आपातकाल के बाद जनता सरकार आने पर कांग्रेस को केंद्र की सत्ता में लाने में फिर से भूमिका 4 अक्टूबर 1977 में इंदिरा गांधी, केडी मालवीय, एचआर गोखले सहित पार्टी के कई नेताओं की गिरफ्तारी ने निभाई. तत्कालीन सरकार ने पेट्रोलियम सेक्रेटरी बी बी वोहपा, बिजनेसमैन आर,पी गोयनका की गिरफ्तारी का भी एलान किया था.


जनता दल की सरकार ने ऐसी गलती की कि 1977 में इंदिरा गांधी को जेल में बंद करने के बाद कांग्रेस को ऐसा समर्थन मिला कि वो 1980 में फिर से जीती. मोरारजी देसाई की सरकार ने  3 अक्टूबर 1977 को इंदिरा गांधी और उनके 4 कैबिनेट मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज दो अलग-अलग केस में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार कराया. इसके अगले दिन यानी 4 अक्टूबर 1977 की सुबह कोर्ट ने सबूतों की कमी के वजह से उनको 16 घंटे बाद ही रिहा कर दिया.


आरोप क्या थे?
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पर एक केस आईपीसी के तहत और दूसरा प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत दर्ज था. उन पर आरोप था उन्होंने पीसी सेठ और पांच लोगों के साथ मिलकर चुनाव प्रचार करने के लिए अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल कर जीप ली थी. उन पर दूसरे केस में कहा गया कि  ONGC और एक फ्रेंच तेल कम्पनी CFP का एक एग्रीमेंट हुआ जिसमें कि CFP को Bombay High offshore drilling यानी कि तेल निकालने के Phase III की कमान संभालने का जिम्मा दिया गया था. ये भ्रष्ट तरीके से उद्योगपतियों के साथ मिलकर किया गया था, जिसमें कि इंदिरा गांधी की भूमिका थी.


तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई ने क्यों जांच शुरू की?
इंदिरा गांधी ने अपनी गिरफ्तारी क राजनीतिक बदला बताया था. दरअसल साल 1969 में वो मोरारजी देसाई को कैबिनेट से हटाकर खुद वित्त मंत्री बन गई थी. वो जब खुद पीएम बने तो उन्होंने ऐसा बदला लिया. वैसे तो बेलाची  दलित हत्याकांड को कांग्रेस की वापसी की सबसे बड़ी वजह बताया जाता, लेकिन इंदिरा गांधी की 16 घंटे के लिए जेल भेजना भी उनके पक्ष काम किया. 


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