दुनिया की चौथी ताकतवर एयर फोर्स यानी भारतीय वायु सेना आज अपनी स्थापना की 90वीं वर्षगांठ मना रही है. हर साल 8 अक्टूबर को मनाये जाने वाले 'एयर फ़ोर्स डे' का भारत के लिए खास महत्व इसलिये भी है कि इसकी स्थापना अंग्रेजों के राज में 1932 में हुई थी. तब इसका नाम रॉयल इंडियन एयर फोर्स रखा गया जो 1947 तक जारी रहा. लेकिन देश आज़ाद होने के बाद रॉयल शब्द हटा दिया गया और तबसे दुनिया में इसकी पहचान भारतीय एयर फोर्स के नाम से ही बनी.
महाभारत के युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया था, गीता के 11वें अध्याय में उसका उल्लेख है जिसमें वे नभ की शक्ति के बारे में बताते हैं. उसी अंश में एक श्लोक है- 'नभ: स्पृशं दीप्तम्'. यही भारतीय वायु सेना का आदर्श वाक्य है.
बता दें कि 1 अप्रैल 1933 को रॉयल इंडियन एयर फोर्स यानी आरआईएएफ का पहला दस्ता बना था, जिसमें 6 आएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल किया गया था. भारतीय वायुसेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी अहम भूमिका निभाते हुए दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराया था. आजादी से पहले वायु सेना, आर्मी के तहत ही काम करती थी. एयर फोर्स को आर्मी से 'आजाद' करने का श्रेय भारतीय वायु सेना के पहले कमांडर इन चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एलमहर्स्ट को जाता है.
आजादी के बाद सर एलमहर्स्ट को भारतीय वायु सेना का पहला चीफ, एयर मार्शल बनाया गया था. वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक इस पद पर रहे थे. यानी आजादी मिलने के तीन साल बाद तक भी वायु सेना की कमान एक अंग्रेज अफसर के हाथ में ही रही थी.
IAF पहली बार बहादुर कार्रवाई में आदिवासी के खिलाफ वजीरिस्तान युद्ध के दौरान सामने आया था. बाद में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान IAF का जबरदस्त विस्तार हुआ. युद्ध के दौरान विशेष रूप से बर्मा में IAF एक महान रक्षा बल साबित हुआ.
फिलहाल हमारी वायु सेना के पास पांच किस्म के ऐसे आधुनिक लड़ाकू विमानों का बेड़ा है, जो IAF को अमेरिका, चीन व रुस के बराबर ला खड़ा करते हैं. इनमें सबसे उन्नत व अत्याधुनिक है-Dassault Rafale. इस समय 36 राफेल लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना के साथ सेवा में हैं. राफेल के आने से भारत की वॉर पावर में और इजाफा हो गया. राफेल उल्का और हैमर जैसी मिसाइलों से लैस है.
मल्टीरोल होने के कारण दो इंजन वाला (टू इन) राफेल फाइटर जेट एयर-सुप्रेमैसी यानी हवा में अपनी बादशाहत कायम करने के साथ-साथ डीप-पेनेट्रेशन यानी दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने में भी सक्षम है. राफेल जब आसमान में उड़ता है तो कई सौ किलोमीटर तक दुश्मन का कोई भी विमान, हेलीकॉप्टर या फिर ड्रोन पास नहीं फटक सकता है. साथ ही वो दुश्मन की जमीन में अंदर तक दाखिल होकर बमबारी कर तबाही मचा सकता है. यही कारण है कि राफेल को मल्टीरोल लड़ाकू विमान भी कहा जाता है.
इसके अलावा Sukhoi Su-30MKI: का 40 से अधिक सुखोई लड़ाकू विमानों का बेड़ा है, जो समुद्र या जमीन के किसी भी टारगेट पर बड़े ‘स्टैंड-ऑफ रेंज’ से हमला करने की भारतीय वायुसेना की क्षमता को और बढ़ाता है. एक बाज़ के रुप में अपनी पहचान बनाने वाला Mikoyan MiG-29:मिग-29, है, जो सुखोई-30 एमकेआई के बाद भारतीय वायुसेना की दूसरी रक्षा पंक्ति का गठन करता है. फिलहाल 69 मिग-29 सेवा में हैं, जिनमें से सभी को हाल ही में अपग्रेड किया गया है.
जबकि Dassault Mirage 2000 को भारतीय वायुसेना में वज्र के रूप में जाना जाता हैं. इस समय वायु सेना के पास 49 मिराज 2000 एच और 8 मिराज 2000 टीएच हैं. HAL Tejas को भी एक बड़ी उपलब्धि माना जाता है क्योंकि वायु सेना ने मिग-21 को घरेलू रूप से निर्मित एचएएल तेजस में बदला है. इसका इस्तेमाल "फ्लाइंग बुलेट्स" के तौर पर होता है.
फरवरी 2021 में भारतीय वायुसेना ने 123 तेजस का ऑर्डर दिया था, जिसमें 40 मार्क 1, 73 सिंगल-सीट मार्क 1 एएएस और 10 टू-सीट मार्क 1 ट्रेनर शामिल हैं. वायु सेना के पास और भी बहुत कुछ है और उसने 90 सालों के इस सफ़र में खुद को बदलते हुए हर मोर्चे पर कामयाबी हासिल की है, फिर चाहे वो प्राकृतिक आपदा की स्थिति हो या सीमाओं पर दुश्मन से लोहा लेने का मोर्चा हो-हर बार उसने अपनी ताकत का बखूबी अहसास कराया है.
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