एक्सप्लोरर

चारधाम यात्रा से पहले जोशीमठ-बद्रीनाथ हाईवे पर दरारें, सिर्फ कानूनों से प्रकृति का नहीं हो सकता नियंत्रण

हमें एक बात समझ लेनी चाहिए वो ये कि जो भी पहले कभी चार धाम यात्राओं में आ चुके हैं और जिन्हें उसका अनुभव हो तो आप देखेंगे की कब चार धाम यात्रा में विघ्न नहीं पड़ा है. चूंकि कभी बारिश हो जाती है तो कभी लैंड स्लाइड हो जाता है या रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं. ये कोई नई घटना नहीं है. लेकिन अब इस बात पर बल ज्यादा है क्योंकि जोशीमठ की घटना के बाद इस तरह की बड़ी चर्चाएं हुईं. लोगों में कई तरह का भय और चिंता है. चूंकि जिस तरह की दरारें और सड़क से जुड़ी बातें होती हैं, वो कहीं न कहीं किसी न किसी न रूप में पहाड़ों के दूर दराज के क्षेत्रों में संतुलन बिगड़ा है.

यही कारण है कि बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन बनाया इसलिए गया था की जब कभी भी बॉर्डर एरिया की सड़क किसी घटना के कारण रूक जाए तो उसे तुरंत खोल लिया जाए...तो इस घटना के परिप्रेक्ष्य में मैं पहली बात तो ये कहना चाहूंगा कि इसमें कोई शक नहीं है कि पहाड़ का ऊपरी क्षेत्र संवेदनशील क्षेत्र है और इस तरह की लैंड स्लाइड्स आती रहती है और इसमें कोई नई बात नहीं देखी जानी चाहिए.

ऊंचे इलाकों में हमेशा संवेदनशीलता बनी रहती है

खासकर के यात्रियों के लिए ये कहना चाहूंगा कि उन्हें ये पता नहीं होगा कि अक्सर पहाड़ी के ऊपर छोटी-मोटी बारिश पड़ती रहती है, जिसके कारण रास्ते रूक जाते हैं और इसे उसी रूप में देखना चाहिए. इसको ऐसे मानकर चलें कि ये दो लोगों का दायित्व है उसमें बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन और सरकार शामिल हैं. बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन का यह काम है कि वह इस रोड को क्लीयर रखेगा और अगर कोई और एकाध विशेष दरार सी आई है तो इसका मतलब ये नहीं है कि पूरा बद्रीनाथ धाम का रास्ता थम गया हो. 

उसके लिए कोई न कोई विकल्प निकल पाते हैं. पहले निकाले भी गये हैं. कई बार ऐसा हुआ है कि दो हजार या तीन हजार लोग फंसे हैं क्योंकि वो संवेदनशील क्षेत्र है तो उसको उसी रूप में देखिये. क्योंकि ऊंचे इलाकों में हमेशा संवेदनशीलता बनी रहती है पहाड़ों की जरा सा भी और छेड़छाड़ होती है तो लैंडस्लाइड हो जाती है. मानसून का जब समय होता है और हमें भी संज्ञान में है कि अक्सर जब लोग यात्राओं में जाते हैं तो कहीं न कहीं रास्ते थम जाते हैं. लेकिन दो बड़े संगठन वहां सक्रिय होता है. एक तो आर्मी बेस भी होता है और दूसरा बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन जिनका दायित्व है की बॉर्डर की रोड खुली रहे. इसलिए मैं नहीं समझता हूं कि दरारें आना कोई बहुत बड़ा भय का कारण है या कोई ऐसी दरारें आने वाले समय में चार धाम यात्रा को प्रभावित कर सके.

