एक्सप्लोरर

अल जवाहिरी: लोगों को नई रोशनी देने वाले डॉक्टर ने आखिर क्यों पहना दिए इतने सारे कफ़न?

21 बरस पहले अमेरिका (US) में सबसे बड़ा हमला करके पूरी दुनिया को हिला देने वाले अल कायदा (Al Qaeda) के मुखिया ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) को 10 साल पहले उसकी ही सरजमीं पर मार गिराने वाले अमेरिका ने अब उसके दाहिने हाथ अल जवाहिरी (Al Zawahiri) को भी मौत के घाट उतार दिया है. दुनिया में इसे आतंकवाद के ख़िलाफ़ सबसे बड़ी जीत इसलिए भी माना जा रहा है कि अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए अयमान अल जवाहिरी (Ayman Al Zawahiri) को लादेन से भी ज्यादा खूंखार आतंकी सरगना समझा जाता था. जवाहिरी के खात्मे के बाद एक सवाल ये भी है कि क्या अब दुनिया से इस्लामी आतंकवाद का खात्मा हो जायेगा या फिर उसके गुर्गे दोगुनी ताकत से किसी और बड़े आतंकी हमले को अंजाम देंगे?

इसमें कोई शक नहीं कि दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले अमेरिका इकलौता ऐसा देश है,जिसने 9 सितंबर 2001 की सुबह महज़ चंद मिनटों में ही आतंक की सबसे बड़ी तबाही को झेला था, जब तीन हजार से ज्यादा बेकसूर लोग पल भर में ही मौत की नींद सो गए थे. बेशक अमेरिका को इसका बदला लेने में लंबा वक़्त लगा. लादेन को ठिकाने लगाने में दस साल औऱ जवाहिरी का हिसाब चुकता करने में भले ही 21 साल लग गए लेकिन अमेरिका ने ये साबित कर दिखाया कि वो दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन से भी ज्यादा ताकतवर है.

दुनिया के बहुत सारे मुल्कों में बढ़ रही मज़हबी कट्टरता
लादेन के खात्मे के बाद अल कायदा की कमान संभालने वाले जवाहिरी के बहाने हमें ये भी सोचना होगा कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि इतने ज्यादा पढ़े-लिखे लोग भी मज़हबी कट्टरता के जाल में ऐसे फंस जाते हैं कि हथियार उठाने और बेगुनाहों का खून बहाने में उनके हाथ जरा भी नहीं कांपते ? भारत समेत दुनिया के बहुत सारे मुल्कों में बढ़ रही ये मज़हबी कट्टरता इसलिए भी रिसर्च का विषय है कि पेशेवर पायलट, इंजीनियर और डॉक्टर जैसे अति शिक्षित लोग भी आखिर कैसे लादेन और जवाहिरी जैसे आतंकी सरगनाओं की "कठपुतली" बन जाते हैं?

सिर्फ पैसों की खातिर ही अगर वे इस रास्ते को चुनते तो, कुछ समझ में आने वाली बात थी लेकिन 9/11 के हमले से लेकर बाद में हुई कई आतंकी घटनाओं को अंजाम देते वक्त उन्हें पहले से ही ये पता था कि उनकी मौत सुनिश्चित है. लिहाजा,दुनिया के अधिकांश मनोविश्लेषक मानते हैं कि मज़हब के नाम पर "ब्रेन वाश" करने की ये ऐसी फैक्टरी है, जहां शिक्षित व अपने हुनर में माहिर युवा को सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाती है क्योंकि वही बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने का सूत्रधार बनता है.

समूची दुनिया में लोग अपने ईश्वर के बाद एक डॉक्टर को ही उसका सबसे बड़ा रुप समझते हैं क्योंकि आम धारणा है कि अगर डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया,तो फिर अपने ईश्वर से भी जिंदगी की भीख मांगना बेकार है. हर डॉक्टर की अपनी अहमियत है लेकिन आंखों के डॉक्टर यानी एक आई सर्जन को लोग थोड़ा ज्यादा महत्व इसलिए देते हैं कि वह अपने ऑपेरशन के जरिए एक इंसान को दुनिया का नज़ारा देखने की एक नई रोशनी देता है. और, जब किसी इंसान को वो रोशनी मिल जाती है,तो व्यक्ति हाथ जोड़ते हुए अपना शुक्राना अदा करता है कि मुझे आपने दूसरी जिंदगी बख्श डाली.

