिस तरह से कोशिश हो रही थी, उससे सरकार को यह भी आशंका थी कि इन चैनलों का इस्तेमाल 5 राज्यों में आगामी चुनावों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने के लिए कंटेंट पोस्ट करने के लिए भी हो सकता था. फिलहाल तो सरकार ने पाकिस्तान से उसका कारगर हथियार छीन लिया है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या वह अब अपनी नापाक हरकतों से बाज़ आ जायेगा?


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