पहाड़ी इलाकों में विकास कार्य करने की शैली में बदलाव की आवश्यकता

पूरे हिमालयी क्षेत्र के बारे में ये महत्वपूर्ण है कि हिमालय की जो विकास की प्रक्रिया है, जो भी यहां विकास कार्य हो, उसको करने की शैली में ये बात जरूर दिमाग में होनी चाहिए कि आप संवेदनशील पहाड़ों को छूते हैं और आपकी जो काम करने की शैली, जो सड़क बनाना हो या ढांचागत विकास करना हो, उसको एक ऐसे प्रोसेस में करना चाहिए ताकि संज्ञान में रहे कि ये एक इकोलॉजिकल सिस्टम में संवेदनशील क्षेत्र है. उदाहरण के लिए दुनिया में हमारे पास ही केवल पहाड़ नहीं है, बल्कि चीन व यूरोप भी पहाड़ है. वहां भी ये सब कुछ होता है यही है कि वहां कि पारिस्थिति की संवेदनशीलता को समझते हुए कार्य करते हैं. 

हम पर्यावरण को लेकर अब तक नहीं हुए हैं संवेदनशील

अब शायद जोशीमठ की तरह घटना न हो या पूर्व में भी केदारनाथ की त्रासदी आई थी ये एक तरह की शिक्षा है हम सब के लिए की हमारा पहाड़ के लिए कार्य करने की शैली क्या होना चाहिए. क्योंकि अगर हम अपनी कार्यशैली को नहीं बदलेंगे तो पर्यावरण और भी प्रभावित होगा. ये जो आप फरवरी में जो इतनी गर्मी झेल रहे हैं, ये सिर्फ उत्तराखंड या देश की कृपा नहीं है. सारी दुनिया में यही हालात हैं कि जिन्होंने प्रकृति और पर्यावरण को तवज्जो नहीं दिया जितना की इसको आवश्यकता थी और अब चाहे यूनाइटेड नेशन है या जो दूसरे संगठन हैं, वे आपस में मिलकर इस बारे में बात कर रहे हैं. लेकिन ये तो स्पष्ट है कि अभी भी हम इसे लेकर संवेदनशील नहीं हुए हैं और यही प्रकृति समझाना चाहती है कभी बाढ़ के रूप में तो कभी इस तरह के तापक्रम के रूप में या फिर वनों की आग को लेकर. ये सब प्रकृति बताएगी ही बताएगी.

प्रकृति की सुरक्षा के लिए हमें भोगवादी सभ्यता को छोड़ना होगा

एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट भी संवेदनशील इलाकों में विकास कार्यों की शैली को लेकर दखल देती है लेकिन सवाल ये पैदा होता है कि जिस प्रकृति को भोगने वाले अगर इस देश के 140 करोड़ लोग प्रकृति को भोग रहे हैं पानी के रूप में या फिर हवा और नदियों के रूप में और वनों के रूप में तो कुछ बातें ऐसी होती हैं कि वो न तो एनजीटी की सीमा में है और न ही सुप्रीम कोर्ट की सीमा में और सरकारों से भी बाहर होती है. ये समझ की आवश्यकता है कि अगर परिवर्तन आ रहे हैं तो यह हमारे जीवन शैली से ज्यादा जुड़ा हुआ है और इसके लिए प्रति व्यक्ति दोषी है. 

हम तमाम कानून बना सकते हैं लेकिन प्रकृति इन सभी से ऊपर है. अब एनजीटी हो या सुप्रीम कोर्ट हो, वो क्या करेंगे. वो एक नियम को प्रतिपादित करेंगे या रोक लगाएंगे? लेकिन सवाल ये पैदा होता है कि आम आदमी का व्यवहार क्या है आज और प्रकृति किसी सरकार की या यूनाइटेड नेशन की नहीं होती है तो हमें इसे रोकने के लिए भोगवादी सभ्यता से ऊपर उठकर प्रणाम करें तब जाकर कहीं बात बनेगी...कानूनों से प्रकृति का नियंत्रण नहीं सकता.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
Sun Mar 02, 2:03 pm
नई दिल्ली
24°
बारिश: 0 mm    ह्यूमिडिटी: 29%   हवा: W 12.2 km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