डॉक्टर से आतंकवादी तक का सफर
लेकिन हम सबको ये जानकर हैरानी होती है कि अयमान अल जवाहिरी मिस्र का नामी डॉक्टर यानी आई सर्जन था. कह नहीं सकते कि उसने अपने इस परोपकारी पेशे में रहते हुए कितने लोगों को नई रोशनी दी होगी और तमाम रिसर्च करने के बावजूद ऐसा कोई आंकड़ा नहीं मिल पाया. लेकिन इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं मिल पाया कि जवाहिरी ने अपने उस नेक पेशे को छोड़कर इस्लामी आतंकवाद का रास्ता क्यों व किसलिए अपनाया था.

जो जानकारी मिली है ,उसके मुताबिक 71 बरस की उम्र में अमेरिका ने उससे बदला लेकर उसे ठिकाने तो लगा दिया, लेकिन ये जानकर हैरानी भी होती है कि उसने महज़ 30-32 बरस की उम्र में ही डॉक्टरी जैसे परोपकारी पेशे को छोड़कर इस्लामिक उग्रवाद का दामन थाम लिया था. बताते हैं कि 1980 के दशक में अल-ज़वाहिरी इस्लामिक उग्रवाद में शामिल होने के कारण मिस्र की जेल में भी रहा था. जेल से छूटने के बाद वह अफ़ग़ानिस्तान पहुंचा, जहां उसकी मुलाकात ओसामा बिन-लादेन के साथ कराई गई और लादेन ने उसे गले लगाते हुए अपनी आंख का तारा बनाने में बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगाया.

9/11 हमले का मास्टरमाइंड
हालांकि 9/11 को हुए अमेरिका में हुए हमले के बाद ओसामा बिन लादेन का सबसे पहला इंटरव्यू करने वाले दुनिया के इकलौते पत्रकार पाकिस्तान के हामिद मीर हैं, जिन्होंने इस पर एक किताब भी लिखी है. दावा है कि ज़वाहिरी को ही 9/11 के हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है, जिसने ये सुझाया था कि मज़हबी जुनून में सवार अपने चंद खास पायलटों के जरिए इसे कैसे बखूबी अंजाम दिया जा सकता है.

बताते हैं कि अमेरिका के ट्विन टावर पर हुए हमले के बाद अल कायदा में जवाहिरी की हैसियत नंबर दो की हो चुकी थी लेकिन अपने जीते-जी लादेन ने भी कभी उसकी बात को ठुकराने की हिम्मत नहीं की. शायद यही वजह थी कि साल 2011 में अमेरिकी सेना द्वारा ओसामा बिन-लादेन को मारे जाने के बाद अल-क़ाय़दा की कमान ज़वाहिरी के हाथ आ गई थी.

दुनिया के इतिहास को देखकर ही कई दार्शनिक बरसों पहले ही इस नतीजे पर पहुंच गए थे कि "एक हुनरमंद इंसान सैकड़ों नौसिखियों के मुकाबले ज्यादा खतरनाक होता है. इसलिए कि गलत राह मिलते ही वो समाज का निर्माण नहीं, बल्कि तेजी से उसका विध्वंस करेगा और शायद उसमें वो काफ़ी हद तक कामयाब भी होगा."

और,इसे अल जवाहिरी ने अपनी करतूतों से सच भी कर दिखाया. अंधेरी जिंदगियों को रोशनी दिखाने वाले ने न जाने कितने मासूमों को सफ़ेद कफ़न में लपेट डाला!

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
ABP Premium

वीडियोज

America में अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी, भारत लाने की तैयारी! | ABP NewsChitra Tripathi : ट्रंप की वजह से अदाणी टारगेट ? । Gautam Adani Case ।  Maharashtra Election'The Sabarmati report' पर सियासत तेज, फिल्मी है कहानी या सच की है जुबानी? | Bharat Ki BaatAdani Bribery Case: अदाणी पर अमेरिकी केस की इनसाइड स्टोरी! | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन  के लक्षण और बचाव का तरीका
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
Embed widget