Blog: मोदी-योगी की मुलाकात के बाद लगी यूपी को दो हिस्सों में बांटने की अटकलें
नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आज हुई मुलाकात वैसे तो अगले साल होने वाले चुनाव का एजेंडा सेट करने को लेकर ही थी. लेकिन इस मुलाकात के बाद सियासी हलकों में एक अटकल यह भी लगाई जा रही है कि क्या यूपी को दो हिस्सों में बांटने की तैयारी है? हालांकि दावे से कहना मुश्किल है. लेकिन इन अटकलों के मुताबिक मोदी सरकार मौजूदा प्रदेश से पूर्वांचल वाले हिस्से को अलग करके नया राज्य बनाने की सोच रही है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि चुनाव से पहले ऐसा करने से बीजेपी को क्या फायदा होगा और क्या योगी आदित्यनाथ इसके लिए आसानी से तैयार हो जायेंगे?
लेकिन इतना तय है कि इस बार बीजेपी पहले से भी ज्यादा ताकतवर होकर सत्ता में वापसी करने की तैयारी में है. पार्टी सूत्रों की मानें, तो कमोबेश 2017 वाला फार्मूला ही अपनाया जायेगा. लेकिन साथ ही, राम मंदिर के साथ-साथ आरक्षण की राजनीति पर भी इस बार उसका फोकस रहेगा यानी कमंडल व मंडल उसके एजेंडा में प्रमुख होंगे. यही वजह है कि सामाजिक समीकरण साधने के लिए छोटे दलों के नेताओं के साथ मुलाकातों का दौर चल रहा है. उसी कड़ी में गृह मंत्री अमित शाह ने कल अपना दल प्रमुख अनुप्रिया पटेल और निषाद दल के नेता संजय निषाद से मुलाकात कर आगे की संभावनाओं पर चर्चा की.
अपना दल का अन्य पिछड़ी जातियों यानी ओबीसी पर खासा प्रभाव है. जबकि निषाद दल का मल्लाह जाति पर अच्छा दबदबा है. लिहाज़ा बीजेपी इन ओबीसी वोटरों के जरिये अपनी ताकत औऱ मजबूत करना चाहती है. संजय निषाद ने कल हुई मुलाकात के दौरान करीब 15 जातियों को अनसूचित जाति का दर्जा देने का मुद्दा भी उठाया था, जिस पर शाह ने अफसरों के साथ चर्चा करके इस पर विचार करने का आश्वासन दिया था.
चर्चा यह भी है कि केंद्र सरकार में संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाया जा सकता है. वह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी मंत्री रही हैं और शायद यही वजह थी कि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ओबीसी वोटरों का खासा समर्थन मिला था. लिहाजा बीजेपी नहीं चाहती कि यह वर्ग उससे छिटक जाए.
वैसे पिछले करीब महीने भर से यूपी को लेकर आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों की जो सक्रियता रही है और जिस तरह से योगी के विचारों को महत्व दिया गया है, उसे देखते हुए कह सकते हैं कि आज हुई मोदी-योगी की मुलाकात में चुनावी रणनीति का अंतिम फार्मूला तय हो गया है. बताते हैं कि भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में सिर्फ योगी ही ऐसे हैं, जो 'दिल्ली दरबार' के हर फरमान को आंख मूंदकर मानने से पहले उसके नफे-नुकसान के बारे में सोचते हैं और अगर उस पर अमल नहीं करना है, तो उसकी ठोस वजह बताने से हिचकते नहीं हैं, फिर भले ही संघ हो या पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व. लिहाज़ा चुनावी रणनीति का फार्मूला सेट करने में भी उन्हें पूरी तवज्जो दी गई होगी.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)