अमित शाह के साथ बैठक के बाद एक्शन में दिल्ली पुलिस, अनमोल बिश्नोई, गोल्डी बरार को लेकर प्लान तैयार
अमित शाह के साथ बैठक के बाद एक्शन में दिल्ली पुलिस, अनमोल बिश्नोई, गोल्डी बरार को लेकर प्लान तैयार
मध्य प्रदेश के किसानों को महज 5 रुपये में बिजली का कनेक्शन, CM मोहन यादव का बड़ा ऐलान
मध्य प्रदेश के किसानों को महज 5 रुपये में बिजली का कनेक्शन, CM मोहन यादव का बड़ा ऐलान
टाइगर की तरह छलांग लगाकर विराट का कैच पकड़ने वाले ग्लेन फिलिप्स एक दिन में करते हैं 800 पुश-अप, जानें उनके बारे में सबकुछ
टाइगर की तरह छलांग लगाकर विराट का कैच पकड़ने वाले ग्लेन फिलिप्स एक दिन में करते हैं 800 पुश-अप
Celebs Spotted: बर्थडे पर वर्कआउट करते दिखे टाइगर, तो स्टाइलिश लुक में स्पॉट हुईं आलिया, एयरपोर्ट पर मौनी का फंकी लुक
बर्थडे पर वर्कआउट करते दिखे टाइगर, तो स्टाइलिश लुक में स्पॉट हुईं आलिया
ABP Premium

वीडियोज

Hina Khan के Cancer पर भड़कीं Rozlyn Khan! हिना कर रहीं Cancer Treatment को Exaggerate?Elvish Yadav और Fukra Insaan को Thugesh ने किया Raost ?SEBI की पूर्व प्रमुख पर नियमों का पालन ना करने के आरोप में चलेगा केस | Breaking News | ABP NewsTop News: दिन की बड़ी खबरें| Mayawati BSP | Bihar Politics | Himani Narwal | Madhabi Buch | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
अमित शाह के साथ बैठक के बाद एक्शन में दिल्ली पुलिस, अनमोल बिश्नोई, गोल्डी बरार को लेकर प्लान तैयार
अमित शाह के साथ बैठक के बाद एक्शन में दिल्ली पुलिस, अनमोल बिश्नोई, गोल्डी बरार को लेकर प्लान तैयार
मध्य प्रदेश के किसानों को महज 5 रुपये में बिजली का कनेक्शन, CM मोहन यादव का बड़ा ऐलान
मध्य प्रदेश के किसानों को महज 5 रुपये में बिजली का कनेक्शन, CM मोहन यादव का बड़ा ऐलान
टाइगर की तरह छलांग लगाकर विराट का कैच पकड़ने वाले ग्लेन फिलिप्स एक दिन में करते हैं 800 पुश-अप, जानें उनके बारे में सबकुछ
टाइगर की तरह छलांग लगाकर विराट का कैच पकड़ने वाले ग्लेन फिलिप्स एक दिन में करते हैं 800 पुश-अप
Celebs Spotted: बर्थडे पर वर्कआउट करते दिखे टाइगर, तो स्टाइलिश लुक में स्पॉट हुईं आलिया, एयरपोर्ट पर मौनी का फंकी लुक
बर्थडे पर वर्कआउट करते दिखे टाइगर, तो स्टाइलिश लुक में स्पॉट हुईं आलिया
मकड़ी कैसे बुन लेती है इतना सारा जाला, कहां से आता है इतना तार?
मकड़ी कैसे बुन लेती है इतना सारा जाला, कहां से आता है इतना तार?
कार में बाहर से लगवा रहे हैं सीएनजी किट? जान लीजिए ये जरूरी बातें नहीं तो होगी दिक्कत 
कार में बाहर से लगवा रहे हैं सीएनजी किट? जान लीजिए ये जरूरी बातें नहीं तो होगी दिक्कत 
77 के समुद्र में छिपा खो गया 71? चील सी नजरे हैं तो 7 सेकंड में दीजिए जवाब
77 के समुद्र में छिपा खो गया 71? चील सी नजरे हैं तो 7 सेकंड में दीजिए जवाब
Hindu Nav Varsh 2025: हिंदू नववर्ष इस बार क्यों विशेष हैं, इंग्लिश कैलेंडर की किस डेट से शुरु होगा नवसंवत्सर
हिंदू नववर्ष इस बार क्यों विशेष हैं, इंग्लिश कैलेंडर की किस डेट से शुरु होगा नवसंवत्सर
Embed widget