हम आप अक्सर ये बात सुनते आए हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में शराब का नशा ज्यादा तेजी से चढ़ता है. इसके साथ ही अगर पुरुष और महिलाएं समान मात्रा में शराब का उपभोग करते हैं, तो इसकी ज्यादा संभावना रहती है कि महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा सुरूर हो जाए. हम देखते हैं कि ज्यादातर महिलाओं को थोड़ी मात्रा में भी शराब के सेवन से नशा हो जाता है.


इसका ये मतलब नहीं है कि पुरुष ज्यादा मजबूत होते हैं और महिलाएं कमजोर. दरअसल इसके पीछे की वजह पूरी तरह से वैज्ञानिक है और  ये पुरुष-महिलाओं के शारीरिक बनावट या संरचना से जुड़ा हुआ मसला है. इसके पीछे बकायदा वैज्ञानिक और स्वास्थ्य से जुड़े कारण हैं.


अल्कोहल मेटाबॉलिज्म की ताकत पुरुषों में ज्यादा


मेडिकल साइंस की भाषा में बात करें, तो पुरुष और महिलाओं में शराब को बचाने की क्षमता अलग-अलग होती है.इसे अल्कोहल मेटाबॉलिज्म (alcohol metabolism) कहते हैं.  पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा अल्कोहल मेटाबॉलिज्म ज्यादा होता है. आम भाषा में बात करें तो शराब पचाने की क्षमता अल्कोहल मेटाबॉलिज्म पर ही निर्भर है.


शराब पचाने में ADH एंजाइम की बड़ी भूमिका


अल्कोहल मेटाबॉलिज्म का संबंध हमारे शरीर में मौजूद एक एंजाइम से है. उस एंजाइम का नाम है अल्कोहल डिहाइड्रोजनेज (alcohol dehydrogenase). इसे शार्ट फॉर्म में ADH कहते हैं. पुरुषों और महिलाओं में अल्कोहल मेटाबॉलिज्म  की क्षमता में अंतर होने का मुख्य कारण यही एंजाइम है.  ADH इंजाइम ही हमारे शरीर में अल्कोहल को पचाने की क्षमता के लिए जिम्मेदार होता है.


महिलाओं में ADH एंजाइम कम सक्रिय


ये बात गौर से समझने की है कि पुरुषों के पेट और लीवर में ADH एंजाइम ज्यादा  सक्रिय रूप होते हैं. पुरुषों के पेट में ADH की मौजूदगी से शराब का अवशोषण (absorption) 30% तक कम हो जाती है. इसके विपरीत, महिलाओं के पेट में ADH एंजाइम लगभग नहीं के बराबर होता है. इसी का नतीजा  होता है कि महिलाओं के खून में पुरुषों की तुलना में ज्यादा शराब घुल-मिल जाती है. इसके अलावा महिलाओं के लीवर में भी ADH एंजाइम पुरुषों के  लीवर की तुलना में बहुत कम सक्रिय होते हैं.


अब आप समझ सकते हैं कि जेंडर डिफेरेंस यानी शारीरिक संरचना में अंतर की वजह से अगर पुरुष और महिला समान मात्रा में शराब का सेवन कर रहे हैं, यानी समान मात्रा में ड्रिंक ले रहे हैं, तो पुरुषों की तलना में उतने ही शराब से महिलाओं को ज्यादा नशा होने की संभावना बढ़ जाती है. अगर इसे उदाहरण से समझें तो किसी पुरुष ने दो पेग और किसी महिला ने भी दो पेग शराब पी है, तो ADH इंजाइम की गैर मौजूदगी या कम मौजूदगी की वजह महिला पर शराब का सुरूर ज्यादा दिखेगा.


अल्कोहल डिहाइड्रोजनेज एंजाइम कम होने की वजह से महिलाओं में शराब का मेटाबॉलिज्म कम होता है. यहीं वजह है कि अल्कोहल का सेफ्टी लेवल महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा कम होता है. ये मेडिकल साइंस में ज्ञात तथ्य है कि महिलाओं और पुरुषों के शरीर में अल्कोहल तोड़ने की शक्ति अलग-अलग होती है.  ADH एंजाइम की वजह से महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ये शक्ति ज्यादा होती है.


खाली पेट ड्रिंक करने से करें परहेज


मेडिकल साइंस में एक फैक्ट है कि अल्कोहल या शराब हम जब लेते हैं, तो वो पेट से सीधा छोटी आंत (small intestine) में चला जाता है. छोटी आंत में ही अल्कोहल का अब्ज़ॉर्प्शन होना शुरू हो जाता है. ऐसे में अगर पेट में खाना मौजूद है तो अल्कोहल अब्ज़ॉर्प्शन में रुकावट आती है या आम भाषा में कहें तो ये प्रक्रिया धीमा हो जाती है. जो भी लोग शराब का सेवन खाली पेट करते हैं, तो उनके शरीर पर इसका प्रभाव ज्यादा पड़ता है. यही वजह है कि अगर आप ड्रिंक कर रहे हैं, तो साथ में खाने को कुछ लेते रहना चाहिए.


शराब का सेवन स्वास्थ्य के नजरिए से नुकसानदायक


एक बात स्पष्ट तौर से सबको समझ लेना चाहिए कि शराब का सेवन स्वास्थ्य के नजरिए से बिल्कुल अच्छा नहीं है. इसका सेवन नहीं करना सबसे ज्यादा अच्छा है क्योंकि ये हम सब जानते हैं कि अल्कोहल शरीर पर कई तरह से नुकसान पहुंचाता है. अगर कभी-कभार कोई ले भी रहें हैं, तो उन्हें कम मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए.


गर्भवती महिलाओं को शराब का सेवन नहीं


गर्भवती महिलाओं को ख़ासकर इस बात का ध्यान रखना चाहिए.अगर कोई महिला गर्भवती है तो उसे शराब का सेवन कतई नहीं करना चाहिए. इसका मां और बच्चे दोनों के हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है. 


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये आलेख नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसीन के को-चेयरमैन डॉक्टर अतुल कक्कड़ से बातचीत के आधार पर लिखी गई है.)