सेना में भर्ती की योजना आखिर सरकार के लिए ही क्यों बन गई "अग्निपथ" ?
सेना में युवाओं की भर्ती के लिए लाई गई "अग्निपथ" योजना सरकार के लिये ही अग्निपथ बनती दिख रही है. इस योजना के विरोध में बेरोजगार युवा देश के विभिन्न राज्यों में हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं. कई जगहों पर ट्रेनों की बोगियों को भी आग के हवाले कर दिया गया. विपक्षी दलों के नेता भी इस योजना के नुकसान गिनाते हुए उन्हें अपने बयानों से और उकसा रहे हैं. आलम ये है कि इस योजना को लाने का मकसद और उसके फायदे हिंसक प्रदर्शनों के शोरगुल में ही दबकर रह गए हैं.
हालांकि सरकार दावा कर रही है कि इस योजना से तीनों सशस्त्र सेनाओं में बड़ा बदलाव आयेगा. युवाओं की आशंका दूर करने के लिए गृह मंत्रालय ने एलान किया है कि चार साल की सेवा के बाद बाद सेना से रिटायर होने वाले इन "अग्निवीरों" को केंद्रीय सशसत्र बलों में नौकरी मिलेगी. बीजेपी शासित राज्यों के कुछ मुख्यमंत्रियों ने भी राज्य पुलिस और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में नौकरी देने की घोषणा की है. लेकिन युवाओं को सरकार की घोषणा पर यकीन नहीं हो रहा है.
सरकार की मानें तो योजना का मकसद युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना मज़बूत करना, भारतीय सेना के चेहरे को युवा शक्ल देना, युवाओं को भारतीय सेना में सेवा देने की आकांक्षा को पूरा करना है. लेकिन योजना के आलोचक इसे एक गलत कदम बता रहे हैं जो भारतीय सेना के परंपरागत स्वरूप से छेड़खानी कर रहा है और जिससे सैनिकों के हौसले पर असर पड़ सकता है.
सेना के कई रिटायर्ड अफसर मानते हैं कि इस योजना ने कई चिंताएं पैदा कर दी हैं. अव्वल तो इससे समाज के 'सैन्यीकरण' का खतरा है. यानी एक बड़ी संख्या में हथियार चलाने के लिए प्रशिक्षित किए गए युवा नौकरी की अवधि पूरी होने के बाद जब वापस लौटेंगे तब क़ानून-व्यवस्था से जुड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. दूसरी सबसे बड़ी चिंता ये है कि इस योजना की वजह से भारतीय सेना में 'नौसिखिए' जवानों की संख्या बढ़ जाएगी, जो शत्रु देशों की ओर से मिलने वाली चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ होंगे.
तीसरी सबसे बड़ी चिंता ये है कि इस योजना के कारण सशस्त्र बलों की सदियों पुरानी रेजिमेंटल संरचना बाधित हो सकती है रिटायर्ड लेफ़्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने इस योजना कि खामी गिनाते हुए लिखा कि सशस्त्र बलों के लिए ख़तरे की घंटी! इसका पायलट प्रोजेक्ट लाए बिना ही लागू कर दिया गया. समाज के सैन्यीकरण का खतरा. हर साल क़रीब 40 हज़ार युवा बेरोज़गार होंगे. ये अग्निवीर हथियार चलाने में पूरी तरह प्रशिक्षित नहीं होंगे. अच्छा विचार नहीं है. इससे किसी को फ़ायदा नहीं होगा.
हालांकि इसके फायदे गिनाते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि अगले कुछ सालों में इस योजना के तहत हज़ारों भर्तियां होंगी. उन्होंने कहा है कि इससे दसवीं के बाद सेना में भर्ती हुए छात्र को देश की सेवा करने का मौका मिलता है, 12वीं का सर्टिफिकेट मिलेगा उनका स्किल सेट बेहतर होता है. इसमें प्रशिक्षण और पैसा मिलता है. इसके बाद अगर कोई दूसरी नौकरी करता है तो उनको उसमें भी मदद मिलती है. लेकिन विपक्ष सरकार की दलीलों से संतुष्ट नहीं है और वो इसे गलत फैसला बताते हुए देश की सुरक्षा से खिलवाड़ बता रहा है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अग्निपथ योजना पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि न कोई रैंक, न कोई पेंशन, न 2 साल से कोई डायरेक्ट भर्ती, न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य, न सरकार का सेना के प्रति सम्मान, देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हे 'अग्निपथ' पर चला कर इनके संयम की 'अग्निपरीक्षा' मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी.
हिंसक प्रदर्शनों के बीच बीजेपी नेता और सांसद वरुण गांधी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिख कर 'अग्निपथ योजना' को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब देने की गुज़ारिश की है. उन्होंने रक्षामंत्री को टैग करते हुए लिखा है कि युवाओं को असमंजस की स्थिति से बाहर निकालने के लिए सरकार अतिशीघ्र योजना से जुड़े नीतिगत तथ्यों को सामने रख कर अपना पक्ष साफ करे.
सपा नेता अखिलेश यादव ने भी ट्वीट किया कि देश की सुरक्षा कोई अल्पकालिक या अनौपचारिक विषय नहीं है ये अति गंभीर और दीर्घकालिक नीति की अपेक्षा करती है. सैन्य भर्ती को लेकर जो खानापूर्ति करने वाला लापरवाह रवैया अपनाया जा रहा है वो देश और देश के युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए घातक साबित होगा. अग्निपथ से पथ पर अग्नि न हो.
दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने भी सेना भर्ती की नए योजना पर सवाल उठाते हुए ट्वीट कर कहा कि सेना भर्ती में केंद्र सरकार की नई योजना का देश में हर तरफ विरोध हो रहा है. युवा बहुत नाराज हैं. उनकी माग एकदम सही हैं. सेना हमारे देश की शान है, हमारे युवा अपना पूरा जीवन देश को देना चाहते हैं, उनके सपनों को 4 साल में बांधकर मत रखिए. पिछले दो साल सेना में भर्तियाँ ना होने की वजह से जो overage हो गए उनको भी मौका भी दिया जाए.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.