भारत में कोरोना (Corona) की तीसरी लहर (Third wave) ने अभी दस्तक ही दी है लेकिन विशेषज्ञ भी ये कह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि कि ओमिक्रोन (Omicron) किस हद तक यहां अपना कहर बरपायेगा. जिस तेजी से मामले बढ़ रहे हैं, वो पुरानी दो लहर की याद दिला रहे हैं. लेकिन इससे भी ज्यादा डराने वाली बात ये है कि इस वायरस (Virus) के एक और नए रूप ने दुनिया में दस्तक दे दी है, जो ओमिक्रोन वेरिएंट (Omicron Variants) से भी ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है. लेकिन भारत (India) में फिलहाल कोरोना के विस्फ़ोट को थामने के लिए तमाम प्रतिबंधों के अलावा सबसे ज्यादा जरुरी है कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की रैलियों पर तुरंत प्रभाव से पाबंदी लगा दी जाए,अन्यथा संक्रमण के विस्फ़ोट को थामना, किसी सरकार के वश नहीं होगा.
दरअसल, दुनिया के तमाम देश इसलिये और भी ज्यादा फिक्रमंद हो गए हैं क्योंकि फ्रांस के वैज्ञानिकों ने कोरोना के एक और वेरिएंट आईएचयू (IHU Variant) का पता लगाया है. मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक IHU Variant 46 बार अपना रूप बदल चुका है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इसमें 46 म्यूटेशन होते हैं. इसलिये माना जा रहा है कि ये बेसिक कोविड के मुकाबले ज्यादा टीका प्रतिरोधी और संक्रामक है. यानी अगर आप टीके की दो खुराक ले चुके हैं, तब भी वह अपनी गिरफ्त मे ले सकता है.
दुनिया के तमाम वैज्ञानिकों का डर इसलिये और भी ज्यादा बढ़ गया है कि ओमिक्रोन की तरह ही इसका संक्रमण फ़ैलने की रफ़्तार भी बेहद तेज हुई,तब क्या होगा.वैसे भारत के लिए तो फ़िलहाल बड़ी चिंता ये है कि ओमिक्रोन से कैसे निपटा जाए.ये तय है कि देर-सवेर ये नया वेरिएंट हमारे यहां भी दस्तक दे सकता है,लिहाज़ा सरकार को अन्तराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने पर भी गंभीरता से सोचना होगा. खासकर फ्रांस से आने-जाने वाली फ्लाइट्स के लिए तो ये फैसला तत्काल ही लिया जा सकता है.
हालांकि फ्रांस के मार्सिले (Marseilles) के पास IHU Variant के कम से कम 12 मामले सामने आए हैं और इसे अफ्रीकी देश कैमरून की यात्रा से जोड़कर देखा जा रहा है. IHU नामित, B.1.640.2 वेरिएंट की खोज IHU Mediterranee Infection centre में वैज्ञानिकों द्वारा की गई. शोधकर्ताओं का कहना है कि इसमें 46 म्यूटेशन (Mutations) होते हैं जो ओमिक्रोन से भी अधिक संक्रामक है और वैक्सीन का इस पर असर नहीं भी हो सकता है. फिलहाल थोड़ी राहत की ये है कि IHU Variant अभी तेजी से नहीं फैल रहा है. हालांकि अभी ये देखना बाकी है कि क्या ये नया वेरिएंट किन्हीं और देशों में भी फैला है कि नहीं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से अभी IHU Variant यानी बी.1.640.2 की जांच के लिए लेबल नहीं दिया गया है. ये बीमारी कितना घातक हो सकता है, ये भी अभी पूरी तरह से साफ नहीं है. महामारी विशेषज्ञ एरिक फीगल-डिंग (Eric Feigl-Ding) ने कहा है कि नए वेरिएंट सामने आते रहते हैं लेकिन इसका ये मतलब निकालना फिलहाल जल्दबाजी होगी कि वे कितने अधिक खतरनाक होंगे.
इस समय फ्रांस में ओमिक्रोन वेरिएंट का कहर है और कोरोना के कुल मामलों में करीब 60 फीसदी केस ओमिक्रोन वेरिएंट के हैं. दक्षिण अफ्रीका से होते हुए ओमिक्रोन वेरिएंट भारत समेत कई देशों में पहुंच चुका है. दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एमवली के मुताबिक, "ये नया वेरिएंट फ्रांस में एक तरह से कोरोना की पांचवी लहर की शुरूआत है और हमारी सरकारों को इससे सबक लेते हुए तमाम तरह की एहतियाती पाबंदी लगाने पर सोचना होगा क्योंकि लोग बेपरवाह हो गए हैं. अभी तक संक्रमण का विस्फ़ोट वहीं सबसे ज़्यादा हुआ है, जहां लोगों का ज्यादा जमावड़ा हुआ. लिहाज़ा, चुनांवी रैलियों पर पाबंदी लगाकर इसके विस्फोट को काफी हद तक रोका जा सकता है."
गौरतलब है कि दिसम्बर 2019 में चीन के वुहान शहर से निकले कोविड-19 वायरस के आधा दर्जन से ज्यादा रूपों के कहर का दुनिया अब तक सामना कर चुकी है- अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और अब ओमीक्रॉन. फ्रांस में खोजा गया नया वेरिएंट इसका छठा रुप है. हालांकि, इन वेरिएंट में कई ऐसी चीजें हैं जो इन्हें एक-दूसरे से अलग करती हैं. वायरस के म्यूटेशन के कारण इस तरह के अलग-अलग प्रकार सामने आए हैं और उसी आधार पर उन्हें दिए गए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इनका मुख्य रूप से दो तरह से क्लासिफिकेशन किया है. इनमें 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' और 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' शामिल हैं. अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमीक्रॉन को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' में रखा गया है. वहीं, लैम्बडा और एमयू जैसे वेरिएंट को 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' में क्लासिफाई किया गया है. अब देखना है कि WHO फ्रांस में मिले IHU Variant को किस श्रेणी में रखता है.
बताते हैं कि पुराने जमाने में राजा-महाराजा भेस बदलकर ये जानने के लिए निकला करते थे कि उनकी प्रजा किस हाल में है लेकिन दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों ने भी इसकी कल्पना नहीं की थी कि 21वीं सदी में एक पिद्दी-सा वायरस एक के बाद एक भेष बदलकर दुनिया में ऐसी तबाही मचा देगा. लिहाज़ा, इस वायरस को अपने सबसे बड़ा दुश्मन मानते हुए इसकी ताकत को हल्के में लेने की गलती न करें बल्कि उससे निपटने के सारे उपाय करने में ही हमारी भलाई है क्योंकि जान है, तो जहान है.
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