वायु प्रदूषण का स्तर जब वायुमंडल में बढ़ने लगता है तो यह हम सभी के लिए कई तरह से हानिकारक होता है. वायु प्रदूषण के स्तर को संतुलन को बनाए रखने और बिगाड़ने में हम सभी की अहम भूमिका होती है. यदि हम इस बात को अब भी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं तो हमारी अगली पीढ़ी के लिए और भी अधिक खतरनाक स्थिति हो सकती है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इंदौर के कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल के डॉ. रवि दोसी, कन्सल्टेन्ट, पल्मोनरी मेडिसिन, प्रदूषण और स्वास्थ्य को लेकर आगाह कर रहे हैं-
वायु में प्रदूषण का स्तर
वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए AQI (Air Quality Index) का उपयोग किया जाता है. यदि वायु में यह इंडेक्स 0-50 के बीच होता है तो यह सामान्य माना जाता है लेकिन यदि यह इंडेक्स 200 से ऊपर की ओर जाता है तो इससे पता चलता है कि वायु में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. वायु में मौजूद आठ पॉल्यूटैंट्स को ध्यान में रखते हुए एक्यूआई को कैलकुलेट किया जाता है जिनमें सल्फर डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, PM10, PM2.5, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, अमोनिया, लेड और ग्राउंड लेवल ओजोन इसके पॉल्यूटैंट्स है.
वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर असर
वायु प्रदूषण से हमारे शरीर पर काफी ज्यादा हानिकारक प्रभाव होते हैं. वायु प्रदूषण शरीर के सभी भागों को प्रभावित करता है. अक्सर कई लोगों में बाहर की प्रदूषित हवा से संपर्क में आने पर सिर दर्द होना, आखों में जलन जैसी समस्या होने लगती है. वहीं सांस में तकलीफ या एलर्जी जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती है. यही नहीं प्रदूषण से एंग्जायटी या डिप्रेशन जैसी गंभीर समस्याएं भी देखी जा सकती है. दरअसल यह आमतौर पर ओजोन पार्टिकुलेट मैटर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे पोल्यूटेंट्स की वजह से होता है जब यह फेफड़ों के द्वारा बॉडी में प्रवेश करती हैं तो यह कई सारे और खतरनाक रोगों को जन्म दे सकती हैं जैसे कि अस्थमा एवं लंग कैंसर आदि.
वायु प्रदूषण से हार्ट स्ट्रोक और इंफर्टिलिटी का खतरा
कई शोधों में यह भी सामने आया है कि वायु प्रदूषण से कई लोगों में हार्ट स्ट्रोक जैसी समस्याएं भी जन्म ले रही हैं. वायु प्रदूषण का प्रभाव सिर्फ फेफड़ो और दिल तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका प्रभाव पेट पर भी पड़ता है एवं खून में भी अन्य कई खतरनाक विकार हो सकता है. प्रदूषण से होने वाली खतरनाक समस्याओं में आज इंफर्टिलिटी की समस्या का भी खतरा बढ़ा है. चाहे वह पुरुष हो या महिला, वायु प्रदूषण के प्रभाव में आने की वजह से उनकी प्रजनन क्षमता ज्यादा प्रभावित होती है. वहीं कई अन्य खतरनाक बीमारियां जैसे कि ब्लड क्लॉटिंग एवं डायबिटीज में इंसुलिन दवा का प्रभाव कम होना भी पॉल्यूशन की वजह से देखा जाता है.
गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर असर
भारत में आज कई गर्भवती महिलाएं प्रीमेच्योर या फिर नवजात शिशु के वजन कम होने की समस्या को लेकर परेशान हैं. कई बच्चों में जन्म से ही विकलांगता आना जैसी समस्याएं भी देखी जा रही है.
वायु प्रदूषण से बचने के लिए यह करें
वायु प्रदूषण से बचने के लिए सबसे पहले बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग जरुर करें. चाहे तो आप मुंह, कान व नाक पर हल्का कॉटन का कपड़ा भी ढ़ांक सकते हैं. आंखों के लिए ट्रस्पेरेंट स्पेक्ट्स का उपयोग कर सकते हैं. वायु प्रदूषण से अस्थमैटिक मरीजों को अपना खास ख्याल रखने की जरुरत होती है तो उन्हें भी समय-समय पर अपनी जांच करवाते रहना चाहिए. यदि किसी भी तरह की कोई गंभीर समस्या हो तो सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें ताकि सही इलाज मिल सके.
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