हरियाणा में जब कई जगह राजनीतिक मंच सजते हैं तो समर्थक अपने दिग्गज नेताओं के आगमन पर शेर आया, शेर आया जैसा शोर गुल कर माहौल में जोश भरते हैं. अब एक सिंह आया है चुपचाप,एकदम शांति के साथ.नाम तो आप जानते हैं नायब सिंह सैनी, मगर इस सिंह में रोचक पहलू यह है कि वे हरियाणा के चौथे सिंह मुख्यमंत्री हैं,जो प्रदेश की राजनीति में अलग मुकाम की ओर कदम बढ़ रहे हैं. 


दरअसल, हरियाणा में अब तक 11 राजनेता रहे हैं जो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए. मगर इनमें खूब बोलबाला तीन लाल यानी देवीलाल,बंसी लाल और भजनलाल का रहा. साल 2014 में परिदृश्य बदला और अक्तूबर 2014 से मार्च 2024 तक चौथे लाल बने मनोहर लाल खट्टर. जो मुख्यमंत्री बनने के बाद खूब सुर्खियों में रहे. उन्होंने विधिवत अपने नाम के आगे से खट्टर हटवा कर लाल कराना ज्यादा उचित समझा था. इसी वजह से वे हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की लाल परंपरा के चौथे लाल बादशाह बने थे और हरियाणा से लेकर देश की सियासत में उनका जलवा कायम है. हरियाणा में आज जो परिणाम सामने देख रहे हैं,उसमें मनोहर लाल फैक्टर की बड़ी भूमिका है.


गेम चेंजर चौथे सिंह


खैर, हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा हो चुकी है. गेम चेंजर भाजपा अपने दम पर पहली बार हरियाणा में जादुई आंकड़े से अधिक 48 सीटों वाली सबसे बड़ी पार्टी के रुप उभरी है. इस शानदार नंबर के साथ प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी बनने जा रहे हैं. वे 12 मार्च 2024 से हरियाणा के मुख्यमंत्री की कमान संभाल रहे थे. आलाकमान के आशीर्वाद से दूसरी बार उन्हें ही हरियाणा के मुख्यमंत्री पद सौंपे जाने की घोषणा हो चुकी है.


और जिस तरह 2014 में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बनने के साथ मनोहर लाल चौथे लाल बने थे,उसी तरह हरियाणा में भाजपा की पहली बड़ी जीत के साथ जो मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं वो चौथे सिंह मुख्यमंत्री होंगे नायब सिंह सैनी.


1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा राव तुलाराम के वंश राव बीरेंद्र सिंह


हरियाणा के पहले सिंह मुख्यमंत्री बने थे 1857 में हुए पहले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा राजा राव तुलाराम के वंशज महाराज राव बीरेंद्र सिंह. वर्तमान भाजपा सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह के पिता थे. उनकी पोती आरती राव 2024 के विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा की टिकट पर चुनाव जीत कर विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ने जा रही है. हरियाणा की राजनीति में राव वीरेंद्र सिंह की धमक अहीरवाल में आज भी कायम है.


नवंबर 1966 में हरियाणा के अलग सूबा बनने के साथ ही पहले मुख्यमंत्री बने थे स्वतंत्रता सेनानी पंडित भगवत दयाल शर्मा,जबकि हरियाणा विधानसभा के पहले अध्यक्ष बने थे राव बीरेंद्र सिंह,मगर चंद दिन रहे पंडित भगवददयाल शर्मा के मुख्यमंत्री काल के बाद हरियाणा विधानसभा का पहला चुनाव मार्च 1967 में हुआ था और तब पटौदी विधानसभा क्षेत्र से राव बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस की टिकट पर जीत दर्ज की थी.


ये थे हरियाणा की राजनीति के पहले सिंह,जो बने थे गेम चेंजर


वे राव बीरेंद्र सिंह ही थे, जिन्होंने हरियाणा में कांग्रेस से बगावत कर विशाल हरियाणा पार्टी बनाई थी और 24 मार्च 1967 को भगवत दयाल शर्मा का तख्ता पलट कर अपने नये राजनीतिक दल के साथ मुख्यमंत्री का पद संभाला था,लेकिन उनके नेतृत्व में सिर्फ 241 दिन सरकार चली थी . हरियाणा की राजनीतिक में दूसरे सिंह हुकम सिंह बने थे,जिन्हें ताऊ देवीलाल के आशीर्वाद से 1990 में मुख्यमंत्री का पद मिला था,लेकिन बाद में चौटाला परिवार से खफा होकर वे भी बागी हो गए थे.


तीसरे सिंह भूपेंदर सिंह हुड्डा बने जो कि पुराने सिंहों के कार्यकाल पर अब तक भारी हैं, क्योंकि राव वीरेंद्र सिंह महज 241 दिन, हुकम सिंह फौगाट सिर्फ 248 दिन और भूपेंद्र सिंह हुड्डा 9 साल 225 दिन मुख्यमंत्री रहे. हालांकि चौथे सिंह नायब सिंह सैनी अभी तक सिर्फ 205 दिन के सीएम रहे हैं और अगला कार्यकाल कितना लंबा होगा भी इतिहास में आवश्य दर्ज होगा.


सीएम की कुर्सी पर सबसे अधिक अवधि और सबसे ज्यादा बार शपथ


वैसे अभी तक हरियाणा चार लाल और चार सिंह में भजन लाल के 11 साल 298 दिन तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड हरियाणा में कोई राजनेता नहीं तोड़ सका. भजन लाल को हरियाणा में तीन बार मुख्यमंत्री बनने का असर मिला था. वहीं इस श्रृंखला में बंसी लाल हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री हैं सबसे लंबे समय तक यानी 11 साल 282 दिन तक इस पद पर रहे.मनोहर लाल तीसरे और भूपेंद्र सिंह हुड्डा चौथे नंबर है. हालांकि हरियाणा की राजनीतिक में एक रोचक पहलू ये भी है कि ओम प्रकाश चौटाला को पांच बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का सौभाग्य मिला,लेकिन उनका कार्यकाल महज 5 साल 314 दिन का ही रहा.अब देखना यह है कि नायब सिंह किसका रिकॉर्ड तोड़ेंगे.